=अस्पताल हादसे में नहीं ली पीड़ितों की सुध, जिलाध्यक्ष के लिए पहुंचे अस्पताल
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भोपाल। चार दिन पहले शहर में हुए एक बड़े हादसे के बाद मुख्यमंत्री की खामोशी और पीड़ितों से उनकी दूरी लोगों ने रेखांकित की थी। शुक्रवार को हुए एक और हादसे में उनका चिंता के साथ खड़े रहना भी दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री के इन दो रूपों को देखकर लोग हतप्रभ भी हैं और नाराज भी। इसको लेकर सोशल मीडिया पर जमकर टिप्पणियां की जाने लगी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 नवंबर को होने वाली भोपाल यात्रा की तैयारियों में सारी सरकार जुटी हुई है। मुख्य कार्यक्रम स्थल जंबूरी मैदान पर तैयारियों का जायजा लेने पहुंचने के बीच अचानक एक हादसा हो गया। करीब 7 फीट ऊंचे मंच से नीचे गिर जाने के कारण जिला भाजपा अध्यक्ष सुमित पचौरी का पैर चोटिल हो गया। इलाज के लिए उन्हें तत्काल करीब के एक अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी कुशलक्षेम पूछने के लिए पहुंचने वाले नेताओं में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी शामिल थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा, पूर्व महापौर आलोक शर्मा भी उनके साथ सुमित पचौरी का हाल जानने पहुंचे थे।
इससे पहले 8 नवंबर की रात शहर के कमला नेहरू हॉस्पिटल में एक बड़ी घटना हुई, जिसमें दर्जनभर से ज्यादा बच्चों की जान चली गई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आगजनी की घटना के तत्काल बाद मौके पर पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात भी की और रेस्क्यू में सहयोग भी किया था। लेकिन घटना के समय भोपाल में मौजूद होने के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या उनका कोई मंत्री या भाजपा नेता पीड़ितों से मिलने के लिए अस्पताल नहीं पहुंचा। हालांकि मुख्यमंत्री ने बाद में इसको लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वे तत्काल पीड़ितों के बीच जाना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें जाने से रोक दिया गया।
एक ही सप्ताह के दौरान हुए दो अलग दृश्यों को देखकर शहरवासी हतप्रभ हैं और मुख्यमंत्री के इस व्यवहार की निंदा करते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे दोनों मामलों के तुलनात्मक समीक्षा के दौरान लोग इसे मुख्यमंत्री की हादसों के लिए उचित समझ की कमी करार दे रहे हैं।
क्या बोले लोग
सामाजिक कार्यकर्ता सैयद असरार अली कहते हैं कि शिवराज जी का असली चेहरा भोपालवासियों को देखने को मिला। मासूम बच्चे हॉस्पिटल में मर गए, आज तक सीएम साहब को किसी भी परिवार से मिलने का समय नहीं मिला, परन्तु भाजपा के जिला अध्यक्ष के घायल होते ही सीएम साहब तुरंत समय निकाल लेते हैं। राजेंद्र यादव का कहना है कि सहिष्णुता दिखाने का उचित अवसर तब था, जब मासूम बच्चों के परिजन बिलख रहे थे, नेताओं की देखभाल करने के लिए तो डॉक्टर और समर्थकों की भीड़ मौजूद थी, सीएम साहब को यहां पहुंचकर क्या साबित करना पड़ गया।