cआम तौर पर समझा जाता है कि कैंसर का मूल कारण धूम्रपान, पान, खैनी या गुटखा चबाना आदि होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि स़िर्फ इन्हीं चीज़ों से कैंसर होता है. इसके अलावा भी कई दूसरी चीज़ें हैं, जिनकी ओर हम ध्यान नहीं दे पाते, जबकि कैंसर को जन्म देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. उदाहरण स्वरूप अनाज के भंडार में पाया जाने वाला जींज़ अलाटोक्सिंज (Aflatoxin), फूड केमिकल, खाने के रंग, ज़हरीला धुआं एवं कीटनाशक आदि भी कैंसर को जन्म देते हैं. इसके अलावा सीमेंट इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले केमिकल स्बेसटस (Asbestos) और महिलाओं में माहवारी रोकने के लिए होने वाली हार्मोन थेरेपी से भी कैंसर का ख़तरा पैदा होता है, लेकिन जनता में जागरूकता न होने के कारण इन कारकों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता.
केरल स्थित एक विश्‍वविद्यालय के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के शोधार्थियों ने एक अनोखी खोज की है. इस खोज के अनुसार, एटीएम मशीन से निकलने वाली पर्ची हाथ में लेने से कैंसर हो सकता है, क्योंकि इस पर्ची पर जिस केमिकल का प्रयोग होता है, वह कैंसर का कारण बनता है. यही केमिकल पेट्रोल पंप एवं बसों में दी जाने वाली पर्चियों पर भी प्रयोग होता है. मतलब यह कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में क़दम-क़दम पर हम ऐसी घटनाओं का सामना करते हैं, जो कैंसर का कारण बनती हैं, लेकिन हम इसका अंदाज़ा नहीं कर पाते. दरअसल, एटीएम या थर्मल प्रिंटर से निकलने वाली इन पर्चियों पर जो केमिकल बिसफेनियाल-ए (Bisphonol-A) प्रयोग किया जाता है, वह एक दशक पहले तक फैक्ट्रियों में प्लास्टिक और गोंद तैयार करने के लिए इस्तेमाल होता था. अब विज्ञान ने विकास कर लिया है, तो इसका प्रयोग बोतल की कोटिंग और कंटेनर को एयरटाइट करने के लिए किया जाने
लगा है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि एटीएम मशीन से निकलने वाली पर्ची पर केवल यही एक केमिकल बीपीए का ही प्रयोग नहीं होता है, बल्कि बिसफेनियाल-बी (Bisphonol-B) और स्टेबिलाइजर्स (Stabilizer) का भी प्रयोग होता है. इन तीनों केमिकलों के कारण यह पर्ची इंसान के लिए कितनी हानिकारक बन गई है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर यह पर्ची केवल 5 सेकेंड के लिए हाथ में रख ली जाए, तो एक माइक्रोग्राम बीपीए उंगलियों में बस जाती है. ऐसा भी केवल उस स्थिति में, जब आपकी उंगलियां बिल्कुल सूखी हों. अगर उन पर पसीना हो, तो इन केमिकल्स का चमड़ी के अंदर फैलने का औसत लगभग 10 गुना बढ़ जाता है. इस प्रकार देखा जाए, तो आम जीवन में एक आदमी बार-बार यह ख़तरनाक पर्ची अपने हाथ में लेता है. कभी एटीएम की पर्ची के रूप में, तो कभी मॉल में ख़रीदारी की पर्ची के रूप में और कभी बस टिकट के रूप में. इस तरह वह बार-बार यह पर्ची हाथ में लेकर एक बड़ी मात्रा में इन केमिकल्स को अपने शरीर के अंदर कर लेता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, जैसे महिलाओं में स्तन कैंसर और पुरुषों में अंडकोश कैंसर (Testicle).
यही नहीं, ये केमिकल इंसान में प्रजनन क्षमता कम कर देते हैं, ग्रंथियां बढ़ा देते हैं, दिमाग़ के कामकाज में बाधा उत्पन्न करते हैं, शुगर बढ़ा देते हैं और सहन शक्ति कम कर देते हैं. इन ख़तरों से बचने के लिए विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि जहांं तक संभव हो, ऐसी पर्चियां छूने से बचना चाहिए. अगर एटीएम आदि में विवरण देखना हो, तो पर्ची की बजाय स्क्रीन पर विवरण देख लेना चाहिए. केमिकल बिसफेनियाल जिस काग़ज़ या पर्ची पर लगा होता है, उससे कैंसर का ख़तरा पैदा होता है. यूरोप के कई देशों में ऐसे केमिकल्स वाली पर्चियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई है, बल्कि न्यूयॉर्क में ऐसी पर्ची प्रयोग करने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है. फ्रांस, डेनमार्क, स्वीडन, मैरीलैंड, वाशिंगटन मिनिसोटा एवं कनाडा में भी इसके प्रयोग पर पाबंदी है.
दरअसल, ऐसी पर्चियां केवल उन्हीं लोगों को नुक़सान नहीं पहुंचाती हैं, जिन्होंने इन्हें अपने हाथों में लिया या छुआ हो, बल्कि उन्हें भी नुक़सान पहुंचाती हैं, जिन्होंने इन्हें छुआ तक नहीं, क्योंकि प्रयोग की गई इन पर्चियों को खुली जगह पर फेंका जाता है. नतीजतन, ये पर्यावरण में मिलकर जलवायु को प्रदूषित और मानव शरीर को प्रभावित करती हैं. इसी तरह इन केमिकल्स का इस्तेमाल पेय पदार्थों की बोतलों और लंबे समय के लिए प्लास्टिक मील पैकिंग में भी होता है. कैंसर एक जानलेवा बीमारी ज़रूर है, लेकिन सावधानी बरत कर इससे बचा जा सकता है.

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