जिंदगी व मौत की जंग लड़ रही पिंकी देवी के साथ-साथ श्वेता देवी भले ही हांफने लगी हो और उसकी आंखों में मौत नाचने लगी हो, लेकिन उनका गलत ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की अब तक न ही पहचान संभव हो सकी है और न ही बिना निबंधन के संचालित दिव्य नर्सिंग होम के संचालक को गिरफ्तार किया गया है. हद तो यह है कि खगड़िया के सिविल सर्जन डॉक्टर अरुण कुमार सिंह मामले की तफ्तीश कर फर्जी क्लिनिक संचालकों के विरुद्व कार्रवाई करने के बजाय अपनी नाकामी छिपाने के लिए यह कह रहे हैं कि क्या करें, सभी फर्जी क्लिनिक संचालकों को जेल भेज दें!
लगातार घटित घटनाओं के बाद मची हाय-तौबा के बीच डीएम जय सिंह के द्वारा जारी जांच का आदेश भी दम तोड़ने लगा है. सिविल सर्जन के द्वारा कार्रवाई की बात तोे दूर, जांच की भी जहमत नहीं उठाई गई है. वह कहते हैं कि चिकित्सकों की कमी के कारण जांच कार्य संभव नहीं हो पा रहा है. अगर चिकित्सकों को फर्जी क्लिनिक व डॉक्टरों की कुंडली खंगालने के
साथ-साथ दिव्य नर्सिंग होम में गलत ऑपरेशन की शिकार पिंकी व श्वेता के मामले में लगा दिया गया तो सदर अस्पताल का ओपीडी बंद करना होगा. वैसे सीएस भी इस बात को स्वीकारते हैं कि दबंग व रसूखदार लोगों के द्वारा खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा सहित कोसी के विभिन्न इलाकों में फर्जी तरीके से संचालित दर्जनों नर्सिंग होम के विरूद्व कार्रवाई करना शेर के मुंह में हाथ डालने के बराबर है.
अन्य नर्सिंग होम की बातों को फिलवक्त नजरअंदाज कर अगर खगड़िया जिले के गोगरी थाना अंतर्गत मुश्कीपुर कोठी स्थित दिव्य नर्सिंग होम की बात की जाय तो यह नर्सिंग होम पहली बार सुर्खियों में नहीं आया है, अन्य कई तरह के फर्जीवाड़े को लेकर दिव्य नर्सिंग होम अक्सर सुर्खियों में रहा है. कमोवेस पिंकी देवी की ही तरह प्रसव वेदना पीड़ित श्वेता देवी भी दिव्य नर्सिंग होम में भर्ती हुई थी. सिजेरियन ऑपरेशन के बाद गौछाड़ी की रहने वाली पिंकी को लड़का पैदा हुआ जबकि श्वेता को लड़की, लेकिन दोनों के नवजात अब तक मां की दूध के लिए तड़प रहे हैं.
डॉक्टरों ने तीन-तीन बार उनका ऑपरेशन किया और अब आंत में इंफेक्शन होने के कारण दोनों जिंदगी और मौत के बीच झूल रही हैं. श्वेता देवी के पति संजीत कुमार की लिखित तहरीर पर पुलिस मामले की जांच तो कर रही है, लेकिन इससे बड़ा आश्चर्य और क्या होगा कि दिव्य नर्सिंग होम में ही दोनों प्रसव वेदना पीड़ित महिलाओं का ऑपरेशन होने की बात प्रमाणित होने के बाद भी प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई है.
गंभीर स्थिति में अन्यत्र इलाजरत पिंकी के परिजनों द्वारा किसी तरह की लिखित शिकायत पुलिस अथवा प्रशासनिक पदाधिकारियों के समक्ष नहीं किए जाने के कारण डीएम के द्वारा जारी जांच के आदेश को भी ठेंगा दिखाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में अन्य मामलों की तरह अगर इस मामले को भी जमींदोज कर दिया गया तो शायद किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
श्वेता और पिंकी ही नहीं दर्जनों मरीज फर्जी तरीके से संचालित दिव्य नर्सिंग होम में बैठे तथाकथित डॉक्टरों का शिकार होकर या तो मौत के गाल में समा चुके हैं या जिंदगी और मौत के बीच जूझने को मजबूर हैं. पिंकी और श्वेता दिव्य नर्सिंग होम में इलाज कराने पहुंची थीं. इसके फर्जीवाड़े की कहानी से अनभिज्ञ प्रसव वेदना से पीड़ित पिंकी तथा श्वेता को क्या पता था कि स्वस्थ्य होने की कामना लेकर वे दिव्य नर्सिंग होम पहुंची तो हैं, लेकिन सौगात में सिसकती जिंदगी मिलेगी. दोनों के परिजनों से चौबीस-चौबीस हजार रुपये लेकर पहली बार सिजेरियन ऑपरेशन किया गया.
पिंकी को लड़का पैदा हुआ जबकि श्वेता को बेटी. लेकिन नवजात को जनने की खुशियां दोनों की आंखों से काफूर हो गईं. पिंकी व श्वेता के साथ-साथ इनके परिजनों के पैरों तले से जमीन तब खिसक गई जब कुछ ही घंटों बाद पिंकी व श्वेता के पेट में असहनीय दर्द शुरू हुआ. आनन-फानन में दोनों को पुन: दिव्य नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. नर्सिंग होम संचालक रिंकेश उर्फ पिकेंश के द्वारा पिंकी व श्वेता के परिजनों को फिर से पेट खोलने के एवज में राशि जमा करने का आदेश दिया गया.
ऑपरेशन के नाम पर दोबारा पेट खोलने से पहले बीस से पच्चीस हजार रुपये खर्च होने की बात बताई गई, लेकिन पेट खोलने के बाद भारी-भरकम राशि वसूल ली गई. दोनों के परिजनों के सर दु:ख का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब तीसरी बार पेट में दर्द की शिकायत कर पिंकी व श्वेता कराहने लगीं. एक बार फिर पेट खोलने की बात बताकर दोनों को भर्ती कर लिया गया.
ऑपरेशन के बाद जब पैसे जमा करने की बारी आयी तो परिजनों को सूद पर रुपये लेने पड़े. सूद पर रुपये लेकर नर्सिंग होम की फीस तो चुका दी गई, लेकिन पिंकी अब भी बेगूसराय के प्रभा नर्सिंग होम में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है और श्वेता भी किसी अन्य नर्सिंग होम में स्वस्थ्य जिंदगी पाने के लिए संघर्ष कर रही है.
नदियों से घिरे कोसी इलाके में इस तरह का वाकया पहली बार सामने नहीं आया है. अक्सर इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं और मामला शांत पड़ते ही फिर से फर्जी डॉक्टरों द्वारा मौत बांटने का खेल शुरू कर दिया जाता है. चौथम थाना अंतर्गत करुआमोड़ स्थित परमानंद हॅास्पीटल में किए गए ऑपरेशन के बाद पंकज की बिगड़ी स्थिति को लेकर कुछ दिनों तक खगड़िया या यों कहें कि कोसी इलाका खूब उबला था.
धरना-प्रदर्शन के बाद भी जब स्वास्थ्य विभाग के जिला प्रमुख की नींद नहीं खुली, तो बेशर्मी की हद पार कर चुके सिविल सर्जन को नींद से जगाने के लिए आंदोलित परिजनों सहित ग्रामीणों के द्वारा सड़क जाम कर दिया गया. पदाधिकारियों सहित सिविल सर्जन की नींद खुली और आनन-फानन में जांच का आदेश जारी किया गया. लेकिन जांच के नाम पर महज डॉक्टरों की टीम बनाकर खानापूर्ति कर ली गई.
कोसी के विभिन्न इलाकों में संचालित नर्सिंग होम में से अधिकतर के रसूखदार लोगों के द्वारा चलाए जाने की बातों से स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों सहित प्रशासनिक पदाधिकारी भी इंकार नहीं करते. कुछ के निबंधन की बात तो सामने आ रही है, लेकिन कई बिना निबंधन के ही संचालित हैं. इससे बड़ी हकीकत यह है कि विभिन्न नर्सिंग होम के बाहर लटके पड़े बोर्ड पर जिन डॉक्टरों के नाम लिखे होते हैं, उनमें से अधिकतर को इस बात का पता भी नहीं होता कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. कई मौके पर इस बात का पर्दाफाश भी हो चुका है. लेकिन अभी तक किसी भी मामले में कार्रवाई नहीं होना, कई तरह के सवालों को जन्म देने के लिए काफी है.
अन्य मामलों को दरकिनार कर अगर पिंकी तथा श्वेता के ऑपरेशन मामले को खंगाला जाय, तो यह प्रमाणित होना तय है कि कोसी में फर्जी डॉक्टरों के द्वारा बड़े-बड़े ऑपरेशन किए जा रहे हैं. दिव्य नर्सिंग होम में पिंकी तथा श्वेता के ऑपरेशन की बात तो प्रमाणित हो चुकी है, लेकिन इतनी हाय-तौबा मचने के बाद भी अभी तक यह प्रमाणित नहीं हो सका है कि आखिर किस डॉक्टर के द्वारा श्वेता तथा पिंकी का तीन-तीन बार गलत ऑपरेशन किया गया.
श्वेता तथा पिंकी देवी के परिजनों द्वारा चीख-चीखकर कहा जा रहा है कि डॉक्टर अमित कुमार के ही द्वारा ऑपरेशन किया गया है. लेकिन आरोपित डॉक्टर अमित कुमार पिंकी का ऑपरेशन किए जाने से इंकार कर रहे हैं. डॉक्टर श्वेता का गलत ऑपरेशन किए जाने की बातों को भी सिरे से खारिज कर रहे हैं.
डॉक्टर अमित का कहना है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि दिव्य नर्सिंग होम तथा परमानंद हॉस्पीटल में वह अपनी सेवा देते हैं, लेकिन अगर दिव्य नर्सिंग होम में पिंकी देवी का सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है, तो वह इन्होंने नहीं किया. श्वेता देवी का ऑपरेशन इन्होंने किया है, लेकिन गलत ऑपरेशन नहीं. इधर डॉक्टर सचिन कुमार गौतम का कहना है कि दिव्य नर्सिंग होम में इनके बिना सहमति के ही नाम अंकित कर दिया गया है.
इतना ही नहीं स्त्री व प्रसूति रोग विशेेषज्ञ के नाम पर डॉक्टर पवन कुमारी को ढाल बनाया जा रहा है. यहां तक कि दिव्य नर्सिंग होम का स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निबंधन तक नहीं कराया गया है. इधर खगड़िया के जिलाधिकारी जय सिंह ने फर्जी चिकित्सकों के साथ-साथ फर्जी नर्सिंग होम संचालकों को खबरदार करने के अंदाज में कहा है कि इलाके के किसी भी फर्जी चिकित्सकों के साथ-साथ फर्जी नर्सिंग होम संचालकों को बख्शा नहीं जाएगा. संदर्भित जांच रिपोर्ट मिलते ही फर्जीवाड़े के विरुद्व प्राथमिकी दर्ज कर विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी.