सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को कपड़े के ऊपर से छूने को यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने पॉक्सो (POCSO) एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि इस कानून के तहत अगर स्किन-टु-स्किन कॉन्टैक्ट नहीं हुआ तो उसे सेक्शुअल हैरेसमेंट नहीं कहेंगे। ऐसे मामलों को पॉक्सो एक्ट के तहत परिभाषित नहीं किया जा सकता।
Supreme Court sets aside the Bombay High Court judgment that held that groping a minor's breast without "skin to skin contact" can't be termed as sexual assault as defined under the Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act. pic.twitter.com/1tBO6vbbNU
— ANI (@ANI) November 18, 2021
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने हाई कोर्ट के फैसले को बेतुका बताते हुए कहा, ‘पॉक्सो ऐक्ट के तहत अपराध मानने के लिए फिजिकल या स्किन कॉन्टेक्ट की शर्त रखना हास्यास्पद है और इससे कानून का मकसद ही पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, जिसे बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है।’ कोर्ट ने कहा कि इस परिभाषा को माना गया तो फिर ग्लव्स पहनकर रेप करने वाले लोग अपराध से बच जाएंगे। यह बेहद अजीब स्थिति होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि नियम ऐसे होने चाहिए कि वे कानून को मजबूत करें न कि उनके मकसद को ही खत्म कर दें।
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग के अंदरूनी अंग को बिना कपड़े हटाए छूना तब तक सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है जब तक कि स्किन-से-स्किन का टच न हो। इस फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने 27 जनवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, मामला 14 दिसंबर 2016 का है। जब लड़की की मां ने पुलिस के सामने बयान दिया था कि आरोपी उनकी 12 साल की बेटी को कुछ खिलाने के बहाने ले गया और उसके साथ गलत हरकत की। उसके कपड़े खोलने की कोशिश की और उसके अंदरूनी अंग को कपड़े के ऊपर से दबाया।
निचली अदालत ने मामले में पोक्सो के तहत आरोपी को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। हालांकि, हाई कोर्ट ने आदेश में बदलाव किया और मामले को पोक्सो के तहत सेक्सुअल असॉल्ट न मानकर आईपीसी की धारा-354 के तहत छेड़छाड़ माना था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि बिना कपड़े को हटाए ये मामला पोक्सो के तहत सेक्सुअल असॉल्ट का नहीं बनता।