बेहिसाब प्रॉपर्टी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को दोषी माना है और
ट्रायल कोर्ट ने 4 साल की सजा वाले फैसले को बरकरार रखा है. कोर्ट ने उन्हें जल्द से जल्द ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने को कहा है. इस सजा के रूप में शशिकला को साढ़े तीन साल जेल में गुजारने होंगे क्योंकि वे पहले ही इस मामले में 6 महीने जेल की सजा काट चुकी हैं.
गौरलतब है कि जिस मामले में शशिकला को सजा हुई है, वह 21 साल से चल रहा है. 1996 में तत्कालीन जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया था कि जयललिता ने सीएम पद पर रहते हुए 1991 से 1996 के बीच 66.44 करोड़ रुपए की बेहिसाब प्रॉपर्टी इकट्ठा की. स्वामी ने आरोप लगाया था कि जयललिता, शशिकला और बाकी दो आरोपियों ने ऐसी 32 कंपनियां बनाईं, जिनका कोई कारोबार नहीं था.
ये कंपनियां सिर्फ काली कमाई से प्रॉपर्टीज खरीदती थीं. इस मामले की पहली सुनवाई तमिलनाडु के बाहर बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट में हुई. 27 सितंबर 2014 को कोर्ट ने जयललिता, शशिकला और दो अन्य को दोषी करार दिया और चार साल की सजा सुनाई. इन सब पर 100 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया. दोषी करार दिए गए सभी लोग इस मामले को हाईकोर्ट में ले गए.
मई 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी को बरी कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. आज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला सहित तीन अन्य आरोपियों के लिए लोअर कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है.
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रही शशिकला की सियासी दुनिया सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एक तरह से खत्म ही हो जाएगी. क्योंकि पब्लिक रिप्रेजेंटेशन एक्ट कहता है कि किसी भी नेता को अगर दोषी करार दिया जाता है तो वह किसी पद पर नहीं रह सकता. सजा पूरी करने के बाद भी कोई व्यक्ति 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. इसप्रकार शशिकला अपनी 4 साल की सजा पूरी करने के बाद भी उसके बाद 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी.