भोपाल। सात फेरे, सात वचन और सात जन्मों के रिश्ते की शुरुआत… सब कुछ तय हो चुका है, तारीख पक्की, रिश्तेदारों को आमंत्रण, रस्म अदायगी की जगह, मेहमानों के लिए किए जाने वाले इंतजाम, लेकिन कोविड हालात दुरुस्त होने को राजी नहीं…! डॉ वीरेंद्र ने अपनी जीवन संगिनी बनने वाली सुनीता की सहमति मांगी और एक स्वर में ऐलान कर दिया, फिलहाल मरीजों की सेवा से बड़ा कर्म कुछ नहीं है। इसलिए शादी तब करेंगे, जब सब कुछ सामान्य हो जायेगा।
मामला डॉ वीरेंद्र धारवे और डॉ सुनीता मंडलोई से जुड़ा है। डॉ वीरेंद्र ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर बाकानेर में पदस्थ हैं तो डॉ सुनीता उज्जैन में आयुष मेडिकल ऑफिसर के रूप में सेवाएं दे रही हैं। परिजन की सहमति से दोनों का विवाह 26 मई को होना तय हुआ था। विवाह पत्रिका छपने से लेकर मेहमानों को निमंत्रण भेजने का क्रम पूरा हो चुका था। लेकिन इस बीच वीरेंद्र और सुनीता ने महसूस किया कि उनपर जो जिम्मेदारी हैं, फिलहाल उनका निर्वाह करना ज्यादा जरूरी है। शादी बाद में भी की जा सकती है।
दोनों पर बड़ी जिम्मेदारी
डॉ वीरेंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाकानेर के स्वास्थ्य अधिकारी हैं। उन पर कोविड मरीजों के इलाज, पोस्टमार्टम, वैक्सीनेशन जैसे कई महत्वपूर्ण कामों की जिम्मेदारी हैं। जबकि डॉ सुनीता उज्जैन के
धनवंतरी हॉस्पिटल में कोविड-19 मरीजों की देखभाल कर रही हैं।
मन का मिलन
विवाह पूर्व वीरेंद्र और सुनीता की आपसी समन्वय ऐसा हो गया है कि जब ड्यूटी छोड़कर शादी करने की बात आई तो दोनों एक स्वर में कहा कि विवाह भविष्य में हो जाएगा, फिलहाल जन सेवा से बढ़कर कोई कर्म नहीं हो सकता।
जादू की झप्पी दोनों के पास
डॉ वीरेंद्र धारवे और डॉ सुनीता मंडलोई के व्यवहारिक रवैए और मरीजों से मिलनसारिता उनकी बड़ी ताकत है। बुजुर्गों, बच्चों और युवाओं सब में उनका समान व्यवहार है।
जब होगा, सादगी से होगा
डॉ वीरेंद्र ने बताया कि घर के बड़ों से भविष्य में विवाह की तारीख तय की जाएगी। शासन की गाइड लाइन के हिसाब से विवाह की रस्में होगी और कम से कम खर्च किया जाएगा। विवाह खर्च से बचने वाली राशि से ज्यादा से ज्यादा गरीबों की सेवा और मदद करने की उनकी मंशा है।