और महाराष्ट्र संघर्ष वाहीनी के संस्थापकों में से एक, मित्र का कल रात निधन हो गया ! हालांकि वह 72 साल के उम्र के थे ! वर्तमान समय की टेक्नॉलॉजी की वजह से कम-से-कम और दस पंद्रह साल जी सकते थे ! लेकिन उनके ब्रेन में एक ट्यूमर होने की वजह से ट्यूमर के ऑपरेशन मे ट्यूमर तो निकाल दिया ! लेकिन मल्टीपल ऑर्गन फेल्युअर की वजह से वह कुछ समय से कोमा में चले गए थे ! और आई सी यू मे जलगांव के ही एक प्रायवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे ! डॉक्टरों ने अथक प्रयास किया ! लेकिन कल रात को एक बजे के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया !
अमरावती मे मई 1977 मे महाराष्ट्र संघर्ष वाहीनी का स्थापना संमेलन हम लोगों ने किया था ! और उसमे सर्वसंमतीसे शेखर को संयोजक बनाने के बाद ! मै और शेखर ने मिलकर, महाराष्ट्र राज्य मे संघर्ष वाहीनी का विस्तार करने के लिए एकत्रित दौरा शुरू किया ! और हमारे बीच मैत्री की शुरुआत हुई ! शुरू में जलगांव के शनिपेठ के उसके पुश्तैनी घर में ही संघर्ष वाहीनी का कार्यालय शुरू किया ! फिर बाद में औरंगाबाद में शिफ्ट किया था ! जयप्रकाश जी के जीवित रहने तक संघर्ष वाहीनी भी जीवित थी ! फिर आहिस्ता-आहिस्ता कई कारणों से वह भी कमजोर हो ना शुरू हुई !
हालांकि बिहार में बोधगया के मठ के खिलाफ अस्सी वाले दशक में, जमिन को लेकर बिहार संघर्ष वाहीनी के कुछ साथियों ने अपनी जान को दाव पर लगा कर बोधगया मठ के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया है ! और भागलपूर के कहलगांव और उसके आस-पास के गंगा के क्षेत्र में घोष महाशय के प्रायव्हेट गंगा नदी के कुछ हिस्से पर सदियों से कब्जा था ! जो आजादी के बाद भी बरकरार था ! जिसे गंगा मुक्ति आंदोलन की शुरूआत संघर्ष वाहीनी के साथीयो ने अस्सी से नब्बे के दशक में की थी ! और उसे मुक्त कराने में सफल रहे हालांकि उसमे लालू प्रसाद यादव की भी मुख्यमंत्री के नाते सकारात्मक भूमिका रहने की वजह से गंगा नदी ही नहीं समस्त बीहार की नदियों को मुक्त कराने का बील बिहार विधानसभा में पारित किया गया है ! और उसकी वजह आंदोलन लगभग समाप्त हो गया ! छुटपुट गतिविधिया जारी है !
वहीं बोधगया जमीन आंदोलन में कुछ लोगों की शहादत भी हुई ! और जमीन मठ के कब्जे से मुक्त कराने में सफल होने के बाद वहां का भी आंदोलन समाप्त हो गया ! महाराष्ट्र में भी शिंदखेडा तथा शिरपूर तालुका मे मजदूर संघर्ष वाहीनी के द्वारा शेखर वासंती के सहयोग से भिमराव म्हस्के काफी दिनों तक संघर्ष किए लेकिन वह भी बाद में ठंडा हो गया !
लेकिन इन सब के बावजूद वासंती और शेखर का संघर्ष वाहीनी के प्रति जज्बा आज भी कायम है ! हालांकि शेखर आपातकाल की जेल से ही सी. ए. जैसे कठिन परीक्षा में पास होकर आया था ! तो वासंती ने रेडिमेड कपड़े की दुकान चला कर घरेलू खर्च उठाने की कोशिश की ! उसके लिए शेखर – वासंती कलकत्ता में होलसेल कपडे के मार्केट मे खुद आकर कपडे खरेदना और वह सामान ले जाने की जद्दोजहद का मै प्रत्यक्षदर्शियों में से एक हूँ !
वह दोनों जब भी कलकत्ता आते थे तो हमारे ही घर ठहरा करते थे ! और मुझे संभव हुआ तो मैं भी उनके साथ होलसेलरो के पास या रेडिमेड कपडे बनाने वाले इलाके में जिसे मेटियाबुर्ज बोला जाता है, गया हूँ ! और एक अलग दुनिया का दर्शन हुआ है ! 1985-86 का दौर था ! मुझे वासंती और शेखर की जिजीविषा को लेकर बहुत अचरज लगता था ! कि वासंती भी टिपिकल मराठी नौकरी पेशा वाले मां-बाप की बेटी ! और शेखर एक हड्डियों के डॉक्टर का लड़का ! और कपड़े की दुकान चलाने की उनकी कोशिश ! मैं मन-ही-मन में दंग होकर उनके इस काम को देखता था !
शायद शेखर ने 1977 से पूर्ण समय कार्यकर्ता की भूमिका से कुछ समय निकाल कर अपनी आपातकाल में नासिक जेल में बंद रहते हुए हासिल की हुई सी. ए. की डिग्री का उपयोग करने की शुरुआत की ! और साथ-साथ जलगांव के कॉमर्स कॉलेज में पढाने का काम मिल गया था ! और जलगांव में विश्वविद्यालय बनने के बाद वह विश्वविद्यालय में भी इस विषय का प्रमुख बना था ! बोर्ड ऑफ स्टडीज की जिम्मेदारी भी निभाई है ! डॉ. नरेंद्र दाभोळकर के अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती के साथ तथा डॉ. बाबा आढाव के विषमता निर्मूलन समिती, सामाजिक कृतज्ञता निधी, भारत – पाकिस्तान पिपल्स फोरम, अॉल इंडिया सेक्यूलर फोरम, मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वारा मुस्लिम महिलाओं को सिनेमा देखने की बंदी के फतवे के खिलाफ रजिया पटेल ने जब आंदोलन शुरू किया ! (अस्सी वाले दशक में ) तो शेखर – वासंती ने सिर्फ उसे सहयोग नहीं किया ! उसे अपने घर में रहने की व्यवस्था भी की है ! क्योंकि रजिया के घरवालों को भी कट्टरपंथियों ने धमकी दी थी ! और उसे अपने माता-पिता के घर से बाहर निकालने की नौबत आ गई थी ! लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, राष्ट्र सेवा दल, जनता पार्टी का भी थोडा बहुत काम किया है ! और 2014 में आम आदमी पार्टी का भी !
मतलब देश और दुनिया को लेकर परिवर्तन के लिए जो भी अवजार उपयोगी हो सकते उन सभी को शेखर ने आजमाने की कोशिश की है ! नब्बे के दशक में जलगांव में एक सेक्स स्कैंडल हुआ था ! और शेखर – वासंती ने स्थानीय बाहुबली राजनेताओं ( उत्तर भारत में प्रकट रूप से बाहुबली दिखाई देते हैं ! लेकिन महाराष्ट्र या बंगाल जैसे तथाकथित प्रगतिशील राज्यों में भी बाहुबली राजनेता है ! ) की बगैर परवाह किए, पिडीत लडकियों को न्याय दिलाने के लिए अपने आप को झोक दिया था ! “तब भी मैने उन्हें आगाह करने के लिए कलकत्ता से फोन पर कहा था ! “कि महाराष्ट्र के इरिगेशन के पानी के कारण खेती करने वाले नए अमिरो का एक वर्ग पैदा हो गया है ! और वह अचानक इतना पैसा हाथों में आने की वजह से एक फ्यूडल क्लास में तब्दील हो गया है ! और वह अपने पैसों के बल पर जैसे पूराने राजे – बादशाह के दरबार में औरतों को नचवाते थे ! और जनानखाने चलाया करते थे ! यह वही मानसिकता महाराष्ट्र में भी कुछ खास – खास जगहों पर काम कर रही है ! क्योंकि उसके बाद मालेगांव, जालना तथा अन्य जगहों पर भी गरीब घरों की लडकियों का यौनशोषण के अनेकों उदाहरण सामने आने लगे थे ! और जलगांव के एक राजनेता का यौनशोषण करने वाले लोगों को संरक्षण प्राप्त था ! जिसका जलगांव कॉर्पोरेशन से लेकर महाराष्ट्र सरकार तक प्रभाव था ! और उसके कारण शेखर वासंती के मकान के निर्माण में उसने अडंगा भी लगा दिया था ! लेकिन शेखर – वासंती ने बगैर कोई परवाह किए उसके खिलाफ सेक्स स्कैंडल से लेकर भ्रष्टाचार तक लड़ाई लडी है ! और उसीकी बदौलत आज किराए के घर में रहने के लिए मजबूर हुए हैं !
शेखर को समाज परिवर्तन के लिए जो भी आशादायक मंच लगता था ! सभी मे वह तन-मन – धन से शामिल होता था ! बाबरी मस्जिद राममंदिर विवाद के समय मेरे पास कलकत्ता आकर कहने लगा कि “मेरे साथ एक आर्टिटेक्ट है ! जो बाबरी मस्जिद और राममंदिर के साथ एक समझौते वाले मॉडल बनाएं है ! उसे लेकर तुम भी हमारे साथ दिल्ली चलो और अडवाणी से लेकर सैयद शहाबुद्दीन से मीलकर कुछ बिच का रास्ता निकाला जा सकता है !” मैंने कहा कि “नही अडवाणी किसी बिच के रास्ते पर चलने वाले हैं ! और न ही सैयद शहाबुद्दीन ! दोनों को एक जबरदस्त खिलौना खेलने के लिए मिल गया है ! और भारत की राजनीति आने वाले पचास वर्षों तक इसी सांप्रदायिकता के विषय के इर्द-गिर्द घूमती नजर आने वाली है ! और सांप्रदायिकता के ध्रुवीकरण की राजनीति को प्रभावित करने वाले दोनों तरफ के लोगों को लगता है ! कि वह अपनी ही भूमिका में कामयाब हो रहे हैं ! और इस लिए बीचोंबीच की बात का कोई मतलब नहीं है ! ” इसलिए मै तो गया नहीं ! लेकिन शेखर और आर्किटेक्ट गए थे ! मधू लिमये की भी मदद ली थी ! लेकिन उन्हें क्या कामयाबी हासिल हुई मालूम नहीं ?
शेखर ने इस आपाधापी में बाबरी मस्जिद विवाद पर एक किताब भी लिखी है ! और अभी कुछ दिनों से कश्मीर पर काम कर रहा था ! कुछ कितबका मॅटर तक बना लिया था ! उतने में ही 370 समाप्त करने के कारण बोला कि अब तो पूरी किताब फिर से लिखने पडेगी ! मेरी तरफ से उसे कहना था कि “जो है उसे छाप दो 370 के बाद का भी कभी लिखना !” अब वासंती से ही अपेक्षा है कि वर्तमान दुख के समय से संवरने के बाद शेखर की कश्मीर पर की पंडू लिपि का प्रकाशन किया जा सकता है !
आखिर में महाराष्ट्र सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी काम में शेखर ने अपनी अर्थविषयक स्कॉलरशिप की वजह से मदद करने की शुरुआत की थी ! जो नेकी कर दरिया में डाल वाली बात मुझे लगतीं थी ! और उसी आपाधापी के वजह से वह नागपुर स्टेशन के एलिव्हेटर पर फिसलकर गिरने की वजह से उसने पच्चिस साल पहले दोनों घुटनों के जोड बदल लिए थे ! वह नागपुर के गिर जाने की वजह से टूट गए ! और उसके बाद दोबारा बदले ! लेकिन वही उसकी तबीयत खराब होने की शुरुआत हुई ! और अंत में आज शेखर अपने मे नही है ! वासंती और कबीर और रत्ना के लिए मेरे मन में बहुत बुरा लगता है ! कि बेमतलब शेखर को इन्हें खोना पड़ा है ! और मुझे दुख के साथ खिज भी हो रही है ! “कि आज की तारीख में शेखर जैसे उर्जावान साथी को खोना सोनाळकर परिवार के साथ हमारे देश और समाज का भी बहुत बडा नुकसान हुआ है ! मै अपनी तरफ से भावपूर्ण अभिवादन करता हूँ !”
डॉ. सुरेश खैरनार, 4 अगस्त 2023, नागपुर.