प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अपनी यात्रा के दौरान फ्रांस,जर्मनी और कनाडा के साथ जो साझेदारी स्थापित किया, वह एक मिशाल है. आतंकवाद, रेलवे, सामरिक और अंतरिक्ष सहित अन्य क्षेत्रों में पीएम ने इन विकसित देशों से भारत के लिए जो निवेश आकर्षित किया, उससे आनेवाले समय में भारत इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नये सोपान तय करेगा, यह तय है.

modiफ्रांस, जर्मनी और कनाडा, ये तीनों देश जी-7 देश हैं तथा औद्योगिक लोकतंत्र भी हैं. इन देशों के साथ साझेदारी स्थापित करने में भारत का बड़ा आर्थिक हित है. वे हमारे अनेक राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों के लिए फिट बैठते हैं. वे लोकतांत्रिक देश भी हैं. इसलिए, इस मायने में उनके साथ हमारा एक बड़ा राजनीतिक तालमेल भी है. फ्रांस के साथ हमारे संबंध परंपरागत रूप से रक्षा, अंतरिक्ष एवं परमाणु के क्षेत्र में रहे हैं तथा ये तीनों इस संबंध के प्रमुख आयाम हैं. जहां तक रक्षा क्षेत्र का संबंध है, फ्रांस की कंपनियां इसमें बहुत सक्षम और अनुभवी हैं. भारत और फ्रांस के बीच 17 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. फ्रांस आने वाले समय में भारत में 2 बिलियन यूरो का निवेश करेगा. साथ ही वह भारत के तीन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाएगा. नागपुर और पॉन्डिचेरी इस लिस्ट में शामिल हैं. मोदी को एक और सफलता हाथ लगी है कि उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद को आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई में साथ देने के लिए राजी कर लिया है. मोदी ने कहा है कि फ्रांस की कंपनी रक्षा क्षेत्र में भारत का सहयोग करेगी और भारत में रक्षा उपकरण बनाएगी. मोदी ने बताया कि भारत फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदेगा. भारत-फ्रांस सामरिक संबंधों को नये स्तर पर ले जाते हुए मोदी और ओलांद ने महाराष्ट्र में रुकी हुई जैतापुर परमाणु परियोजना पर आगे बढ़ने पर भी सहमति व्यक्त की. मेक इन इंडिया को मुख्य विषय मानते हुए दोनों पक्षों ने असैन्य परमाणु, शहरी विकास, रेलवे और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में करीब 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. जैतापुर परियोेजना से करीब 10 हजार मेगावाट क्षमता का बिजली उत्पादन होगा. फ्रांस ने भारत को अपने उस निर्णय के बारे में सूचित किया, जिसमें भारतीय पर्यटकों के लिए 48 घंटे में शीघ्र वीजा देने की योजना लागू करने की बात कही गई है. दोनों पक्षों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत वे संयुक्त रूप से ग्रहों से संबंधित अभियान पर आगे बढ़ेंगे.
अगर हम जर्मनी की बात करें, तो भारत का पूरा फोकस विनिर्माण पर होगा. जर्मनी को विश्व में सर्वश्रेष्ठ विनिर्माता के रूप में माना जाता है. वास्तव में, हन्नोवर फेयर से हमें जर्मनी की कंपनियों के साथ भारतीय कंपनियों की मैच मेकिंग का अवसर प्राप्त भी हुआ. इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि जर्मनी में विश्व का सर्वश्रेष्ठ कौशल विकास कार्यक्रम है, जो हमारे लिए फायदेमंद है. जर्मन कार्यक्रम का तीसरा बड़ा पहलू यह है कि नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा में वर्चस्व की उनकी स्थिति पर हम आस लगाए बैठे हैं. जर्मनी के हन्नोवर में इस साल हन्नोवर फेयर है, जो भारतीय कंपनियों के निवेश की तलाश के लिए माकूल समय और जगह प्रदान करता है. हन्नोवर को इस वजह से चुना गया है कि हन्नोवर मेस्से, जो इस साल हन्नोवर फेयर है, में हम पार्टनर कंट्री हैं. वहां हमारी भारतीय कंपनियों की बहुत बड़ी उपस्थिति है.
प्रधानमंत्री जी की कनाडा यात्रा भी काफी अहमियत रखती है, क्योंकि चालीस साल बाद यह कनाडा की प्रधानमंत्री के स्तर पर पहली यात्रा है. प्रधानमंत्री के स्तर पर पिछली यात्रा 1973 में हुई थी. इस प्रकार, यह 42 साल बाद हो रही है. वास्तव में हम कनाडा को निवेश, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने स्वयं के विकास संबंधी उद्देश्यों की पूर्ति की दृष्टि से महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखते हैं. कनाडा विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसके अलावा, यदि हम परिसंपत्तियों की दृष्टि से देखें, तो उनके पांच शीर्ष पेंशन फंड अकेले ही लगभग 700 बिलियन डॉलर की परिसंपत्तियों का नियंत्रण करते हैं. इस प्रकार, यहां निवेश की प्रचुर संभावनाएं हैं. कनाडा ऊर्जा की दृष्टि से भी सुपर पावर है और यहां पर विश्व की सर्वोत्तम शोध संस्थाएं और विश्वविद्यालय स्थित हैं. दूसरी बात कि कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 1.2 मिलियन है, जो मायने रखती है. भारत और कनाडा जिस प्रौद्योगिकी का अनुसरण करते हैं, उसे पी एच डब्ल्यू आर (प्रेशरराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर) कहा जाता है. कनाडा विश्व में यूरेनियम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. वास्तव में, विश्व के 16 प्रतिशत यूरेनियम भंडार कनाडा में हैं. इसे देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर की मौजूदगी में कमेको और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग ने 35 करोड़ डॉलर की यूरेनियम आपूर्ति के लिए एक समझौता किया. इस नये करार के तहत अगले पांच वर्षों में भारत, कनाडा से तीन हजार टन से ज्यादा यूरेनियम खरीदेगा. इसका इस्तेमाल भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में किया जाएगा.
रूस और कजाकिस्तान के बाद कनाडा तीसरा देश है, जो भारत को यूरेनियम की आपूर्ति करेगा. यूरेनियम आपूर्ति से भारत के हरित ऊर्जा मिशन को पूरा करने में मदद मिलेगी. स्वच्छ ऊर्जा मानवता के लिए हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है. स्वच्छ ऊर्जा मिशन के लिए यूरेनियम बेहद जरूरी है. इस समझौते से हमारे मिशन के पूरा होने में मदद मिलेगी. भारत और कनाडा ने मुक्त व्यापार समझौते के बारे में भी प्रतिबद्धता जताई है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दोनों देशों के बीच बाजार खोलने संबंधी इस समझौते की रूपरेखा सितंबर तक तैयार कर ली जाएगी. मोदी ने कहा कि द्विपक्षीय निवेश संवर्धन एवं संरक्षण समझौता (बीआईपीपीए) भी जल्द कर लिया जायेगा.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here