खिलाडियों का राजनीति में आना नई बात नहीं है. इस चुनाव में भी अलग-अलग खेलों से कुछ खिला़डी राजनीतिक मैदान की बाजी मारने को आतुर हैं. राजनीति में खिलाडियों को पहचान भी आसानी से मिल जाती है क्योंकि वे पहले से जाने-पहचाने चेहरे होते हैं. प्रत्येक पार्टी इनके फेस वैल्यू को भुनाना भी चाहती है. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. कई मशहूर और लोकप्रिय खिला़डी भी राजनीतिक खेल में मात खा चुके हैं. यह चुनाव भी ऐसे ही कई खिला़िडयों की किस्मत की नई इबारत लिखेगा.
लोकसभा चुनाव आते ही राजनीति के गलियारों में हलचल तेज हो जाती है और राजनेताओं का एक से दूसरी पार्टी में आना-जाना शुरू हो जाता है. कई राजनीतिज्ञ अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल होने लगते हैं, तो कई नए लोग राजनीतिक पार्टियों से जुड़कर राजनीति में भाग्य आजमाने के लिए आते हैं. खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं हैं. हाल में कई खिलाड़ी भी राजनीतिक पार्टियों में शामिल हुए हैं. कई दिग्गज खिलाड़ी पहले से राजनीति में हैं, जिन्होंने अपनी शुरुआत चुनाव लड़ कर की है. अब यह देखना होगा दिलचस्प होगा कि ये नए खिलाड़ी राजनीतिक पिच पर कितना कामयाब हो पाते हैं. हमने खेल मैदान का मैदान छो़डकर राजनीति में भाग्या आजमाने आए कुछ खिला़िडतों पर एक नजर डालने की कोशिश की है.
क्रिकेट के मैदान से राजनीति में आए कीर्ति आजाद के पिता भागवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री थे. कीर्ति आजाद 1993 में दिल्ली गोलमार्केट विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. इसके बाद वह भाजपा के टिकट पर 1999 और 2009 में दरभंगा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं. कीर्ति भाजपा के टिकट पर इस बार भी दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. वहीं भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन उत्तरप्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद हैं और इस बार उनको कांग्रेस ने राजस्थान के सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. अब यह देखना होगा कि अजहरूद्दीन कि क्या इस बार भी वे पहले वाला करिश्मा दिखा पाते हैं? अजहरुद्दीन ने 2009 में ही कांग्रेस में शामिल हुए थे. उसी साल उन्हें पार्टी का टिकट भी थमा दिया गया था. नवजोत सिंह सिद्धु ने 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था तभी से वह वहां के सांसद हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया है. उनकी जगह पार्टी ने अमृतसर से राज्यसभा सांसद व राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली को टिकट दिया है. भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी चेतन चौहान सन्यास लेने के बाद भाजपा से जुड़े और अमरोहा लोकसभा सीट से 1991 में चुनाव लड़ा. वहां से जीत हासिल की. चौहान दो बार भाजपा के टिकट चुनाव जीतकर वहां के सांसद रहे हैं और उन्हें तीन बार लोकसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा. विनोद कांबली राजनीति में आए, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली. उन्होंने 2009 में मुंबई के बिखरोली विधानसभा सीट से लोकभारती पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गए. भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तानों में शुमार किए जाने वाले मंसूर अली खान पटौदी ने 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुड़गांव से लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद 1991 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वहां भी हार गए. भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडी युवराज सिंह के पिता भी क्रिकेटर ही थे. योगराज सिंह ने 2009 में आईएनएलडी के टिकट पर पंचकुला से हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ा और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. पश्चिम बंगाल की एथलीट ज्योतिर्मयी सिकदर 2004 में सीपीआई(एम) के टिकट पर पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज कराई. उन्होंने एक बार फिर 2009 में उसी सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गईं. ज्योतिर्मयी ने 1998 के बैंकॉक एशियन गेम्स में 800 और 1500 मीटर दौ़ड में स्वर्ण पदक हासिल किया था. निशानेबाज जसपाल राणा भी 2009 में भाजपा के टिकट पर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल से चुनाव लड़े, लेकिन उनको चुनाव में हार मिली. उसके बाद राणा ने 2012 में कांग्रेस का दामन थाम लिया. जसपाल राणा ने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल किया है. केन्द्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली युपीए सरकार ने सचिन को राज्यसभा के लिए नामित किया और सचिन को राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा सांसद के रूप में मनोनीत किया गया है. सचिन ने 24 साल के सर्वश्रेष्ठ अंर्तराष्ट्रीय करियर को पिछले साल नवम्बर में मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट खेलकर अलविदा कहा था. सचिन ने 200 टेस्ट मैच और 463 वनडे मैच खेले हैं. खिलाड़ी से नेता बनने की चाहत धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है. निशानेबाज रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राजस्थान में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और पार्टी के पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होकर राजनीति की शुरुआत की है. भाजपा ने उन्हें जयपुर गांव लोकसभा सीट से चनाव मैदान में उतारा है. राज्यवर्धन एथेंस ओलंपिक में भारत के एकमात्र पदक जीतने वाले खिलाड़ी थे. वर्ष 2004 में उनको राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. भारती
य हॉकी के पूर्व कप्तान और सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्ले आप मे शामिल होकर राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं. पिल्ले को 1999-2000 में सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया और 2000 में उन्हें देश पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है. क्रिकेट में असफल रहने के बाद मोहम्मद कैफ राजनीति में भाग्य आजमाएंगे. कैफ कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद फूलपूर लोकसाभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. हमें यह देखना होगा कि कैफ राजनीति में सफल होते हैं या क्रिकेट की तरह फ्लॉफ हो जाते हैं. कैफ ने आखिरी मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2006 में एक दिवसीय मैच खेला था. कैफ अंर्तराष्ट्रीय क्रिकेट से खराब प्रदर्शन के कारण बाहर चल रहे हैं. भारतीय फुटबाल टीम के स्टार खिलाड़ी रहे बाइचुंग भूटिया और प्रसून बनर्जी ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति की शुरुआत की है. दोनों ही फुटबाल खिलाड़ी रहे हैं. इस बार दोनों ही टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बाइचुंग भूटिया दार्जिलिंग लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं, तो प्रसून बनर्जी हावड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
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