योग गुरु बाबा रामदेव की राजनीतिक ताकत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री (मेजर जनरल रिटायर्ड) भुवन चंद्र खंडूड़ी के मंत्री बनने के मार्ग में बाधा पैदा करने में सफलता प्राप्त कर ली. बाबा अपने चहेते रमेश पोखरियाल निशंक की मंत्री के रूप में ताजपोशी तो नहीं करा सके, लेकिन जनरल को सत्ता से दूर रखने में सफल रहे. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का दंभ भरने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने अपनी नाराज़गी जाहिर कर दी है. उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि बाबा सिंहासन पर बैठाना जानता है, तो उसे शीर्षासन कराना भी आता है. कांग्रेस के सफाए के लिए 9 माह तक धर्मनगरी हरिद्वार का परित्याग करके पूरे देश में मोदी की ताजपोशी के लिए अलख जगाने वाले बाबा रामदेव द्वारा नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा न लेने पर लोग हैरान हैं.
जानकारों का मानना है कि बाबा रामदेव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दो बातों को लेकर नाराज हैं. पहला, गांधी परिवार (सोनिया-राहुल) को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया जाना और दूसरा, हरिद्वार के भाजपा सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान न मिलना. मालूम हो कि उत्तराखंड प्रभारी उमा भारती को रामदेव के चलते ही हरिद्वार से लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया था. उमा को दरकिनार कर निशंक को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतारा गया. कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जानते थे कि निशंक दागी हैं, बावजूद इसके उन्होंने समय की नजाकत देखते हुए निशंक को हरिद्वार से प्रत्याशी बनाया. वजह यह थी कि मोदी को स्वयं पर पूरा भरोसा था. उसी भरोसे का कमाल था कि निशंक ने राज्य के कद्दावर कांग्रेसी नेता एवं मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को हराकर हरीश और कांग्रेस की परंपरागत सीट छीन ली. मोदी के भरोसे को हरिद्वार की जनता ने मजबूती प्रदान की और निशंक चुनाव जीत गए.
कर्नाटक की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले येदियुरप्पा को उनके दागी होने के कारण ही मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया. इसीलिए अगर मोदी निशंक को मंत्री बनाते, तो निश्चित रूप से उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ता. नरेंद्र मोदी के मन में राज्य की जनता के प्रति अपार आदर है. दैवीय आपदा के समय उन्होंने पीड़ितों-प्रभावितों की मदद के लिए खुलकर हाथ बढ़ाया था. यह भी एक वजह थी कि जनता ने राज्य की सभी पांच सीटें उनकी झोली में डाल दीं. सूत्र बताते हैं कि मोदी ने स्वयं अपनी पहली पसंद भुवन चंद्र खंडूड़ी को उनकी उम्र नज़रअंदाज करते हुए पौढ़ी संसदीय सीट से चुनाव लड़ाया था. खंडूड़ी की जीत के दिन से ही उनके मंत्री बनने की चर्चा शुरू हो गई थी. चुनाव के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी खंडूड़ी है ज़रूरी का नारा दिया था. रामदेव की राजनीतिक हैसियत जानने वाले कहते हैं कि बाबा भले ही निशंक को मंत्री नहीं बनवा सके, लेकिन उन्होंने जनरल को शीर्षासन ज़रूर करा दिया. वहीं उमा भारती को मंत्री बनाकर उन्हें गंगा सेवा का विभाग प्रदान करना मोदी के राजनीतिक कौशल का हिस्सा माना जा रहा है.
रामदेव के दांव से खंडूड़ी चित्त
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