भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित उत्तर बिहार का सीतामढ़ी जिला धर्म, आध्यात्म व ऐतिहासिक धरोहरों से परिपूर्ण है. मां जानकी की पावन जन्म स्थली होने के कारण मिथिला का यह क्षेत्र सदियों से आस्था का केंद्र बना है. देश के जाने माने साधु-संत व कथा वाचक अक्सर इस पावन भूमि पर अध्यात्मिक चेतना का प्रवाह करते रहते हैं. इसी कड़ी में 06 जनवरी से 14 जनवरी 2018 तक सीतामढ़ी के खडका रोड स्थित मिथिलाधाम में ख्याति प्राप्त कथा वाचक मोरारी बापू की कथा का आयोजन हुआ. मां जानकी जनसेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कथा से पहले 5 जनवरी को शहर में ध्वज के साथ शोभा यात्रा निकाली गई. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत 6 जनवरी को कथा वाचक का आगमन हुआ.
मां जानकी जन्म स्थली पुनौरा धाम व सीतामढ़ी के ऐतिहासिक जानकी मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद मोरारी बापू ने कथा का श्रीगणेश किया. खडका रोड स्थित सीतामढ़ी गोशाला के एक भूखंड पर विशाल पंडाल का निर्माण कराया गया था, जहां हजारों लोगों के बैठने एवं कथा के बाद प्रतिदिन प्रसाद की व्यवस्था की गई थी. कथा स्थल तक श्रद्धालुओं के आने व वापस लौटने के लिए वाहनों की व्यवस्था भी की गई थी, वहीं बाहर से आए श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शहर के करीब एक दर्जन होटलों में व्यवस्था की गई थी. ट्रस्ट के अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, सज्जन हिसारिया, डॉ एसपी खेतान, राजेश कुमार सुंदरका, राजेंद्र प्रसाद, शिव कुमार प्रसाद, पंकज गोयनका समेत अन्य का कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान रहा.
मोरारी बापू के कथा कार्यक्रम में भाजपा संगठन व नेताओं की भागीदारी को लेकर आम लोगों के बीच चर्चा का बाजार गर्म है. लोग इसे आगामी चुनाव की कड़ी में वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि कथा वाचक ने खुद को राजनीतिक चर्चाओं से अलग रखते हुए केवल सीता-राम और मिथिला को ही कथा का केंद्र बनाए रखा. कार्यक्रम में भाजपा नेता व सूबे के नगर विकास व आवास सह जिला प्रभारी मंत्री सुरेश शर्मा, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, शिवहर सांसद रमा देवी आदि शामिल हुए. वहीं तिरहुत स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद देवेशचंद्र ठाकुर, विधायक गायत्री देवी, रालोसपा के स्थानीय सांसद राम कुमार शर्मा व पूर्व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू की भी इस आयोजन में भागीदारी रही.
इस कार्यक्रम में भाजपाई भागीदारी की चर्चा इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हाल ही में एक भाजपा नेता ने सीतामढ़ी में सीता मंदिर बनाने की बात कही थी, वहीं वरिष्ठ भाजपाई नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी बयान दिया था कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद सीतामढ़ी में सीता मंदिर भी बनना चाहिए. हालांकि स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक कार्यक्रमों में सियासी भागीदारी कोई नई बात नहीं है. लोगों को भी अब पता चल चुका है कि सीता मंदिर निर्माण का मुद्दा अब सियासी रूप ले चुका है. भाजपा की मंशा भी सीता-राम मुद्दे को जिंदा रखने की है. हालांकि स्थानीय लोगों के लिए यह आस्था का केंद्र है और लोगों का मानना है कि यहां भव्य सीता मंदिर का निर्माण होने से जिले का गौरव तो बढ़ेगा ही, इसके पर्यटन का केंद्र बनने से रोजी-रोटी के नए अवसर भी पैदा होंगे.