roorkee-jail-53e3d9157a506_उत्तराखंड की रुड़की जेल अपराधियों के लिए ऐशगाह बन गई है. जेल प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते अपराधियों की पौ बारह है. बीते दिनों जेल परिसर के अंदर हुए खूनी खेल में तीन लोगों ने अपनी जान गंवा दी और छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके साथ जेल के अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा कुख्यात अपराधियों को सुविधाएं देने का खुलासा भी हो गया. घटना ने इस बात की पुष्टि कर दी कि जेल प्रशासन की कमजोरी के चलते कुख्यात अपराधियों का नेटवर्क मजबूत हुआ है. नियमों से बंधी पुलिस की विवशता पूरे मामले में साफ़ झलक रही है. पुलिस अधिकारियों के चेहरों पर इसका असर दिख रहा है. राहत की बात यह है कि घटना में शामिल मुख्य शूटर, साजिशकर्ता एवं सहयोगी क़ानून के शिकंजे में आ चुके हैं. लेकिन, इतने भर से अपराध और अपराधियों पर अंकुश नहीं लगने वाला.
बीते पांच अगस्त की शाम जेल परिसर में हुई गैंगवार की इस घटना ने हरीश रावत सरकार को हिलाकर रख दिया. पुलिस ने पूरे मामले का लगभग खुलासा कर दिया है. पुलिस-प्रशासन ने गैंगवार के साजिशकर्ता, शूटर एवं अन्य सहयोगियों को चिन्हित कर राज्य सरकार को राहत प्रदान की. इस प्रकरण में अभी तमाम पहलुओं पर जांच चल रही है. जेल प्रशासन की खामियों और जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई परत-दर-परत खुल रही है. सवाल यह है कि जब कुख्यात सुनील राठी जेल में बैठकर इस मामले की साजिश रच रहा था, शूटरों को फोन कर रहा था, तब जेल का स्टाफ कहां था? जेल की पूरी ज़िम्मेदारी जेल प्रशासन की होती है, तो फिर डिप्टी जेलर या अन्य अधिकारियों ने इस बारे में कोई क़दम क्यों नहीं उठाए? ऐसी कोई सूचना पुलिस या ज़िले के आलाधिकारियों तक क्यों नहीं भिजवाई गई? यदि जेल के अंदर साजिश न रची जाती, तो शायद तीन घरों के चिराग न बुझते और छह लोगों को अस्पताल न पहुंचना पड़ता.
सवाल यह है कि जेल परिसर में ग़ैर-सरकारी तौर पर आयोजित होने वाले भंडारों एवं शौचालयों के निर्माण के लिए कितना पैसा खर्च किया जा रहा है और यह खर्च आख़िर कौन रहा है, इसकी जानकारी करने की जहमत ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने कभी नहीं उठाई. इसलिए मामले में स़िर्फ जेल प्रशासन को दोषी मानना अनुचित है. गैंगवार की रात यदि एसएसपी और बाद में डीआईजी छापा न मारते, तो राठी को मिल रही सुविधाओं का खुलासा कभी न हो पाता. राठी की बैरक से पैनड्राइव, कूलर, ड्राईफूड्स आदि चीजें बरामद हुई हैं. यह बरामदगी बताती है कि अगर पैसा हो, तो जेल अपराधियों के लिए घर से भी ज़्यादा सुविधाजनक एवं सुरक्षित जगह है. इससे यह भी पता चलता है कि हमारी जेलें अपराधियों को किस तरह सुधार रही हैं!

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