भोपाल। किसी प्यासे की प्यास बुझाना, सबसे बड़े पुण्य के रूप में आंका गया है। किसी के नाम के साथ उसको इस पुण्य का भागीदार बनाया जाना भी किसी बेहतर सोच से जोड़ा जा सकता है। पुराने शहर में विधायक आरिफ अकील अपने विधानसभा क्षेत्र में अब तक करीब 70 प्याऊ का निर्माण करवा कर शहर की विभिन्न शख्सियतों को समर्पित कर चुके हैं। शुक्रवार को इसमें भोपाल नवाब बेगम शाहजहां और उनका सहयोग करने यहां आए सरदार दोस्त मोहम्मद खान के नाम भी शामिल हो गए।
विधायक आरिफ अकील ने शुक्रवार को ईदगाह के पास दो प्याऊ लोकार्पित की। इनमें एक बेगम शाहजहां और दूसरी सरदार दोस्त मोहम्मद खान के नाम पर समर्पित की गई हैं। इस मौके पर अकील ने कहा कि राहगीर के सूखे कंठ को पानी की दो बूंद मिल जाएं, इससे बड़ा पुण्य कर्म कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि शहर के कई शख्सियतें हुई हैं, जिनके नाम बदलते समय के साथ लुप्त होते जा रहे हैं। इन सबकी यादों को बरकरार रखने, बाहर से आने वाले लोगों को इन नामों से परिचय कराने और इन दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति की मंशा के साथ इन प्याऊ का निर्माण करवाया गया है।
अब तक 70 पार
विधायक आरिफ अकील ने अपनी निधि से प्याऊ निर्माण कार्य वर्ष 2002 से शुरू किया। इतवारा क्षेत्र में काजी वज्दी उल हुसैनी के नाम से पहली प्याऊ बनाई गई थी। इसके बाद सिलसिला चला तो यह आंकड़ा 70 से भी ज्यादा पार कर चुका है। इनमें मांगीलाल जैन, नवाब मंसूर अली खान पटौदी, पीर सईद मियां, पीर सईद मियां, शायर डॉ राहत इंदौरी आदि के नाम भी शामिल हैं।
राहुल गांधी भी कर चुके उद्घाटन
विधायक अकील प्याऊ लोकार्पण के दौरान अक्सर इस बात को तवज्जो देते आए हैं कि फीता काटने की रस्म में वे महज मेहमान रहें, रस्म किसी और व्यक्ति से पूरी करवाई जाए। इस सिलसिले में वे फतेहगढ़ स्थित नवाब मंसूर अली खां पटौदी के नाम का फीता राहुल गांधी के हाथ में सौंप चुके हैं। शायर डॉ राहत इंदौरी के लिए प्याऊ बनी तो उन्होंने उद्घाटन के लिए सीनियर पत्रकार और शायर डॉ मेहताब आलम को, शाहजहां बेगम के नाम की प्याऊ लोकार्पित करने के उनके वंशज खालिद मोहम्मद खान को आगे बढ़ाया।
धर्म स्थलों के लिए ट्यूब वेल
उत्तर विधानसभा क्षेत्र में स्थित धर्म स्थलों के आसपास ट्यूब वेल खनन करवाने में भी विधायक अकील ने महती भूमिका निभाई है। यहां के अधिकांश मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च और कब्रिस्तान या शमशान घाट पर उन्होंने ट्यूब वेल खनन करवाया है।
देखरेख की कमी, मंशा अधूरी
प्याऊ निर्माण के लिए करीब एक लाख रुपए से ज्यादा रकम खर्च होने के बाद भी इसकी आगामी व्यवस्था नगर निगम ठीक से नहीं कर पा रहा है। सफाई से लेकर पानी आपूर्ति में कोताही और सतत निगरानी की कमी से अधिकांश प्याऊ या सुखी हैं या जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गई हैं। शहर की कई प्याऊ पर अवैध कब्जे भी होते जा रहे हैं।