साथियों यह फोटो शांतिनिकेतन के, महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने 1863 में ! यानी ढेढ सौ साल पहले शुरूआत किया गया शिक्षा का केंद्र है ! जो आजकल, केंद्रीय विश्वविद्यालय के श्रेणी में आता है ! इस फोटो में, विश्वभारती के विद्यार्थीयो का आंदोलन चल रहा है ! तो विद्यार्थियों ने, कुलपति के कार्यालय को घेराव किया है ! उसे तोड़ने के लिए, कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने, सुरक्षा कर्मियों के साथ खुद भी ! शामिल होकर विद्यार्थियों के उपर पथ्थर फेके है ! ऐसा इस समाचार में लिखा है !

https://www.etvbharat.com/hindi/uttar-pradesh/bharat/west-bengal-vice-chancellor-of-visva-bharati-university-surrounded-by-students-vc-threw-stones-at-students/na20221213214141268268402

यह वही आदमी है जिसने शांतिनिकेतन के, रस्ते के किनारे, कुछ स्थानीय लोग, अपनी बांस या स्थानीय संसाधनों से बनाई हुई, कलाकृतियों को बनाने के बाद, बेचने के लिए बैठते थे ! तो इन्होंने वह सब बंद करने का फतवा जारी किया था ! जिसका अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता ! प्रोफेसर अमात्य सेन के मा-बाबा ने अपने खुद के पैसों से जमीन लेकर ! बनाया हुआ पुस्तैनी घर में, वह जब भी कभी भारत आते हैं ! तो रहते हैं ! और उन्होंने उन रस्ते के किनारे, अपनी कलाकृतीया, बेचने वाले लोगों के पक्ष में ! कहा कि ” विश्वभारती की वर्तमान जमीन मुलतः संथालो की मातृभूमि है ! और देवेन्द्रनाथ ठाकुर तो कलकत्तावासी होने के बावजूद ! यहां शांति तथा साधना के लिए ! कभी-कभी आने के लिए ! रायपुर जमींदारों से लीज पर ! इस जमीन को लेकर, अन्य गतिविधियों को कर रहे थे ! जिसे उनके बेटे, रविंद्रनाथ ने पहले पाठा भवन, और बाद में, विश्वभारती का विस्तार किया है ! लेकिन स्थानीय लोगों को अपने जीवीका के लिए ! अगर अपने ही वस्तुओं को बनाने के बाद ! रस्ते के किनारों से हटाने की कृति करने वाले वर्तमान कुलपति महोदय को ! शायद मालूम नहीं है ! “कि रविंद्रनाथ टागौर ने इसिलिये ! दिसंबर महिने में बाऊल मेला आयोजित करने की परंपरा डेढ़ सौ साल पहले शुरूआत किया गया ! पौष मेला, जो कोविद के आड में बंद कर दिया गया ! और अब कोविद का हौवा नही होने के बावजूद ! कुलपतिने पिछले साल के भी पौष मेला को इजाजत नहीं दी ! तो लोगों ने अपनी पहलसे “बंगला सांस्कृतिक मंच” के नाम से ! पिछले साल और इस साल भी करने का प्रयास कर रहे हैं !) लेकिन वर्तमान कुलपति के इस तरह की हरकतों को देखते हुए लगता है कि !”इस आदमी को रविंद्रनाथ टागौर की विरासत को मिटाने के लिए विशेष रूप से भेजा गया है !


जिसे लेकर अमर्त्य सेन ने कहा कि” उन्हें उनकी जीविका चलाने के लिए यह सब गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के बजाए ! उन्हें हटाने की कृती ठीक नहीं है ! ” तो वर्तमान कुलपति ने उनके पैतृक निवास स्थान पर भी ! जमीन हड़पने का आरोप लगा दिया ! और सबसे हैरानी की बात विश्वभारती विश्वविद्यालय के ! विभिन्न विभागों को नुकीले कांटों के तारों की बाडमे बंद कर दिया है !
उन्होंने तो, शांतिनिकेतन के महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर के समय से रहते आ रहे ! लोगों के घर, और विश्वभारती के बिचमे सिमेंट कॉंक्रिट की दिवारें बनाने के बाद ! गेट लगाने की कोशिश की है ! लेकिन पुराने रहिवासी, जिन्होने और उनके पुरखों ने, विश्वभारती के निर्माण में योगदान दिया है ! और उनके पुरखों ने अपने आपको खपा दिया है ! उन सभी के विरोध के कारण ! दिवारें तो बन गई है ! लेकिन उनके घर और विश्वभारती के बीच में गेट नही लगने दिए !


दुसरी बात पिछले साल इन्हीं तारीखों में मै ! शांतिनिकेतन में दो हप्ते के लिए था ! तो शांतिनिकेतन के हर लैम्प पोस्ट पर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के फोटो लगे हुए देखकर ! मैंने स्थानीय लोगों को पुछा “कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का शांतिनिकेतन के साथ कोई संबंध रहा है क्या ?” तो लोगों ने कहा कि “कुछ भी नहीं रहा !” तो शांतिनिकेतन के परिसर में उनके फोटो लगाने का औचित्य ? जैसे सावरकर के फोटो, साबरमती के आश्रम में लगाएं जा रहे हैं ! बीजेपी के साडे आठ साल के राज में ! शहरों के नाम बदलने से लेकर, उनके अपने श्रद्धेय लोगों की मूर्तियां या फोटो या, उनके नाम से शहरों या रास्तों के नाम देने को छोड़कर ! और कुछ करने की जगह, बहुजन समाज के लोगों के लिए ! पहले की सरकारों ने जो भी कुछ, सहुलियत या वजीफे या फिसो में कमी की थी, जिससे गरीब – गुरबा के बच्चों को ! जेएनयू जामिया, अलिगढ हैदराबाद तथा शांतिनिकेतन के जैसे जगह पर जाकर पढ़ने का मौका मिला था ! लेकिन संघ के ब्राम्हणवादी मानसिकता के कारण ! चंद उंची जातियों के लोगों के बच्चों को छोड़कर ! अन्य लोगों को वापस पांचहजार साल पुराने, मनुस्मृति के अनुसार जीने के लिए, मजबूर कर रहे हैं ! और वह मनुस्मृति के अंदर की जातियों के लोगों को ! पिछले तिस – पैतिस सालों से गलत फहमी हो गई है ! “कि वहीं हिंदु धर्म के असली वारिस हैं !” और इस कारण वह दंगों में शामिल होकर ! अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ, हिंसा करने से लेकर, उनके बहु – बेटियों के साथ अत्याचार करने में, आगे रहते हैं ! आज की तारीख में, भारत की सभी पिछडी जाती के लोग संघ की ध्रुवीकरण की राजनीति में बडे पैमाने पर शामिल हो गए हैं ! यह हमारे सभी परिवर्तनवादी समुहो के साथीयो ने ध्यान में लेने की जरूरत है !


अगर यह सही है ! तो शायद भारत के शिक्षाके क्षेत्र में ! यह पहले कुलपति होंगे, जिन्होंने विद्यार्थियों के उपर हमला किया होगा ! और सबसे हैरानी की बात ! विश्वभारती के भी इतिहास में ! पहली बार किसी कुलपति ने ऐसी हरकत की होगी ! भारतीय जनता पार्टी की, केंद्र में 2014 में सरकार आई है ! उसके तुरंत बाद ही, जेएनयू और जामिया ! तथा हैदराबाद के केंद्रीय विश्वविद्यालय, के रोहित वेमुला नाम के, दलित विद्यार्थी की हत्या हुई है ! मुद्दा था फीस और स्कॉलरशिप को लेकर चल रहे आंदोलन को ! एबीवीपी तथा स्थानीय बीजेपी के लोगों ने ! हैदराबाद के उस विश्वविद्यालय में घुसकर, रोहित वेमुला के साथ बदसलूकी की है ! और उसी कारण उसने आत्महत्या की है !
तथा जेएनयू के बायोटेक्नॉलॉजी विभाग के, नजिर नाम के एक विद्यार्थी के साथ, माही नाम के होस्टेल के, 116 नंबर के कमरे में ! आधी रात को एबीवीपी के लोगों ने, नजिब के साथ मारपीट की थी !


इस घटना को लेकर, आज आठ साल हो चुके ! लेकिन उसकी मां दर – दर की ठोकरें खां रही ! लेकिन नजिब का अता-पता नही है ! मैं खुद 2016 के नवम्बर माह के अंत में, जांच करने गया था ! इसलिए मुझे, उसके होस्टल और कमरे का नाम नंबर, याद आ रहा है ! लेकिन मै ! लगभग जेएनयू के स्थापना के समय से आने – जानेवाले लोगों में से हूँ ! लेकिन 2016 नवंबर को, मुझे आसानी से माही होस्टल में घुसने नही दिया गया था ! बाकायदा एबीवीपी के लोग पहरा दे रहे थे ! और मुझे पुछा “की आप कौन हो ?” तो मैंने भी कहा ! “कि मैं नजिब का चाचा हूँ ! और अपने भतीजे को मिलने आया हूँ !” तब कहीं उन्होंने मुझे माही होस्टल के कमरे तक जाने दिया ! लेकिन वह भी साथमे थे ! जब कमरे को ताला देखा ! तो मै वापस आकर माही होस्टल के सामने वाले लॉन पर बैठा ! तो वह लोग भी शामिल हुए ! तब मैंने अपने सही परिचय देते हुए ! कहा” कि मैंने अपने जीवन में, सौ से अधिक दंगे या आतंकवादी घटनाओं की जांच-पड़ताल की है ! और मै खुद विद्यार्थि आंदोलन से आया हूँ ! और किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूँ ! और नही बनने की संभावना है ! मै राष्ट्र सेवा दल, तथा जयप्रकाश नारायण ने बनाएं हुए संघठन, तथा युद्ध विरोधी और सबसे मुख्य सांप्रदायिकता के खिलाफ काम कर रहा हूँ ! और इसिलिये नजिब के गायब होने की घटना की जांच करने के लिए, विशेष रूप से आज जेएनयू के केंपस में आया हूँ ! अब आप लोग भी सही – सही बताओ, तो कोई बोलने लगा कि “सर नजिबको पागलपन के दौरे पडते थे.! तो मैंने कहा कि” जो लडका जामिया और जेएनयू इन दोनों सेंट्रल यूनिवर्सिटी की बायोटेक्नॉलॉजी की प्रवेश परीक्षा उंची श्रेणियों में पास करता हो ! और जेएनयू ज्यादा अकादमीक संपन्न है ! इसलिए इस युनिवर्सिटी में प्रवेश लेता है ! उसे आप लोग पागलपन का शिकार बता रहे हो ! मै डॉक्टर हूँ ! और पेशंट के बिमारी को लेकर हम लोग इन सभी मुद्दों पर गौर करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं ! नजिबको पागल करार देने की बात मेरे पल्ले नहीं पड रही है ! और अगर वह पागल था ! तो आधी रात को उसके कमरे में घुसकर मारना क्या पागलपन के इलाज में आता है ?” तो वह बगले झांकने लगे थे ! और मै समझ गया था, कि उन बच्चों को यही कहकर तैनात किया गया था !


और कोइन्सिडन्सली, उसी समय कन्हैया कुमार और उसके बाद अन्य विद्यार्थियों के साथ ! एक साजिश के तहत, झी टीवी चैनल और अर्नव गोस्वामी उस समय टाईम्स नॉऊ चैनल में था ! और उसने और झी टीवी चैनल ने, कन्हैया और उसके साथ के बच्चे नये – नये टीवी जैसे माध्यमों का सामना कर रहे थे ! तो झी और टाईम्स नॉऊ ने उनके मुहमे, गलत – सलत बाते ठुसकर, संपूर्ण देश में फैलाया ! एबीवीपी और संघ के अन्य ईकाईयो ने ! जेएनयू को युद्धभूमि में तब्दील कर दिया है ! लगभग वही हाल जामिया और अलिगढ के केंद्रीय विश्वविद्यालय में करने की कोशिश संघीयोकी जारी है !
मद्रास आईआईटी के डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी के नाम से, स्टडी सर्कल चल रहा था ! उसे बंद करने के खिलाफ ! विद्यार्थियों के आंदोलन को खत्म करने के, हथकंडे समस्त विश्व को मालूम है ! इसी तरह मेडिकल कॉलेज के ! दलित और पिछडी जातियों के विद्यार्थियों को ! स्कॉलरशिप बंद करने का फैसला ! और सभी विश्वविद्यालय, तथा आईआईटी तथा, मेनेजमेंट के कॉलेजों की फिस सौ से अधिक गुना बढ़ाने के निर्णय को लेकर, भी विद्यार्थियों के आंदोलनों को, संघ की विभिन्न ईकाईयो ने ! नब्बे साल पहले के नाजीवादी जर्मनी के, स्टॉर्म स्टुपर्स के जैसा हमले करके ! लगभग सभी आंदोलनों को कुचल दिया है !
क्योंकि भारतीय जनता पार्टी पूंजीवाद की समर्थक, पार्टी होने के कारण ! वह नहीं चाहते हैं ! “कि भारत में कोई वेल्फेअर स्टेट जैसे स्किम्स चले !” इसलिये सरकारी अस्पतालों से लेकर, सभी जगहों पर, हर बात की दरों में बढ़ोतरी की गई है ! और वही बात शिक्षा के क्षेत्र में भी ! जितने भी सरकारी शिक्षा के केंद्र हैं ! सभी की फिस बेतहाशा बढाई गई है ! और इन सब बातों को लेकर आंदोलन हुए ! तो उन्हें कुचलने के लिए संघ की विभिन्न ईकाईयो ने ! हरावल दस्तों का काम किया है ! और सबसे हैरानी की बात इन सभी आंदोलनकारियों को ! देशद्रोही बोलने का, एक नया अध्याय, देखने में आ रहा है !
मै खुद अपने विद्यार्थि जीवन में, 70 के दशक में ! विद्यार्थि आंदोलन में शामिल था ! और उस समय कांग्रेस की सरकारों के साथ ! हमारे संघर्ष में, शामिल लोगों में, कम्युनिस्टों से लेकर जनसंघ, और उसका मातृ संघठन, आर एस एस और एबीवीपी भी ! ( वर्तमान बीजेपी ) शामिल थे ! तब हम सभी देशभक्त थे !


उल्टा श्रीमती इंदिरा गांधी ने ! जयप्रकाश नारायण को, देशद्रोही करार दिया था ! तो जनसंघ तथा संघ की सभी इकाइयों ने, आपत्ति जताई थी ! आज वह सत्ता में आने के बाद खुद देशभक्त हो गए ! और विरोध करने वाले सभी लोग देशद्रोही ! मतलब सत्ता में जाने वाले सभी लोग देश भक्त ! और विरोध करने वाले देशद्रोहियों में ! शुमार करने की संघ के लोगों को क्या थोड़ी भी लाज – शर्म नहीं है ? कि कभी उन्होंने भी विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया है !
एन आर सी के, आंदोलनवालो से लेकर, किसानों के आंदोलनोंसे, लेकर विद्यार्थियों के साथ ! वर्तमान सरकार, और उसके समर्थक, संघ की ईकाईयो के व्यवहार को क्या कहेंगे ?


और विश्वभारती जैसे ! रविंद्रनाथ टागौर की स्थापना की हुई ! जगह पर कुलपति पदपर बैठे हुए ! आदमी को विद्यार्थियों के उपर, पथ्थर फेंकने का समाचार पढकर ! लगता है कि “भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मंत्रिमंडल से लेकर ! मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद और कुलपति तक ! आपका क्वालिफिकेशन और जो भी हो ! लेकिन क्रिमिनल के हिसाब से भी ! आप के नाम पर और कितने गुनाह मौजूद हैं ! शायद यह भी एक, उसे चुनने की पूर्वशर्त है ! प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पायल कुलकर्णी, यह ताजे उदाहरण है ! वर्तमान समय में, विश्वभारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती का भी चयन उसी आधार पर किया गया होगा ! अन्यथा उनके अकादमीक काम के बारे में कोई जानकारी नहीं है ! और ऐसे लोगों को विश्वभारती विश्वविद्यालय जैसी जगह पर शायद जानबूझकर नियुक्त किया गया है ! कि रविंद्रनाथ टागौर और महर्षी देवेन्द्रनाथ ठाकुर की विरासत को खत्म करने का काम करेंगे !


महात्मा गाँधी जी के स्मारकों को कब्जे में लेकर ! राजघाट से साबरमती के आश्रम में ! तथाकथित विस्तार के नाम पर, संघ के वैचारिक विस्तार जारी है ! राजघाट पर से निकलने वाली पत्रिका ! ‘अंतिम जन’ का सावरकर विशेषांक ! निकालकर महात्मा गाँधी जी के शारीरिक हत्या के बाद अब वैचारिक हत्या का प्रयास जारी हैं ! वैसाही साबरमती के आश्रम में विस्तार के नाम पर सावरकर के फोटो लगाना किस विस्तार का परिचायक है ? सुना है कि “अंतिम जन का नया अंक नथुराम गोडसे के उपर आ रहा है !” शायद विद्युत चक्रवर्ती को विश्वभारती के कुलपति बनाने के पिछे ! रविंद्रनाथ टागौर और महर्षी देवेन्द्रनाथ ठाकुर की ! विरासत को खत्म करने की साजिश है !
डॉ सुरेश खैरनार 15 दिसंबर 2022, नागपुर

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