हंगामे और शोर-शराबे के बीच चल रहे संसद के मॉनसून सत्र  का आखिरी हफ्ता शुरू हो गया है। इस दौरान मोदी सरकार अहम बिल पास करवाने की कोशिश कर रही है और इनमें सबसे ऊपर ओबीसी आरक्षण से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक है। केंद्र सरकार इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश करेगी और अब विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी ऐलान किया है कि वह इस बिल के समर्थन में है। अगर बिल पास हो जाता है तो एक बार फिर से राज्यों को ओबीसी सूची में किसी जाति को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को बताया कि सभी विपक्षी पार्टियां 127वें संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करने को तैयार है। उन्होंने संसद भवन में आज हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद यह जानकारी दी। खड़गे ने बताया कि इस बैठक में विपक्षी पार्टियों ने सरकार के साथ सहयोग करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, ‘यह संशोधन राज्यों के उस अधिकार को बहाल करने के लिए किया जा रहा है जिससे वे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को अधिसूचित कर सकें।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इस देश में आधी से ज्यादा आबादी पिछड़े समुदाय से है। बिल पेश किया जाएगा, इस पर चर्चा होगी और उसी दिन यह पास कर दिया जाएगा।’

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 5 मई को दिए अपने फैसले में कहा था कि ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है।

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले सप्‍ताह शुक्रवार और मंगलवार को भी विपक्ष के नेताओं की मीटिंग की थी। पेगासस मुद्दे के अलावा कोरोना महामारी को ‘हैंडल’ करने में सरकार की कथित नाकामी और किसान आंदोलन इस बैठक में चर्चा के अन्‍य मुद्दे थे। नए कृषि कानूनों के खिलाफ संसद तक ‘सरप्राइज ट्रैक्‍टर मार्च’ के करीब एक सप्‍ताह बाद 51 वर्षीय राहुल ने साइकिल की सवारी करके पेट्रो उत्‍पादों की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर ध्‍यान केंद्रित किया था। उन्‍होंने अन्‍य सांसदों से भी इसमें भागीदारी का आग्रह किया था।

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