कल नागपुर में प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ने शार्टकट राजनीति करने वाले देश के, और करदाताओं के दुश्मन है ! यह बारहमहिने चुनावी मोडपर रहने के कारण उन्होंने नागपूर के कार्यक्रम में कहा ! मौका था किसी रस्ते के उद्घाटन समारोह का ! लेकिन नरेंद्र मोदीजी सिर्फ उद्घाटन करे ? और चले जाएं ? यह भला कैसे संभव हो सकता ? उन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान से लेकर ! किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में मौका मिला तो, वह अपनी आदत से मजबूर है !
उनका इशारा शतप्रतिशत विरोधी दलों की तरफ ही है ! लेकिन वह खुद, 7 अक्तुबर 2001 के दिन ! प्रथम बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे ! तब वह गुजरात विधानसभा के सदस्य तो दूर की बात है ! उन्होंने उसके पहले अपने जीवन में ग्रामपंचायत के सदस्य का भी चुनाव लडा नही था ! गुजरात बीजेपी की आपसी उठापटक के कारण ! इन्हें शार्टकट के लिए, विशेष रूप से उस पद पर नियुक्त करने का फैसला, पार्टी के आलाकमान ने लिया था ! ( जिसे क्रिकेट की भाषा में नाईट वॉचमन ! मतलब श्याम के आखिरी ओवरों के समय भेजा जानेवाले खिलाड़ि को कहा जाता है ! )
नरेंद्र मोदी, उम्र के सत्रहवे साल में घर का त्याग कर चुके हैं ! (यह उनका अपना कथन है !) और वह आर. एस. एस. के स्वयंसेवक के रूप में काम करने लगे ! और शायद उन्हें संघ के तरफसे भारतीय जनता पार्टी का काम करने का आदेश ! नब्बे के दशक में देने के कारण ! वह शुरू में पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में नियुक्त थे ! और कभी-कभी टीवी चैनलों पर हाफ बाही का कुर्ता पहने हुए, पार्टी प्रवक्ता के रूप में दिखाई देते थे ! यह हैसियत 6 अक्तुबर 2001 के दिन तक थी !
लेकिन गुजरात में केसुभाई पटेल के मुख्यमंत्री रहते हुए, वहां के बगावत के माहौल को देखते हुए ! आलाकमान ने दिल्ली से शॉर्टकट इलाज के लिए नरेंद्र मोदीजी को भेजा था ! जो नही पटेल थे ! जो गुजरात की राजनीति में, बहुतायत वाली जमात है ! वह गुजरात के सिर्फ दो प्रतिशत से भी कम जाती ! तेली होने के कारण ! उनका वैयक्तीक जनाधार नही के बराबर था ! और शायद आलाकमान ने यह सोचकर ही ! उन्हें गुजरात भेजा था ! लेकिन नरेंद्र मोदी किस मट्टी के बने है ? यह शायद उनकी पार्टी को भी मालूम नहीं था ! ( यह अब पूरी दुनिया को पता चल गया है ! )
लेकिन मुझे नहीं लगता कि, उस समय नरेंद्र मोदीजी को छोड़कर ! और किसी को मालूम था ! क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद अपनी प्रेस कांफ्रेंस में साफ – साफ कहा था “कि मैं वन डे मॅच का खिलाड़ियों में से नहीं हूँ ! मैं टेस्ट मैच का खिलाडी हूँ ! (यह बात मुझे मेरे अजिज दोस्त गुजराती लोकसत्ता के संपादक दिगंत भाई ओझा ने खुद प्रेस कांफ्रेंस में सुनि हुईं कही है !)
और विश्व को आज मानना पड़ेगा कि कौन सी ? दिर्घकाल की राजनीति करने के बाद ! आज भारत के इतिहास कि सबसे ज्यादा महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी उद्योगों को औने-पौने दामों में प्रायवेट मास्टर्स के हवाले करने से लेकर ! बैंकों के दिवालिया होने से लेकर ! रिजर्व बैंक के जमापूंजी को आधेसेभी अधिक खाली करने वाले ! और विमा कंपनीयो को चुना लगाने से लेकर ! रक्षा विभाग से लेकर, रेल तथा सभी रोजगार देने वाले उद्योगों को ! एक – एक करके प्रायव्हेट मास्टर्स के हवाले करना ! देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना है !
लेकिन दिर्घकाल की राजनीति धर्म का इस्तेमाल कर के ! ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले नरेंद्र मोदीजी को लगता है ! “कि वह अकेले राष्ट्रभक्त है, जो चंद पूंजीपतियों के खजाने भरने के लिए ! समस्त देश के संसाधनों को बेचकर ! शिक्षा, आरोग्य के जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से सरकार के जगह प्रायव्हेट लिमिटेड में दिए जा रहे हैं !
और अपनी दिर्घकालिक राजनीति के लिए ! हजारों करोड़ रुपये पूंजीपतियों से तथाकथित इलेक्शन बॉंड के जरिए ! अपने दल की पूंजी बढाने में लगे हुए हैं ! और इस कारण चुनाव में, बेतहाशा पैसा खर्च करने के बाद भी ! अगर चुनाव नहीं जितते है तो ? अपने राज्यपालों और, आई बी, ईडी तथा सीबीआई की मदद से ! विरोधी दलों के नेताओं को ! खरीदने से लेकर डराने – धमकाने का दिर्घकालिक उपायों से अपने दल की सरकारों को बनाने के ! गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र उसके उदाहरण है !
अक्तुबर 2001 की सात तारीख को वह, गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं ! और सव्वासौ दिनों के भीतर ! गोधरा कांड होता है ! और ( 27 फरवरी 2002 ) और नरेंद्र मोदीजी की ही भाषा में,दिर्घकालिक राजनीति के अनुसार 28 फरवरी से गुजरात में जो भी कुछ हुआ वह संपूर्ण विश्व को पता है ! दंगों की दिर्घकालिक राजनीति को खुल कर अंजाम देने वाले और अब दंगे करने वाले लोगों को टिकट देने से लेकर उस दंगे को दिर्घकाल की चिरशांती बोलने का खुलेआम चुनाव प्रचार में चलन शुरू हुआ है ! और हमारे चुनाव आयोग को इसमें कुछ भी गलत लगता नहीं ! हमारे सभी संविधानिक संस्थानों को क्या हो गया है ? शायद दिर्घकाल की राजनीति के लिए हमारे मिडिया से लेकर ! सभी संस्थानों ने एक सुर में तय कर लिया है ! “कि देश की भलाई के लिए वर्तमान समय की सरकार को हर तरह की सहुलियत देनी चाहिए !”
और कल नागपुर में वह, शॉर्टकट राजनीति करने वाले लोगों को, आड़े हाथों लेते हुए, भूल गए कि “उनकी अपनी राजनीति की शुरुआत ! शॉर्टकट के राजनीतिक हथकंडे इस्तेमाल करने के बाद ही शुरू हुई है !”
और उस शुरुआत में लोगों की जानो के साथ खिलवाड़ करके हुई है ! औरतो के इस्मतो के साथ खिलवाड़ करके हुई है ! आज हिंदूहृदयसम्राट, और 56 इंची छाती, जैसे जुमले ! लेकर चलने वाले आदमी के मुंहमे ! शार्टकट राजनीति यह शब्द आत्मटिका जैसा लग रहा है ! आपके 7 अक्तुबर 2001 से आज तक की पूरी राजनीतिक यात्रा ! मतलब इक्कीस साल, और दो महीने में. ! 28 फरवरी 2002 के गुजरात के दंगों से शुरू हुई !
जिसके बाद अपनी इमेज बनाने के लिए तथाकथित आतंकवादी ! आपको मारने के लिए आने वाले ! और उनके एनकाउंटर ! जिसके आकड़े दो दर्जन से अधिक है ! और उसी गुनाह के तहत आपके नंबर दो को ! गुजरात के गृहमंत्री पदपर रहते हुए ! जो भारत के इतिहास में पहली बार ! कोई गृहमंत्री को, हत्या के जुर्म में जेल जाना पडा है ! भले ही वह जमानत पर छुटकर बहुत ही जल्द बाहर आ गए ! और उस केस को देखने वाले न्यायाधीश की हत्या होने के बाद ! तथाकथित क्लिनचिट, मिला लेने का मामला ! WHO KILLED JUDGE LOYA ? इस किताब में विस्तार से जानकारी दी है !
आपके नागपुर आने के दो दिन पहले ही ! इस किताब के लेखक के साथ, मैंने उनकी किताब पढने के बाद पहली बार मुलाकात हुई ! तो कुछ सवाल मेरे मन में थे ! वह पुछे, उदाहरण के लिए, मैंने पुछा की “जस्टिस लोया को नागपुर में 30 नवंबर को लाया गया था ! लेकिन उनका वापसी का टिकट बना हुआ था क्या ?” तो लेखक ने कहा कि “जस्टिस लोया का नागपुर से मुंबई की यात्रा का वापसी का टिकट नहीं मिला है !” मतलब वह नागपुर से वापसी की यात्रा नही कर सकेंगे ? यह बात उन्हें मुंबई से नागपुर लाने वाले लोगों को मालूम थी ?
उन्हें लाने की बात इस लिए लिखा हूँ ! कि वह अपने घर से 29 नवंबर को कोर्ट में आते वक्त ! उन्होंने अपने घर में नहीं बताया था ” कि वह आज कोर्ट से घर आने के बजाय सिधा मुंबई से नागपुर की दुरंतो एक्सप्रेस से नागपुर जाने वाले हैं !” क्योंकि उन्हें कोर्ट में जाने के बाद उन्हें उनके साथी श्रीकांत कुलकर्णी और एस. एम. मोडक (शायद यह दोनों लोग आजकल हायकोर्ट के जज बन गए हैं ! ) ने कहा कि आपको नागपुर सपना जोशी नाम की जज के बेटे की शादी में आज श्याम को चलना है ! तो लोया साहब ने अपनी पत्नी को फोन करके अपने बॅग को पॅक करके सिधा मुंबई – नागपुर दुरंतो एक्सप्रेस गाड़ी जो मुंबई के छत्रपती शिवाजी महाराज टर्मिनस स्टेशन से छुटती है ! पर भेजने के लिए कहा था !
और दुसरे दिन शादी के बाद 30 नवंबर 2014 की रात को ! सोने के पहले ग्यारह बजे से पौने बारह बजे तक ! अपनी पत्नी के साथ फोन पर बात करने वाले जस्टिस लोया की ! चंद मिनटों में तबियत खराब होती है ! और अंत में सुबह तक 1 दिसंबर 2014 को उन्हें मृत घोषित किया जाता है ! और WHO KILLED JUDGE LOYA ? इस किताब को पढ़ने के बाद कई तरह के सवाल मन में आते हैं ! की अगर जस्टिस लोया की मृत्यु नैसर्गिक थी तो इतना बवेला क्यो खडा हुआ ? भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में ! पहली बार चार जज ! अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए ! जस्टिस लोया के केस को कौन-सी बेंच में दिया जाना चाहिए ! इस बात को लेकर पत्रकारों को संबोधित करते हैं ! उसके बावज़ूद ! सर्वोच्च न्यायालय ने केस को रफा-दफा किया गया वह बात अलग है ! भारतीय जनता की न्यायपालिका के उपर भरोसे के खिलाफ ! हमारे न्यायालय ने इस केस में अपनी भूमिका की है ! जिससे आने वाले समय में ! भारत के लोगों का न्यायपालिका के उपर भरोसा दिलाने के लिए ! और कितना समय लगेगा पता नहीं ?
जस्टिस लोया को नागपुर लेकर आने वाले दोनों लोगों को आज हायकोर्ट के जज बनाया गया है ! लेकिन लोया की मृत्यु के ढाई महिने के बाद वह दोनों ! लोया परिवार को मिलने जाते हैं ! और उन्हें इस बारे में पुछा की इतनी देर से क्यों आए ? तो उनका जवाब था कि “हम घबराएं हुए थे !” जब कि कोर्ट खुद कह रहा हैं कि “नैसर्गिक मृत्यु था ! तो घबराने का कारण क्या है ?” दिर्घकाल की राजनीति या अल्पकाल की ?
डॉ सुरेश खैरनार 12 दिसंबर 2022, नागपुर