भारत में मीडिया जिस तरह से काम कर रहा है, उस पर तो मीडिया में काम करने वालों ने भी सवाल उठाए हैं. सरकारी विज्ञापनों और सनसनीखेज कहानियों, जिसमें सूचना तो हो सकती है, पर खबरों का तत्व नहीं रहता, के दम पर चल रहे अखबारों और चैनलों से बेहतर हालात की उम्मीद भी नहीं की जा सकती. पिछले कुछ दिनों से भारत-पाक संबंध, आतंकवाद और तालिबान के नाम पर जो मीडिया, खासकर खबरिया चैनल परोस रहें हैं, उन्हें खबर तो बिलकुल नहीं कहा जा सकता. भारतीय मीडिया के हालात पर गौर करें तो जिस तरह 26 नवंबर को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के बाद भारतीय मीडिया ने युद्ध का उन्माद या युद्ध सरीखे हालात पैदा करने की कोशिश की, उससे मीडिया की निष्पक्षता और ऑब्जेक्टिविटी पर ही सवालिया निशान लग जाता है. पूरे मीडिया जगत में इस तरह का माहौल बन गया, मानो हरेक पाकिस्तानी आतंकी है और पूरा पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिश में लगा है. पाकिस्तान में ऐसे तत्व हो सकते हैं, इससे इंकार नहीं, लेकिन पाक नागरिक समाज और मीडिया भी उनसे उतना ही पीड़ित है. हमारे मीडिया को अपने पाकिस्तानी साथियों से कुछ सीखने की जरूरत है. जिस तरह की स्थिति पाकिस्तान में है उसमें पाकिस्तानी मीडिया की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है. आतंक और राजनैतिक खींचतान के इस माहौल में पाकिस्तानी राष्ट्र की बुनियाद पर ही सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. इस हिंसा के छीटें पाकिस्तानी मीडिया के दामन पर भी पड़े हैं. 19 फरवरी 2009 को मूसा खानखेल मारे गए. स्वात में एक रैली कवर करने गए जिओ टीवी रिपोर्टर मूसा को अपने फर्ज की ख़ातिर जान गंवानी पड़ी. फर्ज एक पत्रकार का, एक खबरनवीस का था. यह दुनिया तक खबर पहुंचाने का फर्ज था. मूसा का यह फर्ज उस दिन कट्टरपंथी हिंसा का शिकारहुआ. मूसा की मौत के अगले दिन पाकिस्तान की पूरी मीडिया का एकजुट बयान आया, मीडिया ने साफ कहा कि बंदूक का जवाब कलम से दिया जाएगा. मूसा ऐसे पहले पत्रकार नहीं थे जिनको पत्रकार होने और अपने फर्ज को अंजाम देने की कीमत चुकानी पड़ी हो, दरअसल पाकिस्तान में मीडिया हमेशा से निशाने पर रही है. संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक, पाकिस्तान दुनिया भर में पत्रकारों के लिए सबसे ख़तरनाक ज़गहों में से एक है. आतंकवाद और कट्टरवाद ने तो पत्रकारों को निशाना बनाया ही है सरकारी तंत्र भी कम गुनहगार नहीं है. पाकिस्तान में पत्रकारों के ख़िलाफ सबसे ज्यादा हिंसा स्वात और फाटा जैसे दूरदराज के इलाकों में ही नहीं राजधानी इस्लामाबाद में हुई है. पाकिस्तान में……
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पाकिस्तानी मीडिया अधिक स्वतंत्र और निर्भीक है
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