अगर पूरे देश से नगद पैसा ख़त्म कर दिया जाए और उसके बदले आपके बैंक खाते में उतनी ही रकम डिजिटल करेंसी (अंक मुद्रा) में बदल दी जाए, तो क्या होगा? अंक मुद्रा का अर्थ है कि आपके बैंक खाते में उतना ही पैसा होगा, जितना अभी आपके पास है या जितना आप आगे और कमाएंगे, लेकिन नगद पैसे की जगह आपके पास स़िर्फ अंक मुद्रा होगी. क्या इससे आपको कोई परेशानी होगी, क्या इससे आपको कोई फ़ायदा होगा?
Entire-SBI-ATM-23894आइए, सबसे पहले कुछ सवालों पर ग़ौर करते हैं. आपके लिए अपनी जेब में दस हज़ार रुपये लेकर चलना ज़्यादा आसान है या उनकी जगह स़िर्फ एक एटीएम कार्ड लेकर चलना? आज के व्यस्त जीवन में अगर आप ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, तो टिकट के बदले पैसा नगद देते हैं या अपने एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड के जरिये चुकाते हैं? इसी तरह अगर आप अपने घर पैसा भेजना चाहें और आपको यह सुविधा मिले कि बिना बैंक गए और लाइन लगाए अपने परिवार को इंटरनेट या मोबाइल के जरिये पैसा भेज सकें, तो क्या आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठाना चाहेंगे? या फिर आप बाज़ार जाकर सब्जी, दाल, चावल, आटा, मोबाइल, टीवी अथवा कोई भी सामान खरीदना चाहते हैं और इसके लिए आपको नगद पैसा लेकर न जाना पड़े, तो क्या आप ऐसी सुविधा का लाभ नहीं उठाना चाहेंगे? या मान लीजिए, आपके हाथ में एक ऐसा कार्ड आ जाए, जिससे कोई भी सरकारी अधिकारी आपसे रिश्‍वत मांगने की हिम्मत न जुटा सके या फिर विदेशों में या खुद अपने ही देश में छिपा काला धन अपने आप बाहर आ जाए.
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या इस तरह की सुविधा पाने के लिए किसी जादुई छड़ी की ज़रूरत होगी? तो इसका जवाब है, नहीं. ऐसी सुविधा के लिए किसी जादुई छड़ी की ज़रूरत नहीं है, बल्कि जाने-अनजाने हम और आप इस सुविधा का लाभ आज भी उठा रहे हैं. मसलन, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम, चेक बुक, डिमांड ड्राफ्ट, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग आदि. पैसों के लेन-देन के इन सारे माध्यमों में हम कहीं भी नगदी का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बल्कि इस सबके बदले बैंक हमारा पैसा डिजिटल स्वरूप में यानी आंकिक स्वरूप में स्वीकार करता है. इसके लिए ज़रूरत सिर्फ इतनी होती है कि आपके बैंक एकाउंट में उतनी रकम होनी चाहिए. इस तरह के माध्यम में हमें अपने पैसे ढोने, उसके खोने, कटने-फटने का डर नहीं रहता. अब इसी तरह अगर पूरे देश से नगद पैसा ख़त्म कर दिया जाए और उसके बदले आपके बैंक खाते में उतनी ही रकम डिजिटल करेंसी (अंक मुद्रा) में बदल दी जाए, तो क्या होगा? अंक मुद्रा का अर्थ है कि आपके बैंक खाते में उतना ही पैसा होगा, जितना अभी आपके पास है या जितना आप आगे और कमाएंगे, लेकिन नगद पैसे की जगह आपके पास स़िर्फ अंक मुद्रा होगी. क्या इससे आपको कोई परेशानी होगी, क्या इससे आपको कोई फ़ायदा होगा? इससे देश की अर्थव्यवस्था को क्या नुकसान होगा या क्या फायदा होगा? इन सारे सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
सबसे पहला सवाल है कि इस तरह की व्यवस्था को लागू कैसे किया जा सकता है:  इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक का खाता किसी बैंक में खोलना होगा. उस खाते में ही उसके द्वारा कमाए गए धन की गणना करके उसे अंक मुद्रा के रूप में डाल दिया जाएगा. यानी अंक मुद्रा उसके खाते में लिखे हुए गणितीय अंकों के रूप में दर्ज रहेगी. खाते में लेखांकित धनराशि के आधार पर ही खाता धारक अंक मुद्रा का उपयोग करेगा.
नगद बनाम अंक मुद्रा की छपाई का खर्च क्या होता है :  अंक मुद्रा जारी करने के लिए किसी व्यय की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह अदृश्य होती है. इसके लिए किसी धातु या कागज आदि का प्रयोग नहीं किया जाता, जिससे इसकी ढलाई, छपाई, ढुलाई एवं रखरखाव आदि पर किसी प्रकार का व्यय नहीं करना पड़ता. खातों के माध्यम से लोगों द्वारा पारस्परिक लेन-देन संपन्न किया जाता है. दूरसंचार एवं इंटरनेट की भूमिका से अंक मुद्रा का प्रचालन बिल्कुल सरल हो जाता है. इसलिए आंकिक मुद्रा प्रणाली निर्व्यय प्रणाली कही जा सकती है. जबकि इसके अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार की मुद्रा ढालने व छापने में बहुत ज़्यादा खर्च होता है.
इस मुद्रा को न कोई छीन सकता है, न लूट सकता है: नगद रुपये के उलट अंक मुद्रा के गिरने, छिनने, लुटने, खोने, कटने, फटने, जलने, गलने आदि का भय नहीं होता. यदि किसी व्यक्ति के खाते से अन्य किसी व्यक्ति द्वारा धन निकाला जाता है, तो वह तुरंत पकड़ में आ जाता है, क्योंकि वह पैसा कहीं और न जाकर सीधे किसी खाते में ही जा सकता है. और जिस खाते में ऐसा पैसा जाएगा, उस खाते की पहचान तुरंत हो जाएगी.
पारदर्शी लेन-देन से रिश्‍वतखोरी पूर्ण रूप से बंद होगी: अंक मुद्रा के समस्त आर्थिक लेन-देन पारदर्शी होते हैं, क्योंकि इसका आदान-प्रदान क्रेडिट या डेबिट के रूप में बैंक खातों में दर्ज रहता है. अत: संपूर्ण आर्थिक व्यवहार की पारदर्शिता हमेशा बनी रहती है. एक मुद्रा भी छिपाकर इधर से उधर नहीं ले जाई जा सकती. इसलिए कोई भी आपसे रिश्‍वत भी नहीं मांग सकता, क्योंकि रिश्‍वत की रकम भी सीधे इस अंक मुद्रा प्रणाली के तहत बैंक खाते में जमा होगी और कोई भी सरकारी या ग़ैर सरकारी कर्मचारी नहीं चाहेगा कि उसके खाते में ग़ैर कानूनी पैसा जमा हो.
अंक मुद्रा का इस्तेमाल कैसे होगा:  इसके लिए सबसे पहले सभी लोगों के पास बैंक खाता हो और साथ ही अंक मुद्रा के चलन के लिए छोटे इलेक्ट्रानिक उपकरण की व्यवस्था की जाए, जिससे अंक मुद्रा का आदान-प्रदान हर कहीं संभव हो सके. उदाहरण के लिए अभी आप एटीएम में जाकर अपने एटीएम कार्ड से पैसा निकालते हैं या किसी अन्य के बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर भी कर सकते हैं. इसके अलावा आप दुकान में जाकर अपने एटीएम या क्रेडिट कार्ड से खरीदारी भी करते हैं और दुकानदार आपका कार्ड अपनी स्वैप मशीन में डालकर एक खास रकम आपसे ले लेता है. इसी तरह की स्वैप मशीन मात्र 100 या 200 रुपये में बनाकर अंक मुद्रा के लेन-देन के कार्य के लिए उपयोग में लाई जा सकती है. इन छोटी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस को घड़ी, कैलकुलेटर, मोबाइल फोन, टैब, कंप्यूटर आदि के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है और व्यापारिक दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक तराजू आदि के साथ तथा घरों एवं कार्यालयों में कंप्यूटर के माध्यम से उपयोग में लाया जा सकता है.
एक सवाल यह भी उठता है कि अशिक्षित लोग इसका इस्तेमाल किस प्रकार करेंगे:  इसका जवाब है कि आंकिक मुद्रा प्रणाली बिल्कुल सरल है. इसका प्रयोग कोई भी शिक्षित या अशिक्षित बड़ी सरलतापूर्वक कर सकता है, बल्कि इसके प्रयोग से अशिक्षितों को अक्सर होने वाली मौद्रिक हानि की आशंकाओं पर भी नियंत्रण हो जाता है. धातु मुद्रा या कागजी मुद्रा के प्रयोग से अशिक्षितों को कई बार ठगी, चोरी, धोखाधड़ी आदि का शिकार होना पड़ता है. अशिक्षितों को इन सबसे छुटकारा दिलाने में यह अंक मुद्रा सक्षम है. सभी दुकानों अथवा कार्यालयों में डिजिटल करेंसी के लेन-देन हेतु एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखना अनिवार्य होने से सामान्य जन को अपनी डिवाइस रखना आवश्यक नहीं होगा. कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे की डिवाइस का प्रयोग करके भी अपना लेन-देन कर सकता है. उसका पासवर्ड चोरी होने पर भी उसे कोई विशेष परेशानी या हानि नहीं होगी. आंकिक मुद्रा प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चलाए जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को अपना एक बैंक एकाउंट रखना होता है, क्योंकि उसी बैंक खाते के माध्यम से सभी प्रकार के मौद्रिक लेन-देन किए जाते हैं. प्रत्येक बैंक खाते का एक विशेष नंबर होता है और प्रत्येक खाता धारक अपने इलेक्ट्रॉनिक एकाउंट के लिए एक विशेष पासवर्ड का भी प्रयोग कर सकता है. यह पासवर्ड प्रत्येक खाता धारक अपने लिए गोपनीय रख सकता है. गोपनीयता भंग होने अथवा पासवर्ड चोरी होने पर खाता धारक को किसी भी प्रकार की हानि की कोई आशंका नहीं रहती, क्योंकि किसी के खाते से कोई धनराशि स्थानांतरित होकर किसी दूसरे के खाते में क्रेडिट होने पर स्पष्ट रूप से चोरी पकड़ी जा सकती है तथा त्वरित कार्यवाही करके इस राशि के स्थानांतरण पर रोक लगाई जा सकती है.


 
संभव है डिजिटल करेंसी सिस्टम लागू करना: स्वामी अरविंद
न्याय धर्म सभा के स्वामी अरविंद अंकुर हरिद्वार के कनखल स्थित अपने आश्रम में रहते हुए पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से देश की वर्तमान आर्थिक दशा पर चिंतन कर रहे हैं. इसी चिंतन के तहत स्वामी अरविंद पिछले कुछ वर्षों से डिजिटल करेंसी सिस्टम की बात कर रहे हैं. कनखल स्थित अपने आश्रम में चौथी दुनिया से बातचीत करते हुए स्वामी अरविंद विस्तार से बताते हैं कि कैसे डिजिटल करेंसी सिस्टम यानी अंक मुद्रा प्रणाली लागू करके कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.  वह बताते हैं कि आंकिक मुद्रा प्रचालन के लिए एक मौद्रिक संस्थान की आवश्यकता होती है. आवश्यकतानुसार इस संस्थान की शााखाएं पूरे राष्ट्र में खोली जा सकती हैं. इस संस्थान के लिए सरकारी वैतनिक कर्मचारियों की भी नियुक्ति की जा सकती है. ऐसे मौद्रिक संस्थान द्वारा अपना इंटरनेट सर्वर स्थापित करके उसके माध्यम से सभी खाता धारकों के मौद्रिक लेन-देन का संचालन किया जा सकता है. इसके लिए प्रत्येक नागरिक को उस मौद्रिक संस्थान में अपना खाता धारण करना अनिवार्य होगा. कोई भी लेन-देन एक खाते से दूसरे खाते में लेखांकन पद्धति द्वारा स्वत: दर्ज होता रहेगा और प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड कई वर्षों तक रखा जा सकेगा. आवश्यकता पड़ने पर किसी भी लेन-देन की जांच-पड़ताल भी की जा सकेगी.  स्वामी अरविंद कहते हैं कि एक छोटे से सॉफ्टवेयर द्वारा मौद्रिक लेन-देन की प्रक्रिया संपन्न की जा सकेगी, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने खाता क्रमांक के लिए एक विशेष पासवर्ड कोड धारण कर सकेगा. अचल संपत्ति के मूल्य निर्धारण के तरीकों के बारे में वह बताते हैं कि एक तय समय सीमा में किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति की घोषणा को ही अंतिम आर्थिक स्वामित्व का प्रमाण माना जाएगा. इस समयावधि में की गई घोषणाओं के बाद यदि कोई नगद धन या स्थूल-सूक्ष्म संपदाओं का कोई अलिखित या अप्रामाणिक अस्तित्व प्रकट होने पर उसे दंडनीय अपराध माना जाएगा और सरकार द्वारा उसे अधिग्रहीत या जब्त किया जा सकेगा.

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