हिंदी साहित्य में विभिन्न विमर्शों के वैश्विक महत्त्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से गत सप्ताह चेन्नई के टी. नगर में स्थित श्री शंकरलाल सुदरबाई शासुन जैन महिला महाविद्यालय में दिनांक 23 से 29 दिसंबर तक हिंदी विभाग के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन एफ.डी.पी. का कार्यक्रम आयोजित किया हुआ। इस मौके पर भारत के प्रतिष्ठित दलित विमर्श के विचारक, राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार व ‘बयान’ पत्रिका के सम्पादक श्री मोहनदास नैमिषराय ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर इस अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन एफ.डी.पी. का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने भाषण में दलित साहित्य के विविध आयामों व दलितों के प्रमुख सामाजिक बिंदुओं पर प्रकाश डाला। इस एफ.डी.पी. की समन्वयिका व श्रीशंकरलाल सुदरबाई शासुन जैन महिला महाविद्यालय की हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ. सरोज सिंह ने स्वागत भाषण दिया तथा एफ.डी.पी. के बारे में सभी प्रतिभागियों को संक्षिप्त रूप से जानकारी दी।
एफ.डी.पी. के अन्य सत्रों में विशिष्ट अतिथि की भूमिका में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों, विदुषी साहित्यकारों ने अपने-अपने विषयगत व्याख्यानों से प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया। अतिथियों में राजस्थान से डॉ. राज पाल वर्मा ने लैंगिक समझ, कानूनी महिलाओं का अधिकार विषय पर अपने विचार रखे। चीन के गुयांगडौंग यूनिवर्सिटी के भाषा विभाग के प्रवक्ता डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने ‘हिंदी का वैश्विक स्वरूप-चीन के संदर्भ’ में विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। चुरू, राजस्थान के ओ.पी.जे.एस यूनिवर्सिटी की सहासक प्राध्यापिका डॉ. मोनिका देवी ने ‘इक्कीसवीं सदी में नव विमर्श’ पर अपने व्याख्यान में किन्नर विमर्श पर अपने विचार उजागर किए। अमृतसर, पंजाब के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मधु संधु ने ‘हिंदी कहानी में नारी उत्पीड़न और सशक्तिकरण’ के विषय पर अपने व्याख्यान से सबको सराबोर किया। हिंदी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंड़ीगढ़ के सहायक प्राध्यापक व ताशकंत विश्वविद्यालय, उज़बेकिस्तान के अतिथि प्राध्यापक डॉ. गुरमीत सिंह ने ‘मीडिया और पत्रकारिता’ के विभिन्न पहलुओं और साथ में उनकी बहुआयामी उपयोगिता को अपने संबोधन में रेखांकित किया। इसी के साथ मौरीशस की हिंदी अध्यापिका, कवयित्री और साहित्य विदुषी डॉ. सुरीती रधुनंदन ने एक नवीन विषय ‘पुरुष विमर्श’ पर अपने विचार साँझे किए। सभी व्याख्याताओं ने प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर संतोषजनक ढंग से दिए। इस एफ.डी.पी. में लगभग 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
एफ.डी.पी. में तकनीकी सहयोग व ऑनलाइन प्रबंधन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. उमा का रहा। महाविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ. सरोज सिंह ने कॉलेज प्रबंधन के सहयोग की सराहना करते हुए सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं को धन्यावाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया।