मुंबई: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के बीच अचानक शिवसेना कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर लौट आई है। अब शिवसेना ने श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के बाद भारत में बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। श्रीलंका सरकार ने धमाकों के बाद किसी भी तरह से चेहरा ढकने पर रोक लगा दी है, अब शिवसेना की मांग है की भारत सरकार श्रीलंका सरकार के तर्ज पर ही अब भारत में भी ‘बुर्का पर बैन’ लगाए। लेकिन अब शिवसेना ने अपने ही अखबार में छपे लेख से किनारा कर लिया है।


शिवसेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस लेख से पार्टी चीफ सहमत नहीं हैं और यह ‘सामना’ के संपादक की निजी राय हो सकती है। शिवसेना ने कहा है, ‘आज के संपादकीय के बारे में नेताओं के बीच ना तो चर्चा की गई थी और ना ही उद्धव जी ने ऐसी घोषणा की है, इसलिए यह श्रीलंका के मुद्दे पर सामना के संपादक की निजी राय हो सकता है। पार्टी या पार्टी अध्यक्ष इसका समर्थन नहीं करते हैं।’

क्या लिखा गया है सामना में ?

सामना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार के अयोध्‍या दौरे का हवाला देते हुए इसमें लिखा गया है, ‘रावण की लंका में जो हुआ वो राम की अयोध्या में कब होगा?’ शिवसेना ने अपनी इस मांग को ‘राष्‍ट्रहित में’ करार देते हुए इस संबंध में फ्रांस, न्‍यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया का भी जिक्र किया और कहा कि दुनिया के ये देश अगर अपने यहां आतंकी हमले होने पर बुर्का को प्रतिबंधित करने का फैसला ले सकते हैं तो भारत क्‍यों नहीं?

शिवसेना ने इस क्रम में जम्‍मू एवं कश्‍मीर में आतंकवाद की स्थिति का भी जिक्र किया। ‘बुर्का बैन’ को ‘सर्जिकल स्‍ट्राइक जितना हिम्‍मत का कार्य’ बताते हुए पार्टी ने यह भी कहा कि अगर किसी तरह की धर्मांधता, रूढ़‍ि या परंपरा राष्‍ट्रीय सुरक्षा के आड़े आती है तो उसे जरूर खत्‍म कर दिया जाना चाहिए। पार्टी ने इस क्रम में श्रीलंका के राष्‍ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना की तारीफ करते हुए भारत सरकार से भी ऐसा फैसला लेने की अपील की।

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