बिहार के चप्पे-चप्पे में राजनीति रची-बसी है. मौका चाहे कोई भी हो, राजनीतिज्ञ अपने विरोधियों के खिलाफ बयानबाजी करना नहीं भूलते. यह अलग बात है कि इन राजनीतिज्ञों की बातों को अब बिहार की जनता समझने लगी है. मतलब और वोट बैंक की जातीय राजनीति तो बिहार के नश-नश मेंे है. जब से गया में अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरुआत हुई है, तब से बिहार के हज यात्री यहीं से सीधा जेद्दाह के लिए उड़ान भरते हैं. लेकिन बिहार से हज के लिए मक्का जाने वाले हज यात्रियों को गया में लाकर ठहराने के लिए हज भवन निर्माण को लेकर राजनीति होने लगी है. जदयू-राजद तथा पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम सेक्यूलर के नेता गया में हज भवन के निर्माण पर लगे प्रश्न चिन्ह पर एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं. गया में हज भवन बनाने की घोषणा जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री रहते हुए की थी. लेकिन जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद इस योजना पर ग्रहण लग गया. 1 सितम्बर 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी हज के लिए जाने वाले यात्रियों से मिलने गया हवाई अड्डा पहुंचे. उन्होंने हज यात्रियों से कहा कि हमने मुख्यमंत्री रहते हुए गया में हज भवन बनाने की घोषणा की थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं चाहते हैं कि गया में हज भवन बने, क्योंकि एक दलित मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी. यदि हज भवन बना, तो के्रडिट भी मुझे मिलेगा. मांझी ने कहा कि मेरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के हित में मेरे द्वारा घोषित सारी योजनाओं पर ग्रहण लगा दिया है. नीतीश जानते हैं कि यदि इन योजनाओं को पूरा करेंगे, तो के्रडिट जीतनराम मांझी को मिलेगा. इसीलिए गया में हज भवन बनाने के मामले में भी सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही है. जिसकी वजह से हज यात्रियों को गया पहुंचकर हवाई अड्डे के पास टेंट में ठहरना पड़ रहा है. जीतनराम मांझी के इस बयान के दूसरे दिन 2 सितम्बर 2016 को बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर हज यात्रियों के अंतिम जत्थे को विदा करने के लिए गया हवाई अड्डा पहुंचे. मंत्री ने जीतनराम मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने गया में हज भवन बनाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन जमीन का एनओसी नहीं मिली थी. नीतीश कुमार अब नए सिरे से गया में हज भवन बनाने पर विचार कर रहे हैं. मंत्री के इस बयान के बाद हम सेक्यूलर के प्रवक्ता राजेश पाण्डेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने हज भवन के लिए पशुपालन विभाग के कैम्पस में जमीन का आवंटन भी कर दिया था और गया के तत्कालीन जिला पदाधिकारी के रिपोर्ट के बाद पशुपालन विभाग ने 2014 में ही सरकार को एनओसी दे दी थी. राजेश पाण्डेय ने कहा कि बिहार के वर्तमान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर को गया में हज भवन बनाने के मामले में जमीन आवंटन और एनओसी की जानकारी है, लेकिन वे जान बुझकर इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं.
बिहार से हज यात्रियों को जेद्दाह जाने के लिए पहले पटना हवाई अड्डे से कोलकाता या मुम्बई जाना पड़ता था और वहां से जेद्दाह के लिए हवाई जहाज मिलती थी. लेकिन 2001 में जब गया में अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण पूरा हुआ तो हज यात्रियों के लिए बिहार सरकार ने गया का ही चयन किया और यहीं से हज यात्रियों को जेद्दाह भेजा जाने लगा. उसके बावजूद हज यात्रियों को कोलकाता या मुम्बई से दूसरी जहाज पकड़नी पड़ती थी, लेकिन बाद में जब बौद्ध देशों से गया हवाईअड्डे पर बड़े-बड़े जहाज आने-जाने लगे, तो बिहार सरकार और भारत सरकार ने बिहार के हज यात्रियों के लिए गया हवाई अड्डे से जेद्दाह के लिए सीधी उड़ान शुरू कर दी. बीच के कुछ वर्षों को छोड़कर गया से ही प्रतिवर्ष हज यात्रियों का जत्था जेद्दाह के लिए उड़ान भरते रहा है.
2014 में गया से जब दोबारा हज यात्रियों का जत्था रवाना होने को था, उसके उद्घाटन में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने उपस्थित होकर हज यात्रियों की सलामती के लिए दुआ की और उन्होंने कहा था कि सभी तरह की सुविधाएं हज यात्रियों को उपलब्ध कराई जाएंगी. श्री रामानुजाचार्य मठ के स्वामी राघवाचार्य ने हज यात्रियों को समारोह में कहा था कि गया से जाने वाले हज यात्रियों को वे अपने मठ तथा अपने अन्य भवनों में ठहराने व सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं. स्वामी राघवाचार्य जी कि इस घोषणा से गया शहर के साम्प्रादायिक सौहार्द के वर्षों से चली आ रही परम्परा को एक बड़े मिशाल के रूप में लोगों ने लिया था. तब बिहार हज कमेटी के सदस्य मौलाना उमर नूरानी ने भी इस समारोह में घोषणा की थी कि पितृपक्ष में देश-दुनिया से गया आने वाले तीर्थयात्रियों को ठहराने के लिए मदरसे तथा अन्य भवनों को वे उपलब्ध कराएंगे. गया के साम्प्रादायिक सौहार्द के इस माहौल को देखकर तब के तमाम राजनीतिज्ञों को अपनी राजनीति करने का मौका नहीं मिल पाया था. बिहार हज कमेटी के गया कैम्प के समन्वयक प्रो. मोती करीमी ने बताया कि गया से हज के लिए उड़ान भरने वाले यात्रियों को हज कमेटी की ओर से सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
बिहार के कोने-कोने से गया आकर हज के लिए जेद्दाह जाने वाले यात्रियों की सेवा में हम सभी तत्पर हैं. इन सब के वाबजूद इस बार हज यात्रियों के लिए चाहे जो भी सुविधा बिहार या भारत सरकार ने उपलब्ध करायी हो, लेकिन इसकी चर्चा नहीं करते हुए राजनीतिज्ञ अपनी-अपनी घोषणा को लेकर राजनीति करने में लगे हैं. गया में हज भवन बनेगा या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन राजनीतिज्ञ इसे लेकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं. गया के बेलागंज विधानसभा क्षेत्र के राजद विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने भी घोषणा करते हुए कहा कि गया में हज भवन बनेगा तो अपनी ओर से निजी तौर पर 11 लाख रुपये देंगे. आजादी के पूर्व से साम्प्रादायिक सौहार्द के अद्भुत मिशाल को कायम रखने वाले गया शहर के माहौल को राजनीतिज्ञ हज भवन के निर्माण को लेकर माहौल खराब करना चाहते हैं, लेकिन गया के बुद्धिजीवी वर्ग विभिन्न सम्प्रादाय के लोगों ने बयानबाजी कर सामाजिक माहौल को खराब करने वाले राजनीतिज्ञों से सावधान रहने की बात कह रहे हैं.