चार दिन का बज़ार, अब बड़े प्लेटफॉर्म का इंतजार, आत्मनिर्भर मप्र की अवधारणा के साथ किए गए चार दिन के आयोजन ‘राग भोपाली’ का बुधवार शाम को समापन हो गया। जरी-जरदौजी और जूट शिल्प को प्रमोट करने के लिए आयोजित किए गए इस मेले के बाद अब शिल्पियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशानुसार जल्दी ही उन्हें कोई बड़ा प्लेटफॉर्म मिलेगा, जिसके जरिये वे अपनी कला को देश-दुनिया तक पहुंचा सकेेंगे। साथ ही इस शिल्प के नाम के साथ अपने शहर को भी दुनिया के सामने लाएंगे।
चार दिवसीय आयोजन में अपने जरी-जरदौजी वर्क के साथ मौजूद रहीं हुमा खान इस क्रॉफ्ट की स्टेट अवार्डी हैं। उनका कहना है कि शिल्पियों को अपने काम और मेहनत की कुछ प्रशंसा और थोड़ा मेहनताना मिल जाए, यही उसका सच्चा ईनाम है। वे कहती हैं कि सदियों पुराने इस क्राफ्ट को दुनिया जानती है, लेकिन इसकी पहचान लोगों तक पहुंचाने के लिए एक मुनासिब प्लेटफार्म की जरूरत है। शिल्पियों को काम के लिए व्यवस्थित वर्कशेड, काम करने के लिए जरूरी संसाधन और बेहतर से बेहतर डिजाइन देने के लिए रॉ मटेरियल मिलना भी मुश्किल है।
सरकार और प्रशासन इसके लिए शिल्पियों को मदद पहुंचाएं तो उनका काम करने का मकसद पूरा हो जाए। हुमा कहती हैं कि इस शिल्प का तैयार माल देश और दुनिया में लगने वाले बड़े क्रॉफ्ट बाजारों तक पहुंच पाए, इसके लिए भी सरकार को कोशिश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ इस क्राफ्ट के शिल्पियों को मिले तो शहर की यह पहचान परवान चढ़ सकेगी।
कोशिशों से मिलेगी मंज़िल
राग भोपाली आयोजन के सूत्रधार संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम, भोपाल के अशोक निगम का कहना है कि विभाग द्वारा लगातार प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और आयोजन के जरिये शिल्पियों की प्रतिभा को उभारने और उनको उचित प्लेटर्फार्म देने की कोशिश की जाती रही है। इस आयोजन का उद्देश्य भी जरी-जरदौजी और जूट कला के शिल्पियों को उचित पहचान देने की मंशा रही है।
उन्होंने कहा कि साधनों की कमी की वजह से इस कला के माहिरों का अपनी कौशलता के बावजूद दूसरे कामों की तरफ रुख बढ़ रहा है। निगम ने कहा कि अब इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं कि इन शिल्पियों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए और कलाकारों को उनके मिजाज के मुताबिक साधन, सुविधाएं और बाजार उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर अविनाश लवानिया ने खुद रुचि लेकर इस काम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है, तो निश्चित ही उनके प्रयासों को सफलता मिलेगी। इनका कहना है राग भोपाली शहर की पहचान को देश-दुनिया तक पहुंचाने की एक शुरूआत है। इस कार्यक्रम के जरिये सभी शिल्पियों को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है। जिनके लिए अब योजनाओं को आकार दिया जाएगा।