आगामी लोकसभा व बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दलगत राजनीति जोर पकड़ने लगी है. पंचायत से जिला स्तर तक दलों द्वारा कार्यकर्ता प्रशिक्षण का आयोजन किया जाने लगा है. वहीं जातिगत वोटों की गोलबंदी को लेकर सम्मेलनों का दौर भी शुरू हो चुका है. राष्ट्रीय से लेकर प्रांत स्तर तक के नेता विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए जिलों तक पहुंच रहे हैं. कोई विकास योजनाओं की समीक्षा कर कार्य योजना के कार्यान्वयन में गति बढ़ाने की बात कर रहा है, तो कोई अपनी सरकार की उपलब्धियों का राग अलाप रहा है.

लेकिन जमीनी स्तर पर सरकारी निर्देश के आलोक में कराए जा रहे विकास कार्यों का मुआयना करना कोई मुनासिब नहीं समझ रहा है. सीतामढ़ी जिले में पिछले एक माह में बिहार व केंद्र सरकार के कई ओहदेदार नेताओं का आगमन हुआ, लेकिन सभी जिला मुख्यालय में आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर सबकुछ ठीक-ठाक होने का दावा कर चलते बने.

चुनाव की तेज होती आहट के साथ क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों की दस्तक भी तेज होने लगी है. फरवरी महीने के प्रथम सप्ताह में सीतामढ़ी शहर में आयोजित वार्ड अधिकार जिला सम्मेलन में सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत व विधान पार्षद राज किशोर कुशवाहा ने भाग लिया. राम प्रवेश यादव की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन के दौरान नेताओं ने वार्ड सदस्यों को मिले अधिकार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन बताया. सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए अगले चुनाव में सरकार पर ध्यान रखने का इशारा किया गया.

वहीं इस माह के अंतिम सप्ताह में केंद्रीय आइटी एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी सीतामढ़ी पहुंचे. पत्रकारों से बातचीत के क्रम में मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रियों को जिलों में जाकर जमीन पर हुए कार्यों का जायजा लेने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि देश के 815 जिलों में से विभिन्न मामलों में पिछड़े 115 जिलों को चिन्हित किया गया है. इनमें से एक दर्जन बिहार के जिले हैं. इस सूची में सीतामढ़ी भी शामिल है. रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि 2022 तक हम न्यू इंडिया विजन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे और उसके साथ ही सीतामढ़ी जैसे जिले विकास की रफ्तार में आगे बढ़ जाएंगे. मंत्री ने तकरीबन आधा दर्जन विभागों से प्राप्त प्रतिवेदन की समीक्षा भी की.

उन्होंने कहा कि मार्च तक 90 प्रतिशत घरों में शौचालय निर्माण का लक्ष्य है, जिसे पूरा कर लिया जाएगा. जिलाधिकारी राजीव रौशन और सांसद राम कुमार शर्मा के साथ रविशंकर प्रसाद ने जिला मुख्यालय डुमरा स्थित स्वच्छता उद्यान का निरीक्षण किया. डीएम ने सीतामढ़ी जिले में फुड पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव मंत्री के समक्ष रखा. जिला निबंधन व परामर्श केंद्र पर मंत्री ने कुशल युवा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त 110 युवाओं को प्रमाण पत्र दिया. रविशंकर प्रसाद ने यहां पर युवाओं को स्कील इंडिया और डिजीटल इंडिया की जानकारी भी दी.

बात चाहे सीतामढ़ी शहर में आयोजित वार्ड अधिकार जिला सम्मेलन की हो या केंद्रीय मंत्री के दौर की, यह स्पष्ट दिख रहा है कि कोई भी गांवों-कस्बों का रुख करना नहीं चाहता. जिला मुख्यालय में आलाधिकारियों के साथ बैठक कर अखबारों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना ही सबकी प्राथमिकता बन गई है. इससे आम लोगों में रोष उत्पन्न हो रहा है. गांवों में लोगों का कहना है कि मंत्री-विधायक या सांसद जब तक सतही स्तर पर विकास कार्यों की पड़ताल नहीं करेंगे, तब तक स्थिति का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. विकास की सच्चाई जानने के लिए शहर को छोड़ कर गांव की पगडंडी का सफर तय करना होगा. कागजों में विकास देखने से न तो उसे जमीनी स्पर पर उतारा जा सकता है और न ही कोताही बरतने वालों पर नकेल कसी जा सकती है.

जिले में जारी राजनीतिक कवायदों पर नजर डालें तो कहीं भी जनहित का मुद्दा सामने नहीं आ रहा है, हर ओर से केवल और केवल चुनावी तैयारी की ही आहट सुनाई दे रही है. न तो कोई ये पूछ रहा है कि खाद्यान्न माफियाओं के खिलाफ पूर्व में दर्ज मामलों की तहकीकात कहां तक पहुंची, न ही राघोपुर बखरी के हैचरी व मलवरी प्रशिक्षण केंद्रों के कायाकल्प के दावों पर कोई सवाल उठा रहा है. अब तक बाढ़ राहत के लिए राह देख रहे लोगों के हक में भी कोई आवाज नहीं उठ रही है. लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत हकदारों को मिला लाभ भी अब तक सवालों के घेरे में है. शहर के पुराने नासी नाला अतिक्रमण की फाईल कहां अटकी है, ये भी किसी को नहीं पता. नगर के उद्यानों का समुचित विकास और गन्ना किसानों का बकाया भुगतान भी चुनावी वादों में दफन होकर रह गया है. सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांवों की दशा कब सुधरेगी ये तो सांसद भी बताने को तैयार नहीं हैं.

ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनसे जुड़े सवाल लोग पूछ रहे हैं, लेकिन जवाब कोई नहीं दे रहा. गुजरे सालों में यहां विपक्ष की भूमिका भी शून्य होकर रह गई है. सत्ता पक्ष जहां अपनी उपलब्धियों का गान करने में व्यस्त है, वहीं विपक्ष अखबारी भूमिका तक सिमट कर रह गया है. सरकार प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन में बरती जा रही कोताही का मसला हो अथवा विकास कार्यों के कार्यान्वयन में अनियमितता, किसी भी मसले पर कोई ध्यान नहीं दे रहा. किसी योजना से जुड़ी अनियमितता जब सामने आती है, तो उस मामले में प्रशासनिक कवायद तेज कर फिर उसपर कुछ दिनों बाद विराम लगा दिया जाता है.

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