rajnathकश्मीर घाटी में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. पिछले 21 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में तीन मिलिटेंटों समेत सात आम लोग मारे गए और दर्जनों ज़ख़्मी हुए. इस घटना को लेकर सुरक्षा बलों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की अनदेखी कर कई इंसानी जिंदगियों को खतरे में डाल दिया.

दरअसल, 21 अक्टूबर की रात सुरक्षा बलों को कोलगाम जिले के लारो क्षेत्र में मिलिटेंटों की मौजूदगी की सूचना मिली. सूचना मिलते ही सुरक्षा बलों ने क्षेत्र की घेराबंदी कर रात में ही तलाशी अभियान शुरू कर दिया. इस घेराबंदी में तीन मिलिटेंट फंस गए. रात के लगभग पौने तीन बजे फायरिंग शुरू हो गई. मिलिटेंट एक रिहाइशी मकान में छुपे हुए थे.

उनके साथ उस घर के सदस्य भी मौजूद थे, जिनमें दो बच्चों समेत पांच लोग शामिल थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी लगातार मांग के बाद सुरक्षाबलों ने थोड़ी देर के लिए फायरिंग रोककर घर के सदस्यों को बाहर आने का मौक़ा दिया. यह परिवार सुबह सात बजे जब घर से बाहर आया, तब तक घर का आधा हिस्सा मुठभेड़ में ढह चुका था.

एक स्थानीय नागरिक अली मुहम्मद वानी ने चौथी दुनिया को बताया कि तीन घंटे तक गोलियों की बरसात में घिरे इस परिवार की हालत बेहाल थी. सुरक्षा बलों के लिए तय स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के मुताबिक, तब तक मिलिटेंटों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू नहीं होना चाहिए था, जब तक कि मकान के अंदर मौजूद आम लोगों को बाहर नहीं निकाल लिया जाता.

बहरहाल, मुठभेड़ शुरू होने के तीन घंटे बाद, जब वो परिवार सुरक्षित बाहर निकल आया, उसके बाद सुरक्षा बलों ने उस मकान को मोर्टार के गोलों से ध्वस्त कर दिया. हालांकि मकान के तबाह होने से पहले ही, बाहर निकलने के क्रम में तीनों मिलिटेंट सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा चुके थे. सुरक्षा बालों के घटना स्थल से चले जाने के बाद जब स्थानीय लोगों ने मकान का मलबा हटाना शुरू किया, तो वहां एक विस्फोट हो गया, जिसके कारण दर्जनों नौजवान ज़ख़्मी हो गए. उनमें से सात ने बाद में दम तोड़ दिया.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि सुरक्षा बलों ने जानबुझ कर क्षतिग्रस्त मकान को आम लोगों के लिए खुला छोड़ दिया था. सुरक्षा बलों के लिए तय स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के मुताबिक उन्हें पहले ध्वस्त मकान के मलबे को खंगाल कर यह सुनिश्चित करना था कि वहां कोई विस्फोटक वस्तु तो नहीं रह गई है. चूंकि यहां पांच घंटे की फायरिंग और गोलीबारी हुई थी, इसलिए संभव था कि वहां कोई विस्फोटक मौजूद हो.

गृहमंत्री मंत्री राजनाथ सिंह ने 23 अक्टूबर को अपने कश्मीर दौरे के अंत में एक प्रेस कांफ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने कोलगाम में सात नागरिकों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इन मौतों से उन्हें तकलीफ पहुंची है. उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि फौजी ऑपरेशन ख़त्म हो जाने के बाद जब सुरक्षाकर्मी वहां से जा चुके थे, तो वहां लोग जमा हुए और किसी कारणवश धमाका हो गया, जिसमें कई नागरिक मारे गए. मुझे बहुत तकलीफ पहुंची है. मैं उनके परिवार वालों के साथ संवेदना व्यक्त करता हूं.

एक और उच्च शिक्षा प्राप्त मिलिटेंट मारा गया

23 और 24 अक्टूबर की मध्य रात्रि को श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम में सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में दो मिलिटेंटों को मार गिराया. मारे गए मिलिटेंटों में से एक सब्जार बशीर सूफी भी था. सूफी ने जामिया मिलिया इस्लामिया से पीएचडी किया था और दो साल पहले घाटी में वापसी के बाद मिलिटेंसी में शामिल हो गया था. सब्जार चौथा उच्च शिक्षा प्राप्त मिलिटेंट है, जो पिछले दो सालों के दौरान सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया. इससे पहले अजहरुद्दीन (जिसने अरबी में पीएचडी की थी), डॉ रफ़ीक बट (जो कश्मीर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर था) और मन्नान वानी (जो एएमयू का पीएचडी स्कॉलर था) मारे जा चुके हैं.

जुलाई 2016 में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा की जो लहर पैदा हुई थी, वो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले दो सालों के दौरान सैकड़ों कश्मीरी नौजवान और सैकड़ों मिलिटेंट मारे जा चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या में नौजवान मिलिटेंसी में शामिल हुए हैं और यह सिलसिला अभी तक जारी है.

गृहमंत्री मंत्री की पेशकश का मतलब

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 23 अक्टूबर को श्रीनगर में अपने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह भी कहा कि नई दिल्ली कश्मीर में किसी के साथ भी बातचीत के लिए तैयार है. उन्हें यह बात जोर देकर कही कि सरकार बातचीत के लिए गंभीर है. मैं इमानदारी के साथ कहता हूं कि जो लोग भी बातचीत करना चाहते हैं, हम उनसे बातचीत के लिए तैयार हैं. उनके इस सकारात्मक बयान के बावजूद बहुत कम लोगों को यकीन है कि नई दिल्ली घाटी में इस समय बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेगी.

समीक्षकों का कहना है कि एक ऐसे समय में जब 2019 के चुनावों की प्रक्रिया शुरू होने वाली है, भाजपा सरकार कश्मीर में अलगाववादियों के साथ बातचीत शुरू करने की स्थित में नहीं होगी. जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएंगे, अलगाववादियों और पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार के तेवर और सख्त होते जाएंगे.

जहां तक राजनाथ सिंह के बयान का सम्बन्ध है, यह उनकी तरफ से जारी होने वाला ऐसा कोई पहला बयान नहीं है. इसी साल 26 मई को उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि केंद्र सरकार न केवल हुर्रियत नेताओं, बल्कि पाकिस्तान के साथ भी बातचीत के लिए तैयार है. लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही भाजपा के कुछ नेताओं की तरफ से परस्पर विरोधी बयान आने शुरू हो गए, जिसके बाद गृहमंत्री के बयान की अहमियत समाप्त हो गई.

राजनाथ सिंह के पूर्व के बयानों का हश्र देखते हुए समीक्षक उनके मौजूदा बयान को अधिक महत्व नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार इस समय राजनैतिक प्रक्रिया शुरू करने की स्थिति में नहीं है. क्योंकि पिछला चुनाव भाजपा राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता लागू करने और आर्टिकल 370 समाप्त करने के साथ-साथ विकास, रोज़गार, मंहगाई और कालाधन के मुद्दों पर जीता था. लेकिन यह सरकार उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाई है.

समीक्षकों का मानना है कि अबकी बार वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा देश में हिंदुत्व कायम करने, पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजाने और कश्मीरी अलगाववादियों को सबक सिखाने जैसे भावनात्मक नारों का इस्तेमाल करेगी और ऐसी स्थिति में यह संभव ही नहीं कि मोदी सरकार कश्मीर में बातचीत की कोई प्रक्रिया शुरू करे. इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि निकट भविष्य में कश्मीर में जारी हिंसा की लहर से छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है.

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