15 साल से जारी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का वनवास आखिरकार खत्म हो गया और इसी के साथ शुरू हो गई है, चेहरे की लड़ाई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चेहरे पर चुनाव में उतरी कांग्रेस ने अभी तक किसी को मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया है. गौर करने वाली बात यह है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो दो चेहरों के बीच ही चुनाव करना है, लेकिन छत्तीसगढ़ में लड़ाई चार दिग्गज कांग्रेसियों के बीच है और चारों मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं.
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चुनावी गणना में कांग्रेस की बढ़त के दौरान रायपुर स्थित कांग्रेस दफ्तर पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के लोगों ने इस लड़ाई को अपने हाथों में ले लिया. हम राहुल गांधीजी के आभारी हैं. हम लोगों के लिए लड़े. हमें उम्मीद से ज्यादा सीटें मिली हैं. बाकी आलाकमान तय करेगा कि सीएम कौन होगा. गौरतलब है कि भूपेश बघेल खुद भी मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार हैं. वे पाटन सीट से मौजूदा विधायक हैं और यही से उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा था. उनके खिलाफ भाजपा के मोतीलाल साहू मैदान में थे.
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भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कद्दावर नेता माना जाता है. हालांकि उनका विवादों से भी गहरा नाता रहा है. पिछले ही साल बघेल सेक्स सीडी कांड में फंस गए थे. इस मामले में उनकी बहुत फजीहत हुई और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. लेकिन चुनावी शंखनाद के बाद वे फिर से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए. यह भी कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का 15 साल पुराना वनवास खत्म करने में बघेल का बड़ा योगदान है. ऐसे में मुख्यमंत्री को लेकर उनकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है.
राज्य में ‘टीएस बाबा’ के नाम से जाने जाने वाले त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव भी मुख्यमंत्री के संभावित चेहरे के रूप में देखे जाते रहे हैं. सिंहदेव मौजूदा विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. इसबार वे अंबिकापुर सीट से चुनाव मैदान में थे. 2008 में उन्होंने महज एक हजार के अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन 2013 में उन्होंने 13 हजार वोटों से भाजपा के अनुराग सिंहदेव को शिकस्त दी थी. सिंहदेव सरगुजा के राज परिवार से संबंध रखते हैं. वे इसबार छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में थे.
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2014 की मोदी लहर में छत्तीसगढ़ से जो एकमात्र कांग्रेसी उम्मीदवार जीतदर्ज करने में सफल रहे थे, वे हैं, ताम्रध्वज साहू. वे छत्तीसगढ़ के इकलौते कांग्रेसी सांसद के साथ साथ प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख ओबीसी चेहरा भी हैं. सांसद होते हुए भी उनका विधानसभा चुनाव लड़ना, इस बात की तरफ इशारा करता है कि वे मुख्यमंत्री के लिए आलाकमान की पसंद हो सकते हैं. राज्य के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष चरणदास महंत भी संभावित मुख्यमंत्रियों की सूची में प्रमुख नाम हैं. इसबार वे सक्ती विधानसभा सीट से भाजपा के मेघाराम साहू के खिलाफ मैदान में थे.