राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वरूप अब बदलता जा रहा है. भाजपा शासित राज्यों में वह अपनी छवि को उग्र एवं हिंसक हिंदूवादी छवि में परिवर्तित कर रहा है. मध्य प्रदेश में तो ऐसा सा़फ दिखने भी लगा है. आरएसएस की शह पर ही राज्य के अधिकारियों के हौसले भी बुलंद हैं. हर अधिकारी ख़ुद को आरएसएस की विचारधारा के क़रीब दिखाना चाहता है. पिछले दिनों दशहरा के अवसर पर आयोजित होने वाली शस्त्र पूजा में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. शस्त्र पूजा के दौरान जहां राजधानी के पुलिस अधीक्षक जयदीप प्रसाद ने ख़ुद जमकर हवाई फायर किए, वहीं उनके सात वर्षीय बेटे ने भी हवा में गोलियां चलाईं. और तो और, संघ का एक कार्यकर्ता किसी अन्य के असलहे से निकली गोली का शिकार होकर अचानक काल के गाल में समा गया. संघ के स्वयंसेवकों ने दशहरे के दिन राज्य के कई हिस्सों में जमकर फायरिंग की. चूंकि, इस हवाई फायरिंग को शस्त्र पूजा से जोड़कर देखा जा रहा है, इसलिए पुलिस ने भी किसी के ख़िला़फ कहीं कोई मामला दर्ज़ नहीं किया.दशहरे के दिन मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में संघ कार्यकर्ताओं द्बारा अवैध रूप से हथियार लेकर बाहर निकलने की ख़बरें सुनने को मिली हैं. मालूम हो कि विजयादशमी का त्योहार संघ की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पथ संचालन के अलावा संघ कार्यकर्ता सामूहिक रूप से शस्त्रों की पूजा करते हैं. राज्य में भाजपा की सरकार होने के कारण इस बार बिना किसी पूर्व अनुमति के शस्त्र पूजन के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों पर शस्त्र संचालन का कौशल भी इन कार्यकर्ताओं द्वारा बेख़ौ़फ दिखाया गया. यही नहीं, राज्य के प्रशासनिक अधिकारी भी संघ की इस शस्त्र पूजा में खुलकर शामिल हुए.
भोपाल के पुलिस अधीक्षक जयदीप प्रसाद ने न स़िर्फ ख़ुद हवाई फायर किए, बल्कि उनके सात वर्षीय बेटे को भी पुलिसवालों ने हवाई फायर का ग़ैर-कानूनी अवसर प्रदान किया, जबकि क़ानून के अनुसार किसी अवयस्क के हाथों में कोई हथियार होना या उसका संचालन वर्जित है. राजधानी पुलिस जिस समय संघ कार्यकर्ताओं के साथ एसपी साहब के उत्साह को बढ़ा रही थी, उसी समय कहीं से आई एक गोली शस्त्र पूजा कार्यक्रम में शामिल संघ कार्यकर्ता नरेश मोटवानी की गर्दन को भेद गई और मौक़े पर ही उनकी मौत हो गई. पुलिस ने मामले की जांच किए बिना ही इसे महज़ एक हादसा करार दे दिया. जबकि मोटवानी के बेटे ने इसके पीछे हत्या का संदेह व्यक्त किया है. संघ कार्यालय में हुई इस घटना के दौरान क़रीब पचास स्वयंसेवक मौजूद थे. इस तरह की वारदातों से भले ही आम जनजीवन प्रभावित होता हो, किसी की जान जाती हो, लेकिन संघ के लोगों का यह मानना है कि शस्त्र संचालन की इस परंपरा से कार्यकर्ताओं में एक नया आत्मविश्वास पैदा होता है. उधर, खरगौन ज़िला शस्त्रागार में हुई पूजा के दौरान एसएलआर से अचानक फायर हो गया और गोली खरगौन के पुलिस अधीक्षक प्रमोद वर्मा की कनपटी के पास से होकर गुज़र गई. यदि वर्मा अपनी जगह से थोड़ा भी इधर-उधर होते तो वह किसी बड़े हादसे काशिकार हो सकते थे. यह बात अलग है कि इसके बावजूद, पुलिस अधिकारियों ने पूजन के बाद शस्त्रागार में उपलब्ध एसएलआर से जमकर हवाई फायरिंग की.
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