किसी भी सरकार या उससे जुड़ी व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने नागरिकों के लिए रोटी-कपड़ा-मकान की सुविधा सुनिश्चित करे, लेकिन उसे क्या कहेंगे जब व्यवस्था ही लोगों से आशियाना छीनने पर उतारू हो जाय. यह देश के किसी सुदूर गांव का मामला नहीं है, यह उन लोगों की दारुण दशा है, जो राजधानी दिल्ली में रहते हैं. संसद भवन से महज तीन किलोमीटर दूर तिलक ब्रीज के पास महावत खान रोड पर झुग्गियों में रहने वाले लोग आज खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. बिना कोई कारण बताए अचानक इनसे इनका आशियाना छीन लिया गया और असंवेदनशीलता की हद यह है कि सरकार, सियासत या व्यवस्था से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने इसकी सुध नहीं ली.
पिछले करीब डेढ़ दशक से इन झुग्गियों में रह रहे सैकड़ों लोग 7 अप्रैल 2018 को बेघर और बेसहारा हो गए, जब इनके घरों पर व्यवस्था का बुलडोजर चल गया. अब इन्हें इस भीषण गर्मी में भी खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है. हर दिन दिहाड़ी करके पेट पालने वाले इन लोगों पर अब दो जून की रोटी का संकट भी आ खड़ा हुआ है, क्योंकि अपने बच्चों और सामान को खुले में छोड़कर ये काम पर जा नहीं सकते. गौर करने वाली बात यह भी है कि इनमें से बहुत से लोग रोजेदार हैं, जो रमजान के इस महीने में रोजा रख रहे हैं. एक तरफ 50 डिग्री के करीब पहुंच चुका पारा है और दूसरी तरफ सरकार का सितम जिसने इन्हें बेघर कर सड़कों पर ला खड़ा किया है.
कहा जा रहा है कि कोर्ट के निर्णय के कारण झुग्गियां तोड़ने की कार्रवाई हुई है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी यह नहीं बता रहा कि इनके पुर्नवास को लेकर सरकार क्या व्यवस्था करने वाली है. शिव उन लोगों में शामिल हैं, जिनकी झुग्गियां तोड़ी गई हैं. चौथी दुनिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि बिना किसी नोटिस या सूचना के उनके घरों को तोड़ दिया गया. उन्होंने बताया कि हम पिछले एक महीने से ज्यादा समय से सरकार और व्यवस्था से जुड़े हर दरवाजे तक जा रहे हैं, लेकिन कोई भी हमारी बात नहीं सुन रहा. इस भीषण गर्मी में अब हमारे सामने जीने का संकट आ खड़ा हुआ है. इन बेसहारा लोगों तक सरकार तो नहीं पहुंच रही लेकिन कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं इनकी मदद को आगे आ रही हैं. महिला जागरूक सेवा संघ के सदस्यों ने रीना भारतीय की अगुवाई में यहां की स्थिति का जायजा लिया. संघ से जुड़े हेमंत शर्मा ने बताया कि हम इन लोगों की हर संभव सहायता कर रहे हैं साथ ही इन्हें इनका हक दिलाने के लिए भी प्रयासरत हैं.