नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी को भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाने की बहुत जल्दी है! क्योंकि 2025 उनके मातृ संघटन राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ को 100 साल होने जा रहे हैं और वर्तमान सरकार का कार्यकाल 2024 में समाप्त हो रहा है ! इसलिए किसी भी हालत मे गुरु गोलवलकर के तथाकथित हिन्दु राष्ट्र को अधिकृत करनेकी कोशिश का एन आर सी,सी ए ए जैसे सम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की मानसिकता से पूरे देश का ध्रुवीकरण करनेका काम कर रहे है और इस तरह 30-35 करोड़से ज्यादा अल्पसंख्यक समाजके साथ बहुत अमानवीय व्यवहार वर्तमान उत्तर प्रदेश में, आदित्यनाथ हरियाणा मे खट्टर ,मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक में येदुरप्पा और जहाँ भी बीजेपी की सरकार है उन सभी राज्यों में कर रहे हैं यह अत्यंत चिंता की बात है !
रात के अंधर मे पुलिस के भेष में संघके गुंडोको मुजफ्फरनगर से सहारनपुर, मुरादाबाद, लखनऊ से लेकर अलीगढ़,अझम्गढ,कानपुर,बनारस,इलाहबाद और भी कई मुस्लिम बहुल क्षेत्र में चुन चुन कर मुसलमानोकी प्रॉपर्टी को तहस-नहस कर ते हूई दिख रही है!यह साम्प्रदायिकता का नंगा नाच करते हुए पूरे क्षेत्र को सम्प्रदायिक दंगोमे तब्दील करने का काम कर रहे हैं ! और हमारे मीडिया को जैसे सांप सूंघ गया हो ! इन बातों की एक भी खबर देने के लिए उनके पास समय नहीं है या हमारे मीडिया हिन्दुत्ववादियों के रंगमे रंग गया है ?
लेकिन यही आलम जारी रहा तो देश और एक बटवारे की तरफ ले जानेकी बेवकूफी वर्तमान सरकार कर रही है क्योंकि 1940 में यही मयनोरिटी फिअर सायकिको हवा देकर जिन्ना 1947 में अलग मुल्क करानेमे कामयाब हुए थे !
और यही गलती दोबारा 80 साल बाद संघ परिवार के पागलपन के कारण वर्तमान सरकार सत्ता में आने के बाद लगातार तीन तलाक़,370,राम मंदिर ,लव-जेहाद, गोहत्या बंदी जैसे मुद्दे और अब यह नागरिकताकी आडमे मुसलमानो को जान बूझ कर असुरक्षाके मानसिकतामे डालने की कोशिश देशका और एक बटवारे की ओर ले जाने वाली बात है !
भारतीय जनता पार्टी का देशके महत्वपूर्ण सवालो की तरफ से लोगों का ध्यान भटकाने की भी साजिश है क्योंकि आये थे सबका साथ सबका विकास का नारा देकर ! 2014से 2019तक क्या हुआ यह सब जानते है और किसका विकास हुआ ?
कुछ चंद उद्योग पतियोकि सम्पत्तियों कितनी बढ़ोतरी हुई है ?और हमारे सामान्य देशवाशियों के हिस्से में क्या आया ? हमारे सकल राष्ट्रीय उत्पाद की दर आधी से भी कम हो गई ! और महंगाई की मार झेल रहे हैं ,हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा करने वाली सरकार ने नये रोजगार तो दूर पुराने कितने लोगों के हाथों से काम छिन लिया ?
छोटे छोटे उद्दमी लगभग खत्म हो गये ! नोटबंदी और जियेस्टी ने रही सही कसर पूरी कर दी ! और कोरोना के आडमे आनन-फानन में लाॅकडाऊन कराकर करोडों देहाडी मजदूरों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है ! और सौसेभी ज्यादा लोगों को मौत के मुँह में ढकेल दिया है ! और वह कम लगा तो कृषि संबंधित कानूनोंको लाकर आखिरी सांस गिन रही कृषि क्षेत्र को खत्म करने पर तुले हुए हैं ! और उपरसे तुर्रा ये कि हम किसानों की भलाई के लिए यह कानून लाये हैं ! और बगैर किसानों की राय लिए ! संसद में जिस तरह से कोविद के आडमे इन बिलों को तथाकथित पारीत करने की सर्कस की है वह पूरी दुनिया ने देखी है ! और संसद की बची खुची इज्जत को मट्टी पलीत किया है !
और आज एक डिग्री सेल्सियस मे भी डेढ करोड़ किसान राजधानी के चारों तरफ बैठने का 40 वा दिन आ गया है !और मेरी रायमे यह विश्व के किसिभि आंदोलन के इतिहास में की सबसे बड़ी और डेढ महीने से लगातार जारी है ! तथाकथित वार्ता के सात दौर खत्म होने के बावजूद पूछ निकली हाथी बाकी है कहावत जैसी स्थिति बनी हुई है !
आज भारत दुनिया के विकास करने वाले देशों की सूची से बाहर हो गया और गरीब मुल्कोकी सूची में बँगला देश और पाकिस्तान से भी नीचे के पायदान की सूची में आ गया ! यह राष्ट्रीय अपमान करने के लिए वर्तमान सरकार को सत्ता मे बने रहने का एक क्षण के लिए भी नैतिक अधिकार नही है ! लेकिन इन सब बातों से ध्यान हटाने के लिये एन आर सी जैसे और वह भी धार्मिक आधार पर लानेके पीछे एक मात्र उद्देश्य देश में धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए अराजकता का माहौल बना कर अपनी नाकामयाबी को लेकर कहिभी कोई चर्चा न हो इस लिये एन आर सी जैसे बेमतलब की बातों मे देश को उल्झाना चाहते है !
वैसे भी 2021मे हर 10 साल बाद होने वाली सेन्सस तो होने वाली होते हुए यह जानबूझकर सांमप्रदायके आधार बनाकर यह अलग-अलग तरीके अपनानेकी एक मात्र उद्देश्य देशमे सांम्प्रदायीक अशांति फैले यह राजनीति संघ परिवार अपने तरीके से गत 95 वर्षों से करही रहा था लेकिन पहले 1950 में जनसंघ नाम से और 1982 से भारतीय जनता पार्टी के नामसे एक राजनीतिक दल के रूप में शुरुआत की लेकिन 1986 के बाद राम मंदिर के नाम पर जो माहौल बिगाड़नेका पाप लगातार जारी रखा वह 2002 के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजीने भारतीय राजनीति के इतिहास मे पहली बार राज्य प्रायोजित दंगा कराके आपने आपको उग्र हिन्दु नेता के रूप में तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है !
यह गुजरात दंगों के बाद शेकडौ रिपोर्ट और किताबोने उजागर किया है ! और इन मेसे किसिभी किताब या रिपोर्ट को चैलेंज करना तो दूर उल्टा नरेंद्र मोदीजी बार बार दावेके साथ कहते रहे की मेरे सबसे अच्छे प्रचार का काम मेरे आलोचक कर रहे हैं ! ऐसा षडयंत्रकारी गिरोह के हाथ में देश जाने अनजानेमे आ गया है बिलकुल दुसरे महायुद्ध के बाद जर्मनी में आजसे 90 साल पहले यही स्थिति बनी थीं और उसीका फायदा उठाकर हिटलर नामका तानाशाह जर्मनी की छातीपर 25 साल मूँग दला है यही इतिहास भारत में दोहराया जा रहा है ! हिटलर के भी पीछे जर्मन पूंजीपतियों ने अपनी पूंजी निवेश की है ! मीडिया भी और वर्तमान समय में भारत का मिडिया लगभग (कुछ अपवादों को छोड़कर) पूरा वर्तमान सरकार की हाँ में हाँ करनेमे लगा है !
लेकिन हर बात की एक हद होती हैं जो नरेंद्र मोदी-अमित शाह ने अब क्रॉस कर दी है और पूरे देश में जो आंदोलन वह भी युवक-युवतियों का ,किसान-मजदूरों और, दलित हो या आदिवासी, महिला !और सभी जाती संम्प्रदाय के लोगों का जो शूरू हूआ है वह अब थमने वाला नहीं है ! क्योंकि मैं खुद एक युवक आन्दोलन जो आजसे 45 साल पहले हूआ था उसका प्रॉडक्ट हूँ ! हाँ उस समय जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हम लोग थे लेकिन आज कोई भी उनके स्टेचर का नेता नहीं हैं और यह बात आंदोलन्की खामिके बावजूद मैं इसे स्ट्रेन्थ भी समझता हूँ क्योंकि किसी एक व्यक्ति पर अवलंबित अन्दोलन की एक मर्यादाएं बन जाती है जो इस बार नहीं होगी और इसिमेसे सामुदायिक नेतृत्व उभरकर आयेगा अन्यथा 1977 में पुराने खुच्चडोनेही चंद दिनों के भीतर गुडगोबर कर दिया था और उसीका फायदा वर्तमान घोर सांम्प्रदायिक फासिस्ट विचारोके लोगोके हाथमे देश चला गया, !
जिसकी कीमत देश आज चुका रहा है अपने पेट के लिए दूनियाँ भर में शेकडौ सालोसे भारतीय लोग विदेशोमे गये हैं और आज ये बावले भारत में रहने वाले विदेशिओं की बात कर रहे हैं इन्काही सरकारी आकडेके अनुसार 33 हजार से भी कम संख्या बतायी गयी है ! लेकिन भारतीय लोग अकेले इंग्लैंड में 70,000से एक लाख भारतीय इंग्लैंड ने वापस लौटाने के लिए साल भर पहले कहा है और तभी मल्ल्या,मोदी,चौक्सी को सौपेंगे !
लेकिन मोदी टालमटौल कर रहे हैं ! अमेरिका में 21 लाख भारतीय रहते हुए साऊदी अरब में 35 लाख और इसी तरह पूरे विश्व भर में मोटा मोटी आकडे कुछ करोड़से ज्यादा रह रहे भारतीयों को असुरक्षित करने वाले सरकार को शर्म आनी चाहिए भारत में अर्थिक नीतियों की नालायकी,उस कारण बेतहाशा महंगाई,बेरोजगारी,कृषी क्षेत्र लगभग खत्म होने के कगार पर पहुँच गया है ! क्योंकि किसानो की आत्महत्या थमनेका नाम नहीं ले रही है ! और वर्तमान समय में जारी आंदोलन मे अबतक 50 से ऊपर किसान मरे और उनमें से रोज एक आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा है ! दिनप्रतिदिन गैस,तेल के दाम बढ़ाने पड रहे हैं !
सबसे हैरानी की बात रेल से लेकर बी एस एन एल,रक्षा उत्पाद के कारखाने और कई मुनाफो मे चल रहे सरकारी उद्योग औने पावने दामो मे प्रायवेट सेक्टर को बेच रहे हैं ! इसमे राष्ट्र प्रेम बढ रहा या राष्ट्र द्रोह ? भारत की शिक्षा,स्वास्थके सवाल दिनोदीन बदसे बदतर हो रहें हैं लेकिन एन आर सी और सी ए ए लाकर रहेंगेकी रट लगाए जा रहे हैं तो फिर सीधे सीधे दिख रहा है की संघके 100 साल 2025 मे पूरे होने के मौके पर सरकार को यह आत्म विश्वास नहीं की 2024 के चुनाव में वे वापस आएंगे या नहीं तो उसके पहलेही श्री माधव सदाशिव गोलवलकर के सपनेका हिन्दु राष्ट्र बनाने की कोशिश की जा रही है और संपूर्ण राष्ट्र की जल, जंगल और बची-खुची जमीन भी पूंजीपतियों के हवाले करने पर तुले हुए हैं ! जिसे हम सभी भारतीय संविधान को मानने वाले लोगों का नैतिक और सविधानिक दायीत्व हैं की हर कीमत पर संघ परिवार के मंसूबे को रोकने के लिए महात्मा गाँधी और डॉ बाबा साहब अंबेडकर जिने बताये हुए मार्गसे हम सबको संघटित प्रयासरत रहना है !
डॉ सुरेश खैरनार