अच्छे दिनों की चाह में छह दशक बीत गए, लेकिन रायबरेली की बुनियादी समस्याएं आज भी जस की तस हैं. करोड़ों रुपये के बजट सड़कें बनाने, मरम्मत करने और पैचवर्क के नाम पर आए और ठिकाने लग गए, लेकिन सड़कें दुरुस्त होने के बजाय लगातार बद से बदतर होती जा रही हैं. ग़ौरतलब है कि रायबरेली देश के नक्शे में एक अहम स्थान रखता है. यहां की सांसद सोनिया गांधी की सरकार ने पिछले दस सालों तक देश पर राज किया. बावजूद इसके रायबरेली की हालत सुधरी नहीं, बल्कि दिनोंदिन खराब होती चली गई.
शायद इसी वजह से यहां की जनता ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त पटखनी देते हुए छह में से पांच सीटें सपा की झोली में डाल दीं, वहीं सदर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश सिंह की ताजपोशी कर दी. पांच सीटों पर सपा को विजयश्री दिलाने के बावजूद लोगों को राज्य सरकार से भी निराशा हाथ लगी. रायबरेली में एक भी सड़क ऐसी नहीं है, जिस पर यातायात ढंग से संचालित हो सके. रायबरेली को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों से निकलना दुश्वार हो चुका है. इलाहाबाद-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट रेलवे क्रासिंग पर पिछले एक साल से फ्लाई ओवर का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते आवागमन पूरी तरह बाधित हो चुका है. कानपुर से लखनऊ-इलाहाबाद मेन लिंक मार्ग (बाईपास) के समीप जेल रोड पर पिछले डेढ़ साल से पुलिया टूटी पड़ी है, जिसका टेंडर भी हो चुका है, लेकिन कछुआ गति के कारण अभी तक आवागमन पूरी तरह बाधित है. लिहाजा भारी वाहन शहर के अंदर से होते हुए डिग्री कॉलेज चौराहा पार करके सिविल लाइन ओवरब्रिज से अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं.
पुलिस लाइन से अस्पताल चौराहे की हालत काफी बदतर है. सड़कें मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए काल बन चुकी हैं. शहर से रतापुर चौराहे को जोड़ने वाला नवनिर्मित फ्लाई ओवर क्षतिग्रस्त हो चुका है और उस पर वाहनों का आवागमन वर्जित कर दिया गया है. लखनऊ जाने के लिए एकमात्र रास्ता चंपा देवी मंदिर होते हुए प्रयोग में है. लेकिन, जब बारिश होती है, तो रेलवे पुल के नीचे इतना पानी भर जाता है कि वाहनों का निकलना नामुमकिन हो जाता है. बीते दिनों इलाहाबाद से लखनऊ जा रहे राकेश भदौरिया की गाड़ी पुल के नीचे पहुंचते ही इंजन में पानी जाने के कारण बंद हो गई. किसी तरह ट्रैक्टर से जोड़कर उसे बाहर निकाला गया. रायबरेली-डीह मार्ग पर भूएमऊ से आगे स्थित पुलिया पिछले ढाई साल से टूटी पड़ी है. राष्ट्रीय राजमार्ग 330-ए पर लश्करी का पुरवा के निकट टूटी पुलिया बनाने के बाद उसे ऐसी हालत में छोड़ दिया गया कि कोई वाहन उस पर गुजर ही नहीं सकता. कुचरिया के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही एक काफी बड़ा गड्ढा है, लेकिन किसी भी अधिकारी-जनप्रतिनिधि के कान पर जूं नहीं रेंगती.
जेल रोड, कैनाल रोड, सुल्तानपुर चौराहे से रेयान स्कूल तक 545 वर्क कांट्रैक्ट के तहत सड़कों का निर्माण तय किया गया है, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक कार्य नहीं दिखाई दे रहा. समाजसेवी डॉ. राजीव सिंह ने सड़कों की खस्ताहाली के मद्देनज़र लगभग 150 शिकायतें भूतल परिवहन मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव-सार्वजनिक निर्माण विभाग और मुख्य अभियंता से अधिशाषी अभियंता तक कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्यवाही-सुनवाई नहीं हुई. लखनऊ-इलाहाबाद राजमार्ग, डिग्री कॉलेज चौराहा, सिविल लाइन, बस अड्डा, सुपर मार्केट एवं रेलवे स्टेशन आदि पर अक्सर जाम लगा रहता है. रायबरेली की आबादी बढ़ चुकी है, लेकिन यातायात पुलिस में सिपाहियों की तैनाती बीस साल पहले वाली व्यवस्था के मुताबिक हो रही है. लेकिन, किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान कभी इस ओर नहीं जाता. सपा के पांच विधायकों में से एक डॉ. मनोज कुमार पांडेय प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. शेष चार विधायकों में पंजाबी सिंह, रामलाल अकेला, देवेंद्र प्रताप सिंह एवं आशा किशोर निर्मल हैं. एक सांसद, राज्य सरकार में एक कैबिनेट मंत्री और पांच विधायकों वाले रायबरेली को वीवीआईपी जनपद कहा जाता है, लेकिन जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.
रायबरेली : दशा खराब, दिशा लापता और ज़िला वीवीआईपी!
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