भोपाल। महामारी से टूटे लोगों को खड़ा करने और उनके लिए बेहतर व्यवस्थाएं जुटाने के लिए सरकार फिक्रमंद है। इसके लिए कोशिशें भी की जा रही है। लेकिन इन योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाने वाले अफसर अपनी लालच के चलते योजनाओं को पलीता लगा दिया है। कागजों पर चल रही इन योजनाओं का फायदा हितग्राहियों की बजाए लालच में डूबे अफसरों की जेब में जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक बैंक ऑफ इंडिया आरसेटी धार द्वारा ग्राम कानवन में नाबार्ड से सहायता प्राप्त NGO के माध्यम से पशुपालन के 3 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करवाया गया था। प्रशिक्षण उपरांत उक्त NGO के बैंक खाते में जमा होना थी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि क्लैम राशि 70 हजार रुपए NGO के बैंक खाते में जमा होने की बजाए बैंक ऑफ इंडिया आरसेटी धार के पूर्व निदेशक कृष्ण देव वर्मा के फायदे की वजह बन गया। सूत्रों का कहना है कि इस राशि को वेंडर के खाते में जमा कर वर्मा के निवास कालानी नगर, इंदौर में CCTV कैमरे लगाने में खर्च कर दिए गए।
मामला ये भी
सूत्रों का कहना है कि उक्त प्रशिक्षण की क्लेम राशि एक बार किसी भी शासकिय विभाग से लेने के बाद संस्थान किसी भी अन्य विभाग से नहीं ले सकती लेकिन फिर भी कृष्ण देव वर्मा द्वारा आजीविका मिशन धार से उक्त तीनों प्रशिक्षण कार्यक्रमों की राशि क्लेम की गई एवं जिला प्रशासन और आजीविका मिशन को धोखे में रखकर राशि प्राप्त की गई।
चाय नाश्ते में भी धांधली
जानकारी के मुताबिक आरसेटी के द्वारा आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शासन के द्वारा प्रतिव्यक्ति देय राशि में प्रशिक्षार्थियों को चाय, नाश्ता एवं भोजन की व्यवस्था करनी होती है लेकिन आरसेटी निदेशक कृष्ण देव वर्मा द्वारा उक्त प्रशिक्षण में सिर्फ कचोरी और चाय का मात्र 20 रुपए का नाश्ता करवा कर लाखों रुपए क्लेम राशि आजीविका मिशन से भी प्राप्त की गई। सूत्रों का कहना है कि अपने दो वर्ष के कार्यकाल में कृष्णदेव वर्मा के द्वारा सरदारपुर के ग्राम टांडा खेड़ा में भी इसी प्रकार मात्र चाय-नाश्ता करवाया गया और आजीविका मिशन धार को लाखों रुपये की राशि क्लेम की गई। इसी प्रकार कृष्णदेव वर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत से प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जालसाजी की गई। प्रशिक्षार्थियों की क्लेम राशि में प्रशिक्षार्थियों को चाय, नाश्ता, भोजन तथा स्टेशनरी की सुविधा देनी होती है, लेकिन कृष्णदेव वर्मा द्वारा इन सभी सुविधाओं को देने में भी धोखेबाजी की One GP One BC प्रशिक्षण में आरसेटी को प्रशिक्षण के साथ परीक्षा की तैयारी हेतु दी जाने वाली पुस्तक जो कि 378 रुपए की आती है, उसके स्थान पर उक्त पुस्तक की फोटो कॉपी प्रशिक्षार्थियों को दी और प्रशिक्षण होने के पश्चात फ़ोटो कॉपी भी वापस ले ली गई। प्रशिक्षण क्लेम राशि में उक्त पुस्तक की राशि भी प्राप्त की।
ग्रेडिंग में भी गड़बड़
सूत्रों का कहना है कि संस्थान की वार्षिक ग्रेडिंग को AA बनाए रखने के लिए ग्राम टांडा खेड़ा और कानवन की महिलाओं और अन्य कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रशिक्षार्थियों को किसी भी प्रकार का ऋण नहीं दिलवाया गया और झूठी ऋण स्वीकृति आरसेटी के सॉफ्टवेयर में बताई गई। ग्रामीणों को प्रशिक्षण के साथ बैंक ऋण दिलवाने का लालच दिया गया, जिससे भोले-भाले ग्रामवासी अपनी मजदूरी और दिहाड़ी छोड़कर प्रशिक्षण में आए।
फर्जी फोटो की नकली कहानी
सूत्रों ने बताया कि आरसेटी में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत रविन्द्र बिरला द्वारा संस्थान की प्रोग्रेस दिखाने के लिए सभी प्रशिक्षार्थियों से फ़ोटो खींच कर लाने के लिए कहा गया। प्रशिक्षार्थी ने फ़ोटो देने से मना किया तो उन्हें सम्बंधित प्रशिक्षण प्रमाण पत्र न देने की बात कहकर धमकाया गया।
मामला दबाने कर दिया तबादला
प्रशिक्षण की आड़ में आजीविका मिशन धार और जिला पंचायत को लाखों रुपये का चूना लगाया गया है। इसके बाद भी बैंक द्वारा उक्त आरोपियों पर कार्यवाही करने की बजाए बात को दबाने के लिए कृष्ण देव वर्मा का ट्रांसफर रातों रात बड़वानी कर दिया गया, जिसकी भनक भी जिला प्रशासन को नहीं होने दी गई।
कौन दे रहा प्रशिक्षण
आरसेटी भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय से जारी फण्ड के माध्यम से कार्य करने वाली संस्था है। जिसकी मोनिटरिंग राष्ट्रीय आरसेटी श्रेष्ठता केंद्र (NACER) बैंगलोर के द्वारा की जाती है। बैंक ऑफ इंडिया इसे जिला पंचायत से आवंटित की गई भूमि पर धार जिले में चला रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करना है।
इनका कहना है
झूठे तथ्यों के आधार पर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी मुख्यालय से ली जा सकती है।
कृष्णदेव वर्मा
निदेशक, आरसेटी