भोपाल। कम अनुभव लेकिन ऊंची पहुंच और रसूख। आला अफसरों से लेकर नेताओं को खुश रखने की महारत। कुछ के अफसरों से लेकर नेता-मंत्रियों तक से रिश्तेदारियां। नतीजा वरिष्ठों को दरकिनार कर कनिष्ठ के हाथों में थमाई जा रही कमान। इसके असर में फैलता असंतोष और बनते कामकाज के विपरीत हालात। राजधानी के दर्जनभर से ज्यादा पुलिस थानों में बन रही स्थितियों ने विकट हालात बना रखे हैं।
ताजा मामला राजधानी के वीआईपी थाने श्यामला हिल्स में घटित हुआ है। जहां पदस्थ एक शिवेंद्र मिश्रा ने आत्महत्या की नीयत से बड़े तालाब में छलांग लगा दी। गनीमत यह रहा कि मौके पर मौजूद गोताखोरों ने समय पर मिश्रा को छलांग लगाते हुए देख लिया और उन्हें सकुशल बचा लिया गया। आत्महत्या के इस प्रयास को श्यामला हिल्स थाना के प्रभारी टीआई और एएसआई के बीच चल रहे विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि प्रभारी टीआई और मिश्रा के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है, जिसके चलते मिश्रा मानसिक दबाव में चल रहे थे। हालांकि मामले को विभाग ने एक जांच दल गठित कर दिया है, जो पूरे घटनाक्रम और थाने में चल रहे हालात पर बारीक तहकीकात करने वाला है। लेकिन इस मामले के बाद एक बार फिर इस चर्चा को जोर मिलने लगा है कि शहर के जिन थानों में प्रभारी टीआई काम कर रहे हैं, वहां स्टॉफ के बीच आपसी तालमेल में कमी है। वरिष्ठ और कनष्ठि के बीच गहरी खाई काम के हालात को बिगाड़ रही है।
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मेहमान बनकर आए थे, मालिक बनकर बैठ गए प्रभारी टीआई
वैसे तो शहर के करीब 43 थानों में से दर्जनभर से ज्यादा थाने प्रभारी टीआई के भरोसे चल रहे हैं, लेकिन पुराने भोपाल के कुछ थानों में ऐसी स्थितियों ने विकट हालात बना रखे हैं। थाना तलैया के प्रभारी दिनेश प्रताप सिंह हमेशा चर्चाओं में रहते है या ये कहा जाए उन्हें चर्चाओं में रहने का शोक है। 30 मार्च 2020 कोरोना काल में मौखिक आदेश पर थाना तलैया की कमान उन्हें सौंपी गई थी। गौरतलब है कि थाना तलैया बहुत ही संवेदनशील इलाका है। यहां हमेशा से टीआई को ही कमान दी जाती है। शिकायतों के बाद 15 जनवरी को प्रभारी टीआई का तबादला क्राइम ब्रांच में हुआ है, मगर सिंह वहां जाने को तैयार नहीं हैं। दूसरी तरफ तलैया थाने की कमान टीआई मनोज सिंह को दी जानी है, टीआई का तबादला भोपाल तलैया थाने में हुआ है। सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक मनोज सिंह अधिकारियों के आदेश का इंतजार कर रहे हैं और उनके कार्यलय के चक्कर भी लगा रहे हैं। इधर अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रभारी टीआई ने राजनीतिक रसूख से लेकर अधिकारियों तक का दबाव बना रखा है। जबकि थाने में उनसे पीडि़त जवानों के हालात यह हैं कि उनसे निजात पाने के लिए अब तक करीब 12 लोग अपना स्थानांतरण स्वैच्छिक तौर पर अन्य थानों में करवा चुके हैं।

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