गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने शादी के बाद पत्नी के धर्म परिवर्तन को लेकर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह कहता है कि शादी के बाद पत्नी का धर्म पति के अनुसार तय होगा.
दरअसर गुलरुख एम. गुप्ता नामक पारसी मूल की महिला ने हिंदू शख्स से शादी की थी. वह अपने अभिभावक के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन वलसाड पारसी बोर्ड ने इसकी इजाजत नहीं दी थी.
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पारसी महिला की हिंदू पुरुष से शादी के बाद धर्म परिवर्तन के मामले पर कही है. इतना ही नहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ टिप्पणी की है कि दूसरे धर्म में शादी करने से ही पत्नी का धर्म नहीं बदल जाता है.
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बता दें कि मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, अशोक भूषण, डीवाई चंद्रचूड़ और एएम खानविलकर की एक बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा कि शादी के आधार पर किसी महिला को उसके मानवीय अधिकारों को कोई नहीं छीन सकता है ना ही इससे दूर रखा जा सकता है.
बेंच ने वलसाड पारसी ट्रस्ट से कहा कि 14 दिसंबर को यह बताएं कि हिंदू व्यक्ति द्वारा शादी करने वाली पारसी महिला को उसके माता-पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति मिल सकती है या नहीं.