इन दिनों केदारपुरी में भवन स्वामियों द्वारा अपने सुरक्षित भवनों से मलबा हटाया जा रहा है. साथ ही भवनों तक आने-जाने के लिए पैदल रास्ते का निर्माण किया जा रहा है. उसी खुदाई के दौरान उक्त नरकंकाल बरामद हो रहे हैं. पूर्व में भी केदारपुरी में नरकंकाल बरामद हुए थे, जिसे देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने केदारपुरी में दो दिनों तक सर्च अभियान चलाया था

केदार नाथ धाम आपदा की दूसरी बरसी पर दो राष्ट्रीय दलों यानी भाजपा और कांग्रेस के बीच लाशों पर राजनीति करने की होड़-सी मची है. बरसी से पहले हरिद्वार के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने केदार धाम पहुंच कर क्षेत्र में लाशें होने की जो चिंगारी छोड़ी, वह अब शोला बन गई है. अब इसकी आंच सूबे की हरीश रावत सरकार पर आनी तय मानी जा रही है. आपदा राहत कार्यों में घोटाले का आरोप लगते ही हरीश रावत सरकार घिरी नज़र आने लगी, उनके राजनीतिक महारथी भी उनके बचाव में शब्द बाणों की बौछार करने में जुट गए. ऐसे में जो संदेश जा रहा है, वह हरीश सरकार खतरे की घंटी साबित हो सकता है. निशंक के ताल ठोंकने से पूरी हरीश रावत सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. जल-प्रलय के दो साल बाद भी केदार नाथ धाम में नरकंकालों के मिलने का सिलसिला जारी है. पिछले दिनों उदक कुंड के निकट सफाई के दौरान दो नरकंकाल मिले. पुलिस ने डीएनएन सैंपल लेने के बाद उनका दाह संस्कार करा दिया. उदक कुंड केदार नाथ मंदिर से 50 मीटर दूर है.
उल्लेखनीय है कि केदार घाटी में 16-17 जून, 2013 को आई भीषण आपदा में बड़ी संख्या में लोग लापता हुए थे और मारे गए थे. नरकंकालों के रूप में अब तक लापता लोगों के शव मिलने पर सवाल उठाए जा रहे हैं. खासकर, विपक्ष इस मसले पर सरकार को घेर रहा है. निशंक ने केदार नाथ में दो और नरकंकाल बरामद होने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत से नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्ती़फा देने की मांग की है. निशंक ने कहा कि कुछ दिनों पूर्व जब उन्होंने केदार नाथ में नरकंकाल होने की आशंका जताई थी, तो प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उन्हें झुठलाते हुए उन पर ग़लत बयानबाजी करने का आरोप मढ़ दिया था, लेकिन अब केदार नाथ में दो और नरकंकारल मिलने के बाद उनकी आशंका सच साबित हुई है. सांसद निशंक ने कहा कि सरकार द्वारा झूठा बताने पर उन्होंने मुख्यमंत्री को सीधी चुनौती दी थी कि केदार नाथ में यदि नरकंकाल न मिले, तो वह संसद की सदस्यता से इस्ती़फा दे देंगे. अब जब केदार नाथ में फिर दो नरकंकाल बरामद हुए हैं, तो मुख्यमंत्री को सरकार समेत न स़िर्फ इस्ती़फा दे देना चाहिए, बल्कि देश की जनता से सार्वजनिक तौर पर मा़फी भी मांगनी चाहिए.
ग़ौरतलब है कि इन दिनों केदारपुरी में भवन स्वामियों द्वारा अपने सुरक्षित भवनों से मलबा हटाया जा रहा है. साथ ही भवनों तक आने-जाने के लिए पैदल रास्ते का निर्माण किया जा रहा है. उसी खुदाई के दौरान उक्त नरकंकाल बरामद हो रहे हैं. पूर्व में भी केदारपुरी में नरकंकाल बरामद हुए थे, जिसे देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने केदारपुरी में दो दिनों तक सर्च अभियान चलाया था. केदारपुरी स्थित बॉम्बे हाउस के निकट मलबा सा़फ करते समय हाथ के पंजे, पैर एवं पसली की हड्डियां पाई गईं, जिनका दाह संस्कार कर दिया गया. सरकार क्षेत्र को पावन बनाने एवं दुरुस्त करने के लिए अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है. चारधाम यात्रा भी गति पकड़ रही है. ऐसे में दिग्गज कांग्रेसियों को लगता है कि निशंक के माध्यम से भाजपा लाशों यानी नरकंकालों की राजनीति करके माहौल खराब कर रही है और इसके पीछे अमित शाह की दूषित मानसिकता काम कर रही है. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि चारधाम यात्रा अच्छे मौसम के चलते और सरकारी सुविधाओं के अभाव के बावजूद सफल दिख रही है. दुर्गम और पथरीले रास्ते की परवाह किए बगैर यात्रियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. निशंक को इसलिए केदार नाथ की यात्रा पर भेजा गया, ताकि यात्रा नाकाम की जा सके.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि निशंक से पहले केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी केदार नाथ गई थीं, लेकिन उन्हें इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली, न उन्हें लाशों की बदबू आई. केवल निशंक की नाक क्यों फूल रही है? योग गुरु रामदेव भी आपदा के एक वर्ष बाद ही संत समाज के साथ केदार धाम की यात्रा कर चुके हैं, तब उन्हें सब कुछ ठीक नज़र आया था. बाबा ने लौट कर हरीश सरकार की सराहना भी की थी. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो पैदल जाकर बाबा केदार के दर्शन करके ऑल इज वेल का प्रमाण-पत्र जारी कर चुके हैं. जानकारों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार तंज कसने वाले हरीश राव पर ब्रेक लगाने और उनकी उपलब्धियों पर पर्दा डालने के लिए ऐसी बयानबाजी जान-बूझकर की जा रही है.

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