भारतीय रेल के तत्कालीन रेल मंत्री लालबहादुर शास्त्रीजी के द्वारा और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और बाबु जगजीवन राम तथा आचार्य विनोबा भावे तथा जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों के द्वारा वर्तमान वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के जगह की कानूनी कार्रवाई होने के बावजूद ! जिसके कागजपत्र सर्व सेवा संघ के पास रहते हुए ! साठ या पैसठ साल के बाद अचानक भारतीय रेल को अपनी जमीन याद आने ! और उपर लिखा हुआ नोटिस जारी करने की कृती को क्या संघ भाजपा की अघोषित आपातकाल नहीं कहा जा सकता ?
सबसे पहले कोई इंदिरा गाँधी कला और सांस्कृतिक केंद्र के द्वारा 15 मई को अचानक इसी परिसर में जयप्रकाश नारायण के द्वारा स्थापित गाँधी विद्या संस्थान की इमारतों में ताले तोडकर अपने कब्जे में करने की कृती को गांधीवादी लोग प्रतिरोध कर ही रहे हैं ! और इस बीच अचानक रेल विभाग ने लाल बहादुर शास्त्री, राजेंद्र प्रसाद, बाबु जगजीवन राम, आचार्य विनोबा भावे तथा जयप्रकाश नारायण के नाम वाराणसी कोर्ट में रेल की जमीन को हड़पने का मामला दर्ज किया ! उस मामले में शायद अभितक कोई सुनवाई भी नहीं हुई ! और आज रेल विभाग की यह नोटिस !
कल आपातकाल की घोषणा के 48 साल के उपलक्ष्य में छाती पिटने के कार्यक्रम, संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा के तरफसे संपूर्ण देश में किए गए ! और एक कार्यक्रम दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में भी किया गया जिसमें वाराणसी के राजघाट स्थित जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित गाँधी विद्या संस्थान की इमारतों के ताले तोडकर जबरदस्ती से कब्जा करने वाली इंदिरा गाँधी कला और सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय भी शामिल थे ! और वहां दोबारा आपातकाल की स्थिति नहीं आने की कसमें खाई गई ! यह हमारे मित्र राकेश रफिक की फेसबुक पोस्ट में लिखा है ! यह वही गाँधी शांति प्रतिष्ठान है, जहाँ से जयप्रकाश नारायण को 48 साल पहले 25 जून की आधी रात को निंदा से उठाकर इंदिरा गाँधी ने गिरफ्तार किया है !
आज उनके संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा सत्ता में रहते हुए यह गदर चल रहा है ! मतलब लालकृष्ण आडवाणीजी ने तत्कालीन इंडियन एक्सप्रेस के संपादक श्री शेखर गुप्ता को एन डी टी.वी चैनल के लिए ‘चलते – चलते बातचीत ‘ के कार्यक्रम में आपातकाल की घोषणा के चालिस साल के उपलक्ष्य में, मतलब 2015 नरेंद्र मोदीजी को सत्ता में आने के एक साल में ! लालकृष्ण आडवाणीजी ने शेखर गुप्ता को कहा कि ” 25 जून 1975 के आपातकाल की घोषणा को भले ही चालिस साल हो गये होंगे, लेकिन गत एक वर्ष से अघोषित आपातकाल चल रहा है ! यह ज्यादा चिंता का विषय है !” और इस बात को आठ साल हो गये ! मतलब नौ सालों से इस देश में अघोषित आपातकाल जारी है !
इसलिए मैंने 25 जून 2023 के दिन संघ – भाजपा का आपातकाल की घोषणा के 48 साल के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में दोगलापन या पाखंड के सिवा और कुछ नहीं है ! यह पोस्ट लिखी है ! रेल मंत्रालय की आड में सर्व सेवा संघ वाराणसी की जगह को लेकर नोटिस उसका जिता – जागता प्रमाण है ! जो कि एक महिना पहले ही अचानक ही रेल विभाग ने हमारे जमीन पर अवैध कब्जा का मामला वाराणसी के कोर्ट में दर्ज किया है ! और शायद उसकी पहली सुनवाई भी नहीं हुई है ! और कल आपातकाल की घोषणा के 48 वी बरसीं के दिन मॅजिस्ट्रेट के इस नोटीस का निकलना और सिर्फ चार दिन के बाद सुबह नौ बजे से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी !
येन-केन प्रकार से देश भर में इस तरह की हरकतों के दर्जनों उदाहरण है ! और गुजरात तथा उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश और भाजपा शासित जगह-जगह यही आलम जारी है !
वाराणसी की इस जगहपर वर्तमान सरकार के खिलाफ देश भर में आंदोलन करने की घोषणा पिछले सितंबर में लेकर हम सभी पुराने जयप्रकाश नारायण के बिहार आंदोलन के साथीयो ने लोकतांत्रिक निर्माण अभियान की प्रक्रिया को लेकर कुछ गतिविधियों का सुत्रपात किया है ! और शायद इन सब बातों को देखते हुए वर्तमान समय की सरकार यह सब कारवाई बदले की भावना से कर रही है ! जबकि 1974-75 के समय भी तत्कालीन सरकार के खिलाफ आंदोलन के दर्जनों कार्यक्रम इस परिसर में आयोजित किए गए थे ! लेकिन इंदिरा गाँधी ने इस तरह की हरकतों को करते हुए नहीं देखा !
और 48 साल पहले के घोषित आपातकाल में जेल में संघ के लोगों को अक्सर बोलता था ! “कि इंदिरा गाँधी की आपातकाल की घोषणा बहुत ही फिकी और एक व्यक्ति की घोषणा है ! लेकिन कभी भविष्य में भारत की गद्दी आप लोगों के पास आई तो, आप लोगों का जीना हराम करोगे” ! यह मै बोलता था ! जो पिछले नौ सालों से संघ – भाजपा मिलकर हजारों लोगों को तथाकथित राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर के जेलों में बंद कर दिया है ! और विश्वविद्यालयों से लेकर स्कूल – कॉलेज में अपने गुर्गे घुसाकर तथा सिलॅबस बदलने से लेकर रोजमर्रा के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कृती दिल्ली के जेएनयू, जामिया – मिलिया, विश्वभारती शांतिनिकेतन से लेकर समस्त केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी तथा आईआईएम सभी संस्थानों को अपने लोगों को भेजकर कब्जा कर लिया है ! जैसे मुसोलीनी और हिटलर ने आजसे सौ साल पहले किया था ! बिल्कुल उन्हि के जैसा भारत में गत नौ सालों से जारी है !
आजादी के आंदोलन से निकले हुए सभी मुल्यो की अनदेखी करते हुए ! संघ और बीजेपी शायद समझ चुके हैं, कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें तीसरी बार चुनाव जितना मुश्किल है ! इसलिए जितना लूट सकते लूट और वह भी कई सालों की गांधी – विनोबा, जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित संस्थाओं को एक – एक करके कब्जे में करने की कृती ! गुजरात के गांधी विद्दापिठ, साबरमती आश्रम, सेवाग्राम आश्रम, दिल्ली का राजघाट और गांधी स्मृति और अब वाराणसी का राजघाट का परिसर ! वैसे तो संघ ने संपूर्ण भारत में उत्तर पूर्वी प्रदेशों से लेकर राजधानी दिल्ली में, और देश के विभिन्न क्षेत्रों में जहाँ जहाँ उनकी सरकारे है वहां
– वहां उन्होंने लाखों हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया है ! और राजघाट वाराणसी जो वर्तमान प्रधानमंत्री का लोकसभा चुनाव क्षेत्र भी होने के कारण वहां के विभिन्न महकमे और भी मुस्तैदी से उन्हें खुश करने की कोशिश कर रहे हैं ! लेकिन यह हड़पने की गतिविधियों को रोका नहीं गया तो प्रधानमंत्री खूद के राजनीतिक उल्टी गिनती शुरू कर रहे हैं ! इंदिरा गाँधी और संजय गांधी ने यही गलतिया की थी जिसका खामियाजा उन्हें 1977 के चुनाव में भुगताना पड़ा है !
डॉ. सुरेश खैरनार 29 जून, 2023, नागपुर