वर्तमान सत्ताधारी दल की अपनी पहचान बनाने की कोशिश समझ में आती है ! लेकिन दुसरो के हीरो को भगा कर के, फिर वह सरदार पटेल हो या आज की तारीख में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को, लेकर वर्तमान सत्ताधारी दल बंगाल राज्य के गणतंत्र दिवस की परेड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जयंती के 2022 के गणतंत्र दिवस की परेड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संबंध में के रथ को मना कर दिया ! और इंडिया गेट पर नेताजी की मुर्ति बैठाने का निर्णय शतप्रतिशत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर राजनीति करने का निर्णय है ! जो निर्णय सरदार पटेल की मुर्ति के बारे में कुछ समय पहले सरदार सरोवर में सरदार पटेल की मुर्ति स्थापित की गयी है !
इसी तरह मुंबई के इंदु मील की जगह दखल कर के डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी के स्मारक घोषित करने की बात ! देश में दलित समुदाय के लोगों साथ और सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में अत्याचार हुए हैं और उनके साथ क्या न्याय कीया है ? वहीं बात जिस वल्लभभाई पटेल को खेड़ा के किसानों के आंदोलनों के कारण सरदार की उपाधि से सम्मानित किया गया है उन्ही किसानों के साथ वर्तमान में क्या चल रहा है ? और अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर इंडिया गेट पर मुर्ति बैठाने का निर्णय भी उसी सस्ती लोकप्रियता को हासिल करने के लिए किया जा रहा प्रयास है ! बीजेपी की सब से बड़ी मुश्किल है कि उनके पास अपने ऐसे कोई नेता नहीं हैं जिन्हें लेकर वह गौरव महसूस कर सके !
संस्थापक अध्यक्ष श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजादी के खिलाफ मुस्लिम लीग के साथ सत्ता में बैठे थे और उल्टा भारत छोडो आंदोलनकारियों को कैसे निपटा जा सकता है यह पत्राचार तत्कालीन व्हाईसरॉय के साथ किया है ! बैरिस्टर सावरकर भले जीवन के शुरू में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे हैं, लेकिन उसी समय अंग्रेजो के साथ माफी मांगने से लेकर उनकी पेंशन पर रहकर ब्रिटिश सेना में भर्ती करने के काम करने वाले और सबसे बड़ा अपराध महात्मा गाँधी की हत्या ! भले तकनीकी कारणों से छूट गए लेकिन मरते दम तक उसी कुंठा में रहे !
भारतीय जनता पार्टी पुराने समय के जनसंघ की नई एडिशन है ! और जनसंघ आर एस एस की राजनीतिक इकाई थी ! जिसका नाम अब 1980 से भारतीय जनता पार्टी के रूप में जाना जाता है !
जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे जो पहले हिंदु महासभा में थे ! और बाकायदा बंगाल प्रोविंस के 1940 के समय मुस्लिम लीग के साथ मंत्रीमंडल में शामिल थे !
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें कहा हिंदु महासभा में शामिल होने के बाद कहा कि “BY FORCE IF NEED BE, THAT IT WAS BROKEN BEFORE IT WAS REALLY BORN” और यह संस्मरण खुद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा है !
इसके अलावा सुभाष चंद्र बोस ने फारवर्ड ब्लॉक के संपादकीय में 4 मई 1940 में शिर्शक ही था ! CONGRESS AND COMMUNAL ORGANIZATIOS !
That was a long time ago, he wrote when prominent leaders of the Congress could be members of the communal organisations like Hindu Mahasabha and Muslim league. But in recent times, the circumstances have changed. These communal organisations have become more communal than before. As a reaction to this , the Indian National congress has put into it’s constitution a Clause to affect that no member of a communal organisation like Hindu Mahasabha and Muslims League can be a member of an elective committee of Congress ‘
When Subhash Chandra Bose was forming INA Hindu’Nationalist instead of helping him were hand in glovess with British. Hindu Mahasabha under Savarkars leadership organised recruitment camps for British Armed forces !
इस तरह के संघ परिवार की हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में गैरहाजिर रहकर उल्टा अंग्रेजो के लिए मददगार रहे मतलब मुस्लिम लीग और हिंदु महासभा में एक दूसरे के साथ होड लगी थी कि सबसे ज्यादा वफादार कौन हैं !
सबसे ज्यादा हैरानी की बात नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1940 में विदेशों की मदद आजादी के आंदोलन के लिए लेने के लिए निकल ने के पहले आर एस एस के संस्थापक और उसके प्रमुख डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के साथ बात करने के लिए विशेष रूप से आए थे !
और यह संस्मरण आर एस एस के अन्य संस्थापक सदस्यों में से एक श्री बालाजी हुद्दार ने खुद लिखा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने मुझे कहा कि क्या आझाद हिंद सेना को आर एस एस मदद करेगी तो मैंने ही कहा कि आजकल डॉ हेडगेवार नासिक में ठहरे हुए हैं अगर आप आ सकते तो मैं आपको उनके पास लेकर चल सकता हूँ ! तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता से मुंबई में आकर ठहरे और मुझे नासिक डॉ हेडगेवार के पास अपनी मुलाकात के तैयारी के लिए भेजा गया था ! तो मैंने देखा कि डॉ हेडगेवार अपने साथ बैठे हुए लोगों के साथ बहुत ही हसी – मजाक कर रहे थे और उनकी आवाज बाहर तक सुनाई देती थी ! मैं उनके पास पहुंच कर बोला कि मुझे कुछ खास बात करनी है ! तो उन्होंने अपने साथ बैठे हुए लोगों को बाहर जाने के लिए कहा और मैंने जैसे ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस आपको मिलने के लिए मुंबई में आये हैं और आप इजाजत दे तो मैं उन्हें लेकर आता हूँ ! तो तुरंत डॉ हेडगेवार ने बगल के ब्लॅकेंट को उठाया और ओढकर सो गये और मुझे बोले कि देख नहीं रहे मेरी तबीयत कितनी खराब है ? मुझसे बोलना भी नहीं हो रहा है ! तो मैंने तुरंत कमरे से बाहर निकल कर देखा कि वे लोग जो पहले से ही डॉ हेडगेवार के साथ हसी मजाक कर रहे थे तो वे तुरंत उनके कमरे में चले गए और पुनः हसीके फौवारे फुटने लगे ! और सब मैंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मुंबई पहुंचकर बताया तो वह बहुत ही आहत होकर वापस चले गए और बाद में छपी खबरों से पता चला कि वह अपने लड़ाई में मदद लेने के लिए विदेश चले गए !
यह है संघ की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में की सक्रियता ! और आज उसी संगठन में से निकल कर प्रधानमंत्री अपने मातृसंस्था के पूर्वेतिहास के काले कारनामे छुपाने के लिए कभी सरदार पटेल तो कभी डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी और अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मुर्ति लगाने की राजनीति कर रहे हैं !
अगर उन्हें संघ के संस्थापक ने आझाद हिंद सेना के लिए मदद की होती तो शायद उन्हें विदेश जाने की जरूरत नहीं होती ! और शायद देश से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जींदगी का सफर कुछ और होता ! सिर्फ कांग्रेस की आलोचना करने से और उसमे भी जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने यह नहीं किया ! वह किया कि बातें लोगों को बरगलाने के लिए करते रहने से इतिहास में किए हुए पापों का प्रायश्चित नही होगा ! जय सुभाष, जय सुभाष !
डॉ सुरेश खैरनार 22 जनवरी 2022, नागपुर