Let Gen Bipin Rawatनई दिल्ली, (चौथी दुनिया ब्यूरो): ले. जनरल बिपिन रावत के आर्मी चीफ बनते ही विवाद शुरू हो गया है. विपक्ष का कहना है कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल नहीं रखा गया है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, आर्मी चीफ की क्षमताओं पर शक नहीं है, लेकिन सरकार को ये जवाब देना चाहिए कि नियुक्ति में वरिष्ठता का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? ले. जनरल रावत अभी आर्मी के वाइस चीफ हैं. फिलहाल सेना में ले. जनरल प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज उनसे वरिष्ठ हैं. हालांकि सरकार नियुक्ति के मामले में स्वतंत्र है, लेकिन अभी तक होता यही रहा है कि सेना में सबसे वरिष्ठ कैंडिडेट को ही आर्मी चीफ बनाया जाता है.

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इससे पहले 1983 में आर्मी चीफ की नियुक्ति में भी वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया था. तब सीनियर ले. जनरल एसके सिन्हा की जगह एएस वैद्य को आर्मी चीफ बनाया गया था. इसका विरोध करते हुए एसके सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया था.

मेरिट को प्राथमिकता

भाजपा ने ऐसे मामलों में कांग्रेस को राजनीति नहीं करने की सलाह दी है. सरकार का कहना है कि बिपिन रावत की नियुक्ति मेरिट के आधार पर की गई है. रक्षा मंत्रालय से जानकारी मिली है कि वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए ले. जनरल रावत को यह जिम्मेदारी दी गई है. रावत को ऊंचाई वाले स्थानों पर जंग और काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन का अनुभव है.

 

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