बिहार के तक़रीबन 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के वेतन से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. जहां कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है.इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका मंजूर कर ली है. जिसके बिहार सरकार की तरफ से कहा गया था कि पटना हाईकोर्ट के आदेश
से राज्य सरकार पर करीब 9500 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ेगा.

दरअसल बिहार सरकार का कहना था कि राज्य में लगभग चार लाख नियोजित शिक्षक हैं. ऐसे में अगर फैसला शिक्षकों के पक्ष में आता है तो उनका वेतन करीब 35 से 40 हजार हो जाएगा. सरकार ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया था कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है. जबकि इससे पहले सरकार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है. बिहार सरकार की दलील को केंद्र सरकार ने सही ठहराया है और कहा है कि अगर शिक्षकों की बात मानी गई तो और राज्यों में भी ये मांग उठेगी. गौरतलब है कि नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 फीसद राशि केंद्र सरकार को ही देना है.

आपको बता दें कि 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था और कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी

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