देश के बहुचर्चित जीटी रोड पर ग़ैर क़ानूनी तरीके से ओवर लोडेड ट्रकों को पार कराकर एक साल में क़रीब 432 करोड़ रुपये का चूना सरकार को लगाया गया है. खाकी-खादी-सफेदपोश गठजोड़ बिहार में जीटी रोड पर स्थित समेकित जांच चौकी के अधिकारियों को ओवर लोडेड ट्रकों को बिना जांच किए पार कराने के लिए विवश करता रहा. लेकिन, आठ मई, 2015 को जब गया में मगध क्षेत्र के डीआईजी पद पर पदस्थापित शालिन ने जीटी रोड पर एंट्री माफियाओं के खिला़फ कार्रवाई शुरू की, तो बिहार-झारखंड के राजनीतिक-प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मच गया. पता चला कि एंट्री माफिया के साथ झारखंड के चतरा के एक पूर्व सांसद और बिहार पुलिस मुख्यालय के एक एडीजी बाबा की मिलीभगत है. इस राज के खुलासे के बाद मात्र 46 दिनों में ही शालिन का तबादला पटना प्रक्षेत्र के डीआईजी पद पर हो जाना चर्चा का विषय बन गया है.
शालिन ने मगध क्षेत्र में संगठित अपराध के खिला़फ कार्रवाई शुरू की. इसी क्रम में पता चला कि जीटी रोड पर गया ज़िले के डोभी में स्थित समेकित जांच चौकी से ओवर लोडेड वाहनों को अवैध रूप से पार कराकर सरकारी राजस्व को बड़े पैमाने पर चूना लगाने का मामला चल रहा है. डीआईजी शालिन ने इस पर कार्रवाई शुरू की, तो सरकारी राजस्व में बढ़ोत्तरी होने लगी. फर्जी कागजात के सहारे जांच चौकी से वाहन पार कराने का मामला भी सामने आया. एक दर्जन से अधिक एंट्री माफिया पकड़े गए, जिनसे पूछताछ में पता चला कि एंट्री माफियाओं का सरगना झारखंड के चतरा निवासी राजू खान उर्फ राजू इराकी उर्फ औरंगजेब है. बताया जाता है कि राजू राजनीतिक-प्रशासनिक संरक्षण पाकर कुछ ही वर्षों में मामूली आदमी से करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक बन बैठा. जीटी रोड पर उसके एक इशारे पर थाने से लेकर तमाम सरकारी महकमे के अधिकारी नाचते नज़र आते थे. डीआईजी शालिन ने जब एंट्री माफिया पर शिकंजा कसा, तो पता चला कि स़िर्फ डोभी चेकपोस्ट से ही 432 करोड़ रुपये की राजस्व हानि सरकार को प्रतिवर्ष हो रही है. जब राजू खान के ला़फ कार्रवाई शुरू हुई, तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया, क्योंकि निचले स्तर के दर्जनों पदाधिकारी राजू के पे-रोल पर रहते थे.
एंट्री माफियाओं के सरगना राजू खान और पूर्व सांसद के बीच दोस्ती उस समय हुई थी, जब बिहार पुलिस मुख्यालय में आज एडीजी पद पर तैनात बाबा चतरा में पदस्थापित थे. इस तिकड़ी ने सरकार को प्रतिवर्ष साढ़े चार सौ करोड़ रुपये का चूना लगाया. पिछले कई वर्षों से यह खेल जारी था. डीआईजी शालिन ने राजू खान पर कार्रवाई करते हुए उसके सारे ठिकानों पर छापेमारी और कुर्की-जब्ती भी की, लेकिन राजू खान को गिरफ्तार नहीं किया जा सका. बीते 20 जून को डीआईजी शालिन का तबादला पटना प्रक्षेत्र के डीआईजी पद पर हो गया. लोगों का मानना है कि एंट्री माफिया के खिला़फ कार्रवाई के दौरान बिहार पुलिस मख्यालय का नाम बदनाम होने और एक पूर्व सांसद का नाम सामने आने के बाद राज्य सरकार ने दबाववश शालिन को मगध के डीआईजी पद से हटा दिया.