फ्रांस ने पेगासस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी की जांच शुरू करने का आदेश दे दिया है। गौरतलब है कि इजराइली कंपनी के इस सॉफ्टवेयर से भारत में भी 300 सत्यापित मोबाइल नंबरों की जासूसी होने का दावा किया गया है। इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर समेत कई बड़े नेताओं, 40 पत्रकारों, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और अन्य लोगों के नंबर शामिल बताए जा रहे हैं।

फ्रांसीसी अभियोजकों ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने देश में पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल के आरोपों की जांच शुरू की है।

राजनेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए कई देशों में पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग पर मीडिया आउटलेट्स द्वारा रिपोर्टिंग शुरू करने के बाद यह घोषित होने वाली यह पहली जांच है।

2016 में पहली बार अरब देशों में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के आईफोन में इसका इस्तेमाल उजागर हुआ। बचाव के लिए एपल ने तत्काल आईओएस अपडेट कर सुरक्षा खामियां दूर कीं। एक साल बाद एंड्रॉयड में भी पेगासस से जासूसी के मामले सामने आने लगे। 2019 में फेसबुक के सुरक्षा विशेषज्ञों ने पेगासस को एक बड़ा खतरा बताते हुए केस दायर किया। इसी दौरान व्हाट्सएप ने भारत में कई कार्यकर्ता और पत्रकारों के फोन में इसके उपयोग का खुलासा किया।

पेगासस के खुलासे में इसके पत्रकारों के नाम सामने आने के बाद फ्रांसीसी मीडिया आउटलेट मीडियापार्ट ने सोमवार को शिकायत दर्ज कराई। फ्रांसीसी अखबार ले कैनार्ड एनचाइन के भी इस मुद्दे पर अधिकारियों से संपर्क करने की उम्मीद है।

मीडियापार्ट ने सोमवार को खुलासा किया कि उसके सह-संस्थापक और प्रकाशन संपादक एडवी प्लेनेल और रिपोर्टर लेनॉग ब्रेडौक्स के फोन नंबर मोरक्को की एजेंसियों द्वारा लक्षित थे। “विश्लेषण से पता चला है कि उनके फोन 2019 और 2020 में मोरक्को के एजेंटों द्वारा स्पाइवेयर से लक्षित थे।”

रिपोर्टों के अनुसार, मोरक्को की एजेंसियों ने कथित तौर पर पेगासस का इस्तेमाल 30 पत्रकारों और मीडिया अधिकारियों सहित 1,000 फ्रांसीसी नागरिकों को लक्षित करने के लिए किया था। लक्षित पत्रकारों में ले मोंडे, ले फिगारो, एएफपी और फ्रांस टेलीविजन के कर्मचारी शामिल हैं।

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