बहन प्रियंका संग लखनऊ में कांग्रेस की सियासी ताकत दिखाने से पहले एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल का मुद्दा उठाया है. राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि राफेल विमान सौदे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चोरी की है, इस बात की पुष्टि रक्षा मंत्रालय भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि PM मोदी दूसरी ही डील कर रहे थे. दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के धरने प्रदर्शन का समर्थन करने आंध्र भवन पहुंचे राहुल गांधी ने अंग्रेजी दैनिक में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया.
Delhi: Congress President Rahul Gandhi at the Andhra Pradesh CM N Chandrababu Naidu’s day-long hunger strike against the central government. pic.twitter.com/rKCjz9wz2l
— ANI (@ANI) February 11, 2019
उन्होंने कहा कि अखबार की रिपोर्ट से ये सिद्ध हो गया है कि प्रधानमंत्री ने इस डील में से एंटी करप्शन क्लॉज को हटवाया है. राहुल ने कहा कि डिफेंस डील में एंटी करप्शन का क्लॉज होता है, अखबार की पहली स्टोरी में लिखा था कि नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्रालय की बातों को नकारते हुए खुद डील की, इसके बाद आज की रिपोर्ट के बाद साफ है कि प्रधानमंत्री ने राफेल मामले में चोरी की है. कांग्रेस अध्यक्ष ने यहां आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग की और कहा कि नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश का पैसा चुराकर अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया.
Congress President Rahul Gandhi : Every defence deal has an anti-corruption clause. The Hindu has reported that the PM removed the anti-corruption clause. It is clear that the PM facilitated loot. #Rafale pic.twitter.com/FnZEkELOPt
— ANI (@ANI) February 11, 2019
आपको बता दें कि बीते दिनों एक अंग्रेजी अखबार ने राफेल डील को लेकर खुलासा किया था, जिसपर सड़क से संसद तक हंगामा हुआ था. अब उसी अखबार ने अपनी रिपोर्ट की दूसरी किस्त निकाली है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि मोदी सरकार इस सौदे को लेकर इतनी हड़बड़ी में थी कि उसने एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्त को हटा दिया. इस खबर के छपते ही कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तंज भी कसा. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ‘सरकार ने एस्क्रो अकाउंट रखने के वित्तीय सलाहकारों की बात को भी खारिज कर दिया, क्योंकि पीएमओ ने सॉवरेन या बैंक गारंटी की शर्त को खत्म करने का दबाव बनाया था.’ आपको बता दें कि इससे पहले की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने राफेल सौदे पर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दिए जा रहे दखल को लेकर आपत्ति जताई थी. हालांकि, सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए बयान में किसी तरह के दखल देने को नकारा गया था. अंग्रेजी अखबार के संपादक पर बीजेपी के नेताओं ने भी सवालिया निशाँ भी लगाया था, लेकिन जिस तरह से अंग्रेजी अखबार के संपादक एक के बाद एक बड़े खुलासे कर रहे हैं, उससे एक बात साफ़ हो जाती है कि कहीं ना कहीं मोदी सरकार इस मामले से पल्ला झाड़ना चाहती है, अगर ऐसा नहीं है तो प्रधानमंत्री को खुद सामने आकर इस मामले में सफाई देनी चाहिए (दूध का दूध और पानी का पानी कर देना चाहिए)