मुंबई: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मुंबई के 6 सीटों के लिए भी मतदान होना है। इसके लिए तमाम पार्टियों ने अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है। इस बीच मुंबई आकर एक बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा ने दूसरे बिहारी बाबू और मुंबई में कांग्रेस प्रत्याशी संजय निरुपम के लिए प्रचार किया और लोगों से वोट मांगे। मालाड के कुरार गांव में शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तर पश्चिम से संजय निरुपम और उत्तर मुंबई से कांग्रेस की उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर के लिए संयुक्त जनसभा किया।

 

जानकारी के मुताबिक शत्रुघ्न सिन्हा गुरुवार की शाम 7 बजे चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मोदी और महाराष्ट्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। दोनों सीटों पर उत्तर भारतीय मतदाताओं की महत्वपूर्ण मौजूदगी है। भाजपा को अलविदा कहकर हाल ही में कांग्रेस में आए सिन्हा मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकार विरोधी रुख को लेकर खबरों में बने रहे।

 

शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी छोड़ने की वजह बताते हुए अपने भाषण में कहा कि बीजेपी में स्वर्गीय नानजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की वजह से बीजेपी में गया था और मुझे हमेशा लगा कि ये देश को सही दिशा में ले जाएंगे। देश के गौरव, अश्मिता और सुरक्षा के साथ समझौता नही करेंगे। लेकिन अटल बिहारी के जाने के बाद इस पार्टी में लोकशाही तानाशाही में बदलने लगी।

 

पार्टी का घेराव कर डाला और पार्टी कुछ लोगों तक सीमित हो गई। तानाशाही चलने लगी और पार्टी का मूलरूप ही बदल गया। आज आप देखे तो समझ में आएगा कि कहा है अरुण सौरी, लालकृष्ण आडवाणी जी, यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी कहा गए वो सब जो देश के हित के लिए काम करते है। उन्हें दबा दिया गया है। मैंने सोचा लिया कि मैं ये ज्यादती बर्दाश्त नही करूंगा। किसी हालत में नहीं करूंगा, और मैंने आवाज उठाई।

 

शत्रुघ्न सिन्हा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, मोदी सरकार नोटबन्दी का फैसला लेकर आयी। ऐसा फैसला जिसने सामान्य लोगों को सड़क पर ला दिया और लोगों को पैसों के लिए तरसते देखा, नौजवान आत्महत्या करने लगे। मैंने विरोध में आवाज उठाई तो कहा आप पार्टी के विरुद्ध जा रहे हो। मैंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। नोटबन्दी का फ़ैसला अगर आम सहमति से बनता तो लालकृष्ण आडवाणी को पहले मालूम पड़ता। अरुण सौरी, यशवंत सिन्हा जी को पहले मालूम पड़ता लेकिन जब वित्तमंत्री को ही इस फैसले की जानकारी नोटबन्दी के बाद मालूम पड़ी तो ये कहा पार्टी का फैसला था।

 

शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि नोटबन्दी का फैसला कम था कि नीम पर करैले का स्वाद चढ़ा दिया और जीएसटी लाकर लोगों की जेब से पैसे निकाल लिए और व्यापारियों से लेकर छोटे धंधे लगाने वालों को बर्बाद कर दिया। लोगों को सड़कों पर बिठा दिया मैंने आवाज उठाई तो कहा गया कि आप बगावत कर रहे है। हमने भी कह दिया कि सच बोलना अगर बगावत है तो हां हम हैं बागी। इसी बात पर पार्टी में उपेक्षा की जाने लगी।

 

उस वक्त राहुल गांधी ने बुलाया और बताया कि ये कांग्रेस वो पार्टी है जो देश हित के लिए सोचती है और सच कहूं तो राहुल गांधी वो आदमी हैं जो कहते हैं वो करते हैं। राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के एक साल के अंदर ही तीन राज्यों में सरकार बनाई और कर्ज माफी का वो वादा महज 5 दिनों के अंदर पूरा किया। यही वजह है कि विरोधी डरने लगे।

बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा खुद पटना साहिब से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं, जहां वोट डाले जा चुके हैं। सिन्हा कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शामिल हैं।

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