महात्मा गाँधी के 74 वी पुण्य तिथि पर मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के बोल!
यह आजके नवभारत हिंदी अखबार में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव की अपनी उच्च शिक्षा के ज्ञान का प्रकाश जो सोशल मीडिया में ! उन्होंने इस बार के दिल्ली में आयोजित प्रजासत्ताकदिन को “सिर्फ सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे ! और फर्जी पिताजी, फर्जी चाचा, न लोहे की महिला थी !”॰


अगर यह सच है तो फिर वर्तमान केंद्र सरकार की ओछी मनोवृत्ती का भी परिचय दे रहे हैं ! जो पहले ही महात्मा गाँधी की प्रिय धुन अबाइड वुइथ मी जिसे आज शाम को रिट्रीट परेड में बजाया जाना था ! उसे हटाने के निर्णय का विवाद जारी है ! उसमें मोहन यादव ने और यह और एक विशेष जानकारी दी है ! शायद उनका इशारा, फर्जी पिता (महात्मा गाँधी!), फर्जी चाचा (भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू) और लोहे की महिला (शायद उनका इशारा श्रीमती इंदिरा गांधी के बारे मे है !) और यह आदमी मध्य प्रदेश के वर्तमान सरकार मे उच्च शिक्षा मंत्री पद पर विराजमान है !


2014 से बीजेपी केंद्र में सत्ता में आई है तबसे महात्मा गाँधी और विशेष रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ विषवमन करने का प्रयास संघ के लोग लगातार कर रहे हैं ! उसमे किसी सिनेमा वाले लोगों को भी शामिल कर के और भी अधिक मसाले डाल कर, आजादी के पचहत्तर साल के कार्यक्रम एक तरफ करते हुए दुसरे तरफ यह आजादी भीक के रूप मे मीली है ! जैसे बयान दिलाने की कृतियों को संघ खुद आजादी के आंदोलन से नादारद रहने के गुनाहों पर पडदा डालने का षडयंत्र भी हो सकता है!
और महात्मा गाँधी के चौहत्तर साल पहले की हत्या को सही ठहराने के लिए गोडसे से लेकर सावरकर के महीमा मंडन अलग – अलग मंचों से और अलग – अलग लोगों के मुहसे करवाने की कवायद एक संघटीत गिरोह का भाग है !
संघ समुद्र के अंदर रहने वाले आक्टोपस नाम के जीव जैसा शेकडो की संख्या में टहनियां के जैसा है और उसके लोग जीवन के हर क्षेत्र में फैले हुए हैं ! मोहन यादव तो बीजेपी कार्यकर्ता और बहुत संभावना है कि वह बचपन से ही संघ की शाखा से निकल कर आज राजनीति में सक्रिय रूप से और महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू तथा श्रीमती इंदिरा गांधी के बारे मे इस तरह के वक्तव्य दे रहे हैं ! ऐसे मोहन हजारों की संख्या में देश भर में फैले हुए हैं !


और मैंने कल ही अबाइड वुइथ मी के बहाने संघ की स्थापना सौ साल पहले इटली और जर्मनी के फासीस्ट और नाझी संगठनो की हूबहू नकल कर के खड़ा किया संघठन है ! यहां तक की इस संघठन के ड्रेस कोड तक उन्ही की नकल कर के और ड्रील अर्धमिलिटरी प्रशिक्षण के लिए बाकायदा इटली की यात्रा से लौटने के बाद डॉ बी जी मुंजे ने नागपुर और नासिक में भोसला मिलिटरी स्कूलों की स्थापना की है !
जो मालेगांव बमों के कांडों के बाद काफी विवाद में भी रहे है ! शहिद हेमंत करकरे की जांच में नासिक और नागपुर के दोनों मिलिट्री के स्कूलों में बमबारी करने के लिए कैसे प्रशिक्षण दिया गया था यह भी तथ्य सामने आया है !

मेरी गोद में मनोहर मलगावकर की किताब द मेन हू किल्ड गांधी किताब है और उसमे मनोहर मलगावकर ने काफी मेहनत से गांधीजी के मारे जाने के लिए गोडसे बंधुओं के कारनामों के साथ उनके नाते – रिश्ते के लोगों के साथ हुई बातचीत और पत्राचार भी पत्रों के जेरॉक्स कापी किताब में दी हैं और सबसे हैरानी की बात जो भरी अदालत में सावरकर ने साफ – साफ कहा कि मुझे रोज काफी लोग मिलने के लिए आते हैं उसमे नाथूराम भी आया होगा ! लेकिन मैं इसे जानता नहीं हूँ ! और नाथूराम ने भी शपथ के साथ कहा कि मेरे सावरकर के साथ कोई भी संबध नही है ! जो कि गोडसे के पिता जी का रत्नागिरी के पोस्ट आॅफीस में तबादला हुआ था जबकि सावरकर उस समय रत्नागिरी में अंग्रेजो से माफी मांगने के बाद हाऊस अरेस्ट थे और तब नाथूराम पंद्रह साल से भी कम उम्र का था और उसने स्कूल जाना बंद कर के सुबह से शाम तक सिर्फ सावरकर के साथ रहते हुए अपने मराठी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान सावरकर से प्राप्त किया है और उसके साथ और भी ज्ञात – अज्ञात बातें शामिल हैं ! जिसमें गांधी जी की हत्या की योजना भी शामिल होने की संभावना है ! क्योंकि सावरकर ने इंग्लैंड में बैरिस्टर की शिक्षा के बाद शायद ही कोई प्रॅक्टिस की है तो हत्या के लिये एक से बढ़कर एक युवक को तैयार करने के लिए और अपने आपको बचाने के लिए ही पूरी बैरिस्टरी उन्होंने उपयोग में लाया है ! और लगभग हर हत्या के मामले में वह बरी हुए हैं ! जैसे गांधी जी की हत्या के मामले में भी उनके शिष्य नाथूराम और गोपाल गोडसे तथा आपटे तथा अन्य लोगों के सावरकर के साथ बाकायदा फोटो भी है !
मुख्य मुद्दा महात्मा गाँधी जी की चौहत्तर वी पुण्य तिथि और देश की स्वतंत्रता के पचहत्तर साल के कार्यक्रम के दौरान जीस तरह का दुष्प्रचार संघ परिवार के तरफसे चल रहा है और वर्तमान केंद्र सरकारने अबतक ऐसे किसी भी व्यक्ति या संगठन के उपर कारवाई करना तो दूर की बात है ! प्रधानमंत्री या गृह मंत्री ने अबतक एक बार भी इस तरह के लोगो को लेकर कोई बयान नहीं दिया है !
हा प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जब भोपाल से लोकसभा सदस्य बनने के लिये चुनाव प्रचार में नाथूराम गोडसे के तारिफ के पूल बांधे थे तब प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कभी भी माफ नहीं करूंगा ! और उसके सजा के तौर पर वह महिला आज भोपाल से संसद सदस्य के रूप में हमारे देश की सर्वोच्च संस्था की सदस्य हैं और कई कमेटी की मेंबर है और चुनाव के बाद भी उसने और भी आपत्ति जनक बयान दिए हैं ! और वह मालेगाव बमब्लास्ट केस मे कि आरोपी है और कोर्ट में सुनवाई जारी है !
संघ के प्रातःकालीन स्मरण मे महात्मा गाँधी का भी समावेश है ! तो फिर गांधी जी को लेकर संघ के स्वयंसेवकों की यह नफरत कैसी ? कोई उनके फोटो पर गोलियां चलाता है तो कोई उनके हत्या करने वाले नाथूराम के मंदिर बनाया है ! तो कोई असली महात्मा तो गोडसे ही था जैसे बयान देते हैं ! क्या संघ परिवार की प्रातस्मरण में भी गांधीजी के खिलाफ नफरत करने का स्मरण किया जाता है ? क्योंकि गांधीहत्या में नाथूराम गोडसे और नारायण आपटे यह दो को फांसी की सजा दी गई है ! और उसके छोटे भाई गोपाल गोडसे, विष्णु करकरे, और मदनलाल पहवा कुछ समय के बाद जेल से बाहर आने के बाद करकरे ने एक मुलाकात में कहा कि मैं कभी भी नाथूराम की आंखों से आख नही मीला सका क्योंकि वह बारह महीनों चौबीस घंटे इस बुढ्ढे को कब और कैसे खत्म करू इस जुनून में रहने की वजह से उसकी आंखों में एक भयानक बदले की भावना रहने के कारण मुझे उससे डर भी लगता था ! रत्नागिरी के सावरकर के सोहबत में जैसे हम कथा – कहानी में विषकन्या के बारे मे पढते है ! बिल्कुल वैसे ही विषयुवक तैयार करने के प्रयोग का एक हिस्सा नाथूराम रहा है !
और लगभग संघ के प्रशिक्षण में अल्पसंख्यक समुदायों से लेकर महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और हाल के वर्षों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका को जिस तरह से संघ परिवार के लोगों को बोलते – लिखते हुए देखता हूँ कि बिल्कुल मोहन यादव या प्रज्ञा सिंह ठाकुर तथा अन्य स्वयंसेवक चरित्र हरण करने की मुहिम लगातार करते रहते हैं!
आपातकाल में हमारे साथ संघ के भी लोग जेल में बंद थे ! तो निठल्ला पन के शिकार बैठे – बैठे गप्प लडाने के अलावा कोई और काम नहीं था ! तो उन्हें मोतीलाल नेहरू से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक भयानक चरीत्र हरण करते हुए सुना है ! लेकिन सबसे ज्यादा हद थी श्रीमती इंदिरा गांधी के चरित्र को लेकर जब बोलने लगते थे तो उन्हें हमने कहा कि सबसे पहली बात इंदिरा गाँधी जी के साथ हमारे राजनीतिक मतभेद जरूर है लेकिन उनके व्यक्तिगत चरित्र हरण की बात बिल्कुल गलत है और मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में एक महिला को लेकर इस तरह कमर के निचे बोलना निचता है ! फिर वह आपकी विजयाराजे सिंधिया हो या कोई और महिलाओं के बारे में इस तरह विचार करना भी मनोविकृती का लक्षण है !


और बिल्कुल आजकल जो ट्रोल करने के लिए सेफ्रोन डिजिटल आर्मी खास तौर पर विरोधियों के खिलाफ और अल्प संख्यक समुदाय की महिलाओंको लेकर बनाई गई विभिन्न एप्स, किस प्रकार के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं ? यह दो सौ पन्ने की किताब में आई एम ए ट्रोल में स्वाती चतुर्वेदी ने तफ़सील से लीख कर उदाहरण देते हुए बताया कि इन ट्रोल्स को खुद प्रधानमंत्री फाॅलो करते हैं ! फिर सैया भये कोतवाल तो भई काहेका डर ?
डॉ सुरेश खैरनार 29 जनवरी 2022, नागपुर

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