Ponty Chadda

राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग के डायरेक्टर जनरल (डीजी) नितिन गुप्ता ने उत्तर प्रदेश की 10 चालू और 11 बंद चीनी मिलों को बेचे जाने के मामले की गहराई से छानबीन की थी. इस छानबीन में भी चीनी मिलें खरीदने वाले पूंजीपति पौंटी चड्‌ढा की कंपनी के साथ नीलामी में शामिल अन्य कंपनियों की साठगांठ आधिकारिक तौर पर पुष्ट हुई. यह पाया गया कि नीलामी में शामिल कई कंपनियां पौंटी चड्‌ढा की ही मूल कंपनी से जुड़ी हैं, जबकि नीलामी की पहली शर्त ही यह थी कि एक मिल के लिए एक ही कंपनी नीलामी की निविदा-प्रक्रिया में शामिल हो सकती है. प्रतिस्पर्धा आयोग के डीजी ने अपनी छानबीन में पाया कि उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की 10 चालू हालत की चीनी मिलों की बिक्री प्रक्रिया में पहले तो 10 कंपनियां शरीक हुईं, लेकिन आखिर में केवल तीन कंपनियां वेव इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड, पीबीएस फूड्‌स प्राइवेट लिमिटेड और इंडियन पोटाश लिमिटेड ही रह गईं. चालू हालत की 10 चीनी मिलों को खरीदने के लिए आखिर में बचीं तीन कंपनियों में ‘गजब’ की समझदारी पाई गई. जिन मिलों को खरीदने में वेव की रुचि थी, वहां अन्य दो कंपनियों ने कम दर की निविदा (बिड-प्राइस) भरी और जिन मिलों में दूसरी कंपनियों को रुचि थी, वहां वेव ने काफी कम दर की निविदा दाखिल की. इस तरह बहराइच की जरवल रोड चीनी मिल, कुशीनगर की खड्‌डा चीनी मिल, मुजफ्फरनगर की रोहनकलां चीनी मिल, मेरठ की सकोती टांडा चीनी मिल और महराजगंज की सिसवां बाजार चीनी मिल समेत पांच चीनी मिलें इंडियन पोटाश लिमिटेड ने खरीदीं और अमरोहा चीनी मिल, बिजनौर चीनी मिल, बुलंदशहर चीनी मिल व सहारनपुर चीनी मिल समेत चार चीनी मिलें वेव इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड को मिलीं. दसवीं चीनी मिल की खरीद में रोचक खेल हुआ. बिजनौर की चांदपुर चीनी मिल की नीलामी के लिए इंडियन पोटाश लिमिटेड ने 91.80 करोड़ की निविदा दर (बिड प्राइस) कोट की. पीबीएस फूड्‌स ने 90 करोड़ की प्राइस कोट की, जबकि इसमें वेव कंपनी ने महज 8.40 करोड़ की बिड-प्राइस कोट की थी. बिड-प्राइस के मुताबिक चांदपुर चीनी मिल खरीदने का अधिकार इंडियन पोटाश लिमिटेड को मिलता, लेकिन ऐन मौके पर पोटाश लिमिटेड नीलामी की प्रक्रिया से खुद ही बाहर हो गई. लिहाजा, चांदपुर चीनी मिल पीबीएस फूड्‌स को मिल गई. नीलामी प्रक्रिया से बाहर हो जाने के कारण इंडियन पोटाश की बिड राशि जब्त हो गई, लेकिन पीबीएस फूड्‌स के लिए उसने पूर्व-प्रायोजित-शहादत दे दी. राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच में यह भी तथ्य खुला कि पौंटी चड्‌ढा की कंपनी वेव इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड और पीबीएस फूड्‌स प्राइवेट लिमिटेड, दोनों के निदेशक त्रिलोचन सिंह हैं. त्रिलोचन सिंह के वेव कंपनी समूह का निदेशक होने के साथ-साथ पीबीएस कंपनी का निदेशक और शेयरहोल्डर होने की भी आधिकारिक पुष्टि हुई. इसी तरह वेव कंपनी की विभिन्न सम्बद्ध कंपनियों के निदेशक भूपेंद्र सिंह, जुनैद अहमद और शिशिर रावत पीबीएस फूड्‌स के भी निदेशक मंडल में शामिल पाए गए. मनमीत सिंह वेव कंपनी में अतिरिक्त निदेशक थे तो पीबीएस फूड्‌स में भी शेयर होल्डर थे. इस तरह वेव कंपनी और पीबीएस फूड्‌स की साठगांठ और एक ही कंपनी का हिस्सा होने का दस्तावेजी तथ्य सामने आया. यहां तक कि वेव कंपनी और पीबीएस फूड्‌स द्वारा निविदा प्रपत्र खरीदने से लेकर बैंक गारंटी दाखिल करने और स्टाम्प पेपर तक के नम्बर एक ही क्रम में पाए गए. आयोग के डीजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि दोनों कंपनियां मिलीभगत से काम कर रही थीं, जो कम्पीटीशन एक्ट की धारा 3(3)(ए) और 3(3)(डी) का सीधा-सीधा उल्लंघन है. चालू हालत की 10 चीनी मिलों की बिक्री प्रक्रिया में शामिल होकर आखिरी समय में डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड, लक्ष्मीपति बालाजी शुगर एंड डिस्टिलरीज़ प्राइवेट लिमिटेड, पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड, त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, एसबीईसी बायोइनर्जी लिमिटेड और तिकौला शुगर मिल्स लिमिटेड जैसी कंपनियों के भाग खड़े होने का मामला भी रहस्य के घेरे में ही है. हालांकि आयोग ने अपनी जांच में इस पर कोई टिप्पणी नहीं की.

 

 

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