भोपाल। लंबे समय से चल रही कवायदों के बाद एमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादूल मुस्लिमीन) की मप्र आमद की बातें फिर से तेज होने लगी हैं। मजलिस के मुखिया असद उद्दीन ओवैसी का नवम्बर माह में इंदौर और भोपाल दौरा लगभग तय हो चुका है। इस यात्रा के दौरान वे दोनों शहरों में बड़ी सभाएं करने वाले हैं। साथ ही इस दौरान वे मजलिस की प्रदेश कार्यकारिणी भी घोषित करने वाले हैं।

सूत्रों का कहना है कि एमआईएम चीफ असद उद्दीन ओवैसी नवंबर माह के दूसरे पखवाड़े में मप्र आयेंगे। इसके लिए प्रदेश के कुछ कार्यकर्ताओं की हैदराबाद में हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने सहमति दी है। बताया जा रहा है कि अपने इस दौरे में वे पहले इंदौर पहुंचेंगे, जहां एक बड़ी सभा को संबोधित करने की उनकी योजना है। मजलिस से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि ओवैसी इंदौर से भोपाल तक सड़क मार्ग से पहुंचेंगे। इस बीच रास्ते में आने वाले सभी छोटे बड़े गांव, कस्बों और शहरों में उनके स्वागत की योजना बनाई गई है। बताया जा रहा है कि भोपाल में होने वाली बड़ी सभा के दौरान वे पार्टी की मप्र इकाई का ऐलान करेंगे।

लंबे समय से कवायद
एमआईएम को मप्र में लांच करने की योजना लंबे समय से प्रचलन में है। कुछ सालों पहले इसकी प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी भोपाल के एक कार्यकर्ता को सौंपी गई थी लेकिन ये टीम लंबे समय तक काम नहीं कर पाई। इसके बाद इंदौर के एक डॉक्टर को प्रदेश का मुखिया बनाया गया लेकिन यह भी लंबी रेस का घोड़ा साबित नहीं हो पाए। कुछ समय पूर्व एमआईएम मुख्यालय ने सभी नियुक्तियों को शून्य करार देकर इसकी नई कार्यकारिणी गठित करने की बात कही थी। इसको लेकर हैदराबाद से एमआईएम के वरिष्ठों का एक दल प्रदेश दौरे पर आया था। जिसने भोपाल, इंदौर, बुरहानपुर आदि शहरों में कई लोगों से मुलाकात की थी।

निकाय चुनावों में आजमा सकते हैं भाग्य
सूत्रों का कहना है कि एमआईएम मप्र में अपनी मजबूत मौजूदगी के लिए मुनासिब समय के इंतजार में है। घर घर और छोटे स्तर तक अपनी पहचान स्थापित करने के लिए पार्टी ने निकाय चुनावों का सहारा लेने का मन बनाया है। इस मोहल्ला चुनाव से अपनी स्थिति का आंकलन करने के बाद एमआईएम अगले विधानसभा चुनाव में मजबूत तीसरे विकल्प के रूप में मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका
मप्र में कांग्रेस की ढीली होती पकड़ के बीच एमआईएम बड़े नुकसान के रूप में उभर सकती है। मुस्लिम और दलित वोटों का नुकसान कांग्रेस को उस स्थिति से भी दूर कर सकती है, जिस हालात में आज वह खड़ी है। भाजपा के लिए हमेशा फायदे का सौदा साबित होने वाली एमआईएम को यहां स्थापित करने में भाजपा का अंदरूनी सहयोग भी मिल सकता है।

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