नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए घोटाले में केंद्र ने दो आईएएस अफसर डॉ.आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ आपराधिक प्रकरण चलाने की अनुमति दे दी है. राज्य सरकार ने इसके लिए एक साल पहले केंद्र से अनुमति मांगी थी. ब्यूरो अब दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी में जुटी है. एडीजी मुकेश गुप्ता ने बताया कि इसमें 2 से 3 माह का समय लग सकता है.
पिछले साल 12 फरवरी को छापे के बाद ईओडब्ल्यू ने डॉ. शुक्ला और टूटेजा के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था. उस वक्त शुक्ला खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव और टूटेजा नान के एमडी थे. राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने की अनुमति दे दी थी और आईपीसी में अभियोजन के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी.
यह सिफारिश पिछले साल 18 जुलाई को डीओपीटी से की गई थी. दोनों अफसरों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इसमें इन्होंने ईओडब्ल्यू द्वारा चावल की क्वालिटी और परिवहन में गड़बड़ी को लेकर सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए बयान को आधार बनाया है. इसमें सरकार ने किसी तरह की अनियमितता से इंकार किया था. हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
इसे देखते हुए ब्यूरो चार्जशीट को लेकर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहता है. सूत्रों के अनुसार, बीते 4 जुलाई को डीओपीटी से अभियोजन की मंजूरी के बाद से ईओडब्ल्यू विधि विभाग से लगातार चर्चा कर रहा है. समझा जा रहा है कि हाईकोर्ट में जवाब पेश करने के बाद दोनों अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है. सचिव जीएडी निधि छिब्बर ने केंद्र की अनुमति की पुष्टि की है.
एडीजी गुप्ता ने बताया कि उन्हें पिछले सप्ताह केंद्र की अनुमति का पत्र मिला है. विधि विभाग के साथ मिलकर पूरे मामले की जांच की जा रही है. नागरिक आपूर्ति निगम (नान घोटाला) भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. नान घोटाले से जुड़ी एक डायरी में दो मंत्रियों, एक पूर्व मंत्री सहित कई अधिकारियों के नाम आने के बाद सरकार घिरती जा रही है.
विपक्ष इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले में फंसे प्रदेश के नौकरशाहों और मंत्रियों पर एक्शन लेने से बच रही है. प्रदेश भाजपा का कहना है कि यह इतना बड़ा घोटाला नहीं है, जिसकी सीबीआई जांच हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम विधिक लड़ाई ही लड़ सकते हैं. इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.
शुक्ला का प्रमोशन खटाई में, 18 कर्मी निलंबित- अभियोजन की स्वीकृति के बाद डॉ. शुक्ला का अतिरिक्तमुख्य सचिव के पद पर प्रमोशन भी खटाई में पड़ गया है. उनकी पदोन्नति जनवरी 2017 से होनी है, लेकिन तब तक मामले का निपटारा होना मुश्किल है. ऐसे में उम्मीद है कि उनकी जगह उनके बैच के प्रमुख सचिव सुनील कुजूर और अजयपाल सिंह प्रमोट होंगे. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा पर प्रक्रिया के तहत कार्रवाई हो रही है.
नागरिक आपूर्ति निगम के राजधानी स्थित कार्यालय से एक करोड़ 62 लाख 97 हजार 500 रुपए की बरामदगी के बाद 18 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित और दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है.
नागरिक आपूर्ति निगम के नए प्रबंध संचालक ब्रजेश चंद्र मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री सभी विभागों में जीरो टॉलरेंस की नीति लागू करना चाहते हैं, इसलिए उनके निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जा रही है.
ब्रजेश चन्द्र मिश्रा ने पदभार ग्रहण करने के बाद 18 अधिकारियों व कर्मचारियों के निलंबन व संविदा में कार्यरत दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. इससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. निलंबित अधिकारियों में से एक शिवशंकर भट्ट, जो चावल, दाल व नमक वितरण के प्रभारी थे, भी शामिल हैं. वे एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा की गई छापेमारी के बाद भी दफ्तर आ रहे थे.
लॉकर ने उगला सोना – एसीबी की टीम ने नागरिक आपूर्ति निगम के मैनेजर केके यदु के दो लॉकरों में से एक को खोला. इसमें 11 लाख रुपए नगद के साथ ही सोने-चांदी के जेवरात भी मिले. दूसरा लॉकर गुरुवार को खोला जाएगा. आरोपियों के घर से पहले भी 1,63,500 रुपए नगद, 8.26 लाख की ज्वेलरी, 40 लाख एफडी और 10 लाख रुपए के एलआईसी दस्तावेज भी बरामद हुए थे.
इसके साथ ही उनके पास 20.29 करोड़ रुपए का मकान व 64 लाख का आवासीय प्लॉट भी है. 20 स्थानों पर दबिश- एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने बुधवार को प्रदेशभर के 20 नागरिक आपूर्ति निगम गोदामों में छापेमारी की.
इस दौरान चावल के सैंपल और बारदानों की जांच की गई. गोदाम में रखे गए स्टॉक और आवक-जावक रजिस्टर के संबंध में कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ की गई. इधर जांच के दौरान नान के बिलासपुर जिला मैनेजर के एक लॉकर से 11 लाख नगदी, 450 ग्राम सोना और कई किलो चांदी बरामद की गई है.
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के अतिरिक्त महानिदेशक मुकेश गुप्ता ने बताया कि भ्रष्टाचार की परत खोलने के लिए नान के सभी गोदामों और अधिकारियों के ठिकानों की जांच की जा रही है.
कांग्रेस का आरोप, चना खरीद में भी घोटाला – कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य में चना खरीदी में भी 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. कांग्र्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व छत्तीसगढ़ प्रभारी मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में राशन दुकानों से बांटने के लिए हो रही चना खरीदी में 100 करोड़ रुपए के घपले का आरोप लगाया है. अकबर का दावा है कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने निविदा में जान-बूझकर ऐसी शर्तें जोड़ी हैं कि प्रदायकर्ता अपनी मनचाही दर भर सकें.
उन्होंने बताया कि नान द्वारा 5.85 लाख क्विंटल चना खरीदी के लिए निविदा निकाली गई है. यह निविदा बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, धमतरी, बालोद, गरियाबंद व राजनांदगांव जिले में चना खरीदी के लिए आमंत्रित की गई है. निविदा 14 मार्च को शाम 5 बजे तक ऑनलाइन जमा की जानी थी.
चना खरीदी के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 3425 रुपए प्रति क्विंटल को आधार बनाने के बजाय जानबूझकर ऐसी शर्तें रखी गई हैं, जिससे प्रदायकर्ता अपनी मनचाही दर पर चना दे सकें.
इसका नतीजा यह हुआ कि अब रायपुर दुर्ग एवं बस्तर संभाग में चना 5175 रुपए प्रति क्विंटल, सरगुजा संभाग में 5038 रुपए प्रति क्विंटल और बिलासपुर दुर्ग संभाग में 5004 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा.
अकबर ने कहा कि सरकार अगर समर्थन मूल्य पर किसानों से चना खरीदती, तो इससे किसानों को लाभ होता, लेकिन सरकार की प्राथमिकता व्यापारी हैं. 5.85 लाख क्विंटल चना, जो 200.44 करोड़ रुपए में खरीदा जाता, अब 98.14 करोड़ रुपए अधिक यानी 298.58 करोड़ रुपए में खरीदा जाएगा. इससे सरकार को 100 करोड़ रुपए का नुकसान होगा.
निविदा की शर्तों के मुताबिक, प्रबंध संचालक को इस निविदा को बिना कारण बताए निरस्त करने का पूरा अधिकार है. यह पूरी तरह से अवैधानिक एवं नियम विरुद्ध है, क्योंकि जिस निविदा को स्वीकृत करने का अधिकार प्रबंध संचालक को अकेले नहीं है, उसे वे निरस्त भी नहीं कर सकते हैं.