नई दिल्ली, (विनीत सिंह) : सुप्रीम कोर्ट ने बुद्धवार को सहारा-बिड़ला डायरी मामले में जांच कराने की मांग को ठुकरा दिया है. कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की जांच की मांग ठुकरा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच कराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से भी इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कुछ कागजों के आधार पर एफआईआर का आदेश नहीं दिया जा सकता. ऐसा करने की लिए सबूतों की आवश्यकता है.
आज कोर्ट में याचिकाकर्ता कॉमन कॉज़ के वकील प्रशांत भूषण ने लगभग 2 घंटे तक कोर्ट को एफआईआर दर्ज करने के लिए अपना पक्ष रखा लेकिन कोर्ट ने सबूतों को नाकाफी बताते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया.
इनकम टैक्स की एक रेड में सहारा के ऑफिस से एक डायरी मिली थी, जिसमे कथित तौर पर यह लिखा है की 2003 में गुजरात के मुख्यमंत्री को 25 करोड़ रुपये घूस दी गई। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इनके अलावा तीन और मुख्यमंत्रियों को भी कथित घूस दी गई। इस डायरी के आधार पर ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाए थे।
कोर्ट के फैसले के बाद प्रशांत भूषण ने कहा की ये फैसला दुभाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट एक तरफ कहता है कि कानून सबके लिए बराबर है दूसरी तरफ कहता है कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के खिलाफ कम सूबूतों के आधार पर जांच नहीं बैठायी जा सकती. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में एक रैली के दौरान आरोप लगाया था कि सहारा ग्रुप से मिली डायरी में पीएम मोदी का नाम लिखा था और उन्हें पैसे दिए गए हैं.