चुनाव आयोग के वकीलों की पैनल के सदस्य श्री मोहित डी राम का इस्तीफा कोई सामान्य घटना नहीं है ।इसका गंभीरता से विश्लेषण जरूरी है ,क्योंकि इस इस्तीफे से हमारे देश की चिंताजनक स्थितियां भी स्पष्ट हो रही हैं ।
श्री मोहित डी राम ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा कि मेरे मूल्यों और चुनाव आयोग की कार्य शैली में तालमेल नहीं बैठ रहा है ,इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं ।यह कथन श्री मोहित की बैचेनी और उनके प्रतिरोध को अभिव्यक्त कर रहा है ।
उल्लेखनीय है कि मद्रास हाई कोर्ट ने कोरोना के संक्रमण से हुई मौतों और जनता की दुर्दशा के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है ।बंगाल सहित अन्य राज्यों में इतने अधिक चरणों में चुनाव करवाने की भी आलोचना की गई है ।
केंद्र सरकार के फासीवादी चरित्र के कारण यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग अब स्वयं कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं है ।अब प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर ही चुनाव आयोग भी अन्य संस्थाओं की तरह काम कर रहा है ।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के निर्देश पर तैयार दस्तावेज चुनाव आयोग की तरफ से प्रस्तुत करने से सहमत नहीं होने पर ही श्री मोहित ने इस्तीफा दिया है ।
भारत के संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध श्री मोहित डी राम के इस्तीफे ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है ।