भोपाल। सियासत के सिकंदर माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उस समय भावुक दिखाई दिए, जब उन्होंने अपनी बरसों पुरानी पेढ़ी पर पैर रखा। उन्होंने कई पुरानी बातें याद कीं और नम आंखों से उस शख्सियत को याद किया, जिनका हाथ उनके सिर पर हमेशा दुआओं के लिए बना रहता था। वे राजधानी की तर्जुमा वाली मस्जिद में मरहूम मुफ्ती अब्दुल रज्जाक साहब को खिराज-ए-अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश करने पहुंचे थे। इस दौरान उनके मुंह से बरबस निकला, अब मेरे सिर पर हाथ रखने वाला नहीं रहा।
दिग्विजय सिंह ने मुफ्ती-ए-आजम मरहूम मुफ्ती अब्दुल रज्जाक को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हजरत मुफ्ती साहब के निधन पर गहरा दुख महसूस कर रहे हैं, जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उनका रिश्ता स्वर्गीय मुफ्ती साहब के साथ घर जैसा था। उन्होंने जब भी मुफ्ती साहब से मुलाकात की तो उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और दुआ दी। उन्होंने परिजनों को यकीन दिलाया कि जिस तरह से मुफ्ती साहब के साथ उनका रिश्ता घर जैसा रहा है, वैसा ही हमेशा परिवार के साथ बना रहेगा। गौरतलब है कि कोविड कारणों के चलते दिग्विजय मुफ्ती साहब के इंतकाल के बाद उनके परिजनों से मिलने नहीं पहुंच पाए थे।
इसके चलते उन्होंने देरी के लिए क्षमा याचना भी की। इस मुलाकात के दौरान दिग्विजय सिंह मुफ्ती साहब के बेटों से मिले। बाद में उन्होंने मुफ्ती साहब के बेटे मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अहमद खान को मुफ्ती साहब का उत्तराधिकारी बनाए जाने पर उनके सिर पर पगड़ी बांधकर उनका अभिवादन किया। इस मौके पर हाजी अब्दुल मजीद सालार खान, महमूद खान, मुफ्ती अब्दुल मबूद कासमी, मुफ्ती शकील अहमद वाजदी, मुफ्ती अब्दुल हसीब, मौलाना मुहम्मद असगर, हाफिज अमानुल्लाह के अलावा मुफ्ती साहब के परिजन और मदरसे के शिक्षक मौजूद थे।