नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। शनिवार को नतीजों से पहले गुरूवार शाम को एग्जिट पोल का मेला देखने को मिला। हर विधानसभा चुनाव में भगवा झंडा लहराता हुआ दिखाई दिया। एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक 5 में से 4 राज्यों में बीजेपी के जीतने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। चौंकाने वाले एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश में देखने को मिले। हर एग्जिट पोल में बीजेपी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनती दिखी। कुछ एक पोल्स में तो बीजेपी को बहुमत भी मिलता दिखा। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्या वजह है कि यूपी में बीजेपी, सरकार बनाने की सबसे प्रबल दावेदार दिखाई दे रही है।
नोटबंदी का सकारात्मक प्रभाव: पूरे यूपी चुनाव में नोटबंदी की चर्चा बड़ा मुद्दा बनकर रही। बीजेपी और केंद्र सरकार को इस मामले पर जमकर घेरा गया। लेकिन लगता है जनता ने नोटबंदी को सकारात्मक तरीके से स्वीकार किया। अगर एग्जिट पोल के नतीजे, वास्तिविक नतीजों के करीब होते हैं तो ये मान लेना होगा कि नोटबंदी को जनता ने एक अच्छी पहल माना है। इस फैसले से सरकार की नीयत को जनता को कोई शक नहीं मालूम पड़ रहा है। दूसरी पार्टियों को भी इस तरह के फैसलों की निंदा करने के बजाय इसके कमियां ढूंढने की जरूरत थी। अखिलेश और राहुल गांधी जैसे युवा नेता जनता के बीच इस फैसले के कमियां को पहुंचाने में नाकामयाब रहे।
मोदी लहर तो नहीं लेकिन मैजिक बरकरार: साल 2014 का लोकसभा चुनाव तो याद होगा। जहां मोदी लहर नाम की टर्मिलॉजी का इस्तेमाल हुआ। मोदी लहर को लेकर तमाम सवाल हुए । एग्जिट पोल को देखकर ऐसा मालूम हो रहा है कि ‘मोदी लहर’ तो नहीं लेकिन मोदी मैजिक जरूर बरकरार है।
अखिलेश को परिवारिक विवाद का नुकसान: चुनाव से पहले मुलायम परिवार में जो कुछ हुआ। उसमे अखिलेश का राजनीतिक कद तो जरूर बढ़ा लेकिन विवाद की वजह से जनता के बीच गलत संदेश पहुंचा। काफी हद तक कार्यकर्ता और संगठन से जुड़े लोगों को भी ये बात पसंद नहीं आई।
मायावती की सोशल इंजीनियरिंग में कमी: एग्जिट पोल के मुताबिक मायावती काफी पीछे मालूम पड़ रही हैं। जो साफ कर रही है कि मायावती की सोशल इंजीनियरिंग उस स्तर पर नहीं की गई जिसके लिए वो जानी जाती थी। अगर वास्तिवकता में नतीजे एग्जिट पोल जैसे आते हैं तो मायावती का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।