न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में एंट्री के लिए भारत का रास्ता आसान होता दिख रहा है. एनएसजी की मेंबरशिप के लिए एक नया ड्राफ्ट प्रपोजल तैयार हुआ है. इसके प्रावधान एनएसजी में भारत की एंट्री में आने वाले रोड़ों को हटाने सकते हैं. यह प्रस्ताव एनएसजी के पूर्व प्रेसिडेंट रफाल मारिआनो ग्रॉसी ने मौजूदा प्रेसिडेंट सोंग यंग-वान की रिक्वेस्ट पर तैयार किया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि एनएसजी मेंबरशिप के लिए अप्लाई करने वाले किसी दूसरे की सदस्यता पर सवाल नहीं उठा सकते. पाकिस्तान भारत की सदस्यता पर सवाल उठाता रहा है, जबकि भारत ऐसा नहीं करता. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि एनएसजी से पहले से किसी देश को ढील मिली हुई है तो उसे सदस्यता में प्राथमिकता मिल सकती है. भारत को ढील मिली हुई है, पाकिस्तान को नहीं.
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हालांकि अमेरिकी थिंक टैंक वॉशिंगटन आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन (एसीए) ने एनएसजी में एंट्री के लिए नियमों में ढील देने की कोशिशों पर वॉर्निंग दी है. एसीए के डेरिल जी. किम्बाल ने कहा कि नए प्रस्ताव को भारत के पक्ष में तैयार किया गया है, क्योंकि इसमें रखी सभी नौ शर्तें भारत पूरी करता है. यह थिंक टैंक भारत-अमेरिकी सिविल एटमी करार के भी खिलाफ था.